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बन्धः
७५३
बन्धु-बन्धु
०कर्म-परमाणुओं का भार। (सम्य० २८)
बन्धनपालकः (पुं०) काराध्यक्ष, कारावासाध्यक्ष। स्थिति, अनुभाग, प्रकृति, प्रदेश। (सम्य० २८)
बन्धनरक्षिन् (नपुं०) मुक्त होना, बन्धनों से छूटना। ०हथकड़ी, बेड़ी, उम्र कैद, बोझ।
बन्धनवेश्मन् (नपुं०) कारागार। लिखना, बनाना, काव्य करना।
बन्धनागार: (पुं०) कारागार। बन्धः (पुं०) [बन्ध+घञ्] ग्रन्थि, बन्धन।
बन्धनालयः (पुं०) कारागार, जेलखाना। शृंखला, बेड़ी, बन्धो ग्रन्थि बन्धनाख्य। (जयो० १२/६३) | बन्धनीय (वि०) बन्धन योग्य, कर्म-नोकर्म से बंधने योग्य। फल, परिणाम, संश्लेष, संयोग।
बन्धबधी (स्त्री०) वागुरा। स्थिति, अंगविन्यास।
बन्धविधानं (नपुं०) बन्ध विकल्प। ०बंध के भेद। ०एक आसन।
बन्धस्थानं (नपुं०) बन्धानुभाव, बन्ध से जो स्थान निर्मित हो। चैतन्य का हीनस्थान प्राप्त होना।
बन्धित (वि०) [बन्ध्+इतच्] ०बंधा हुआ, जकड़ा हुआ। कर्म का आत्मा से संयोग।
कैदी, बन्दी। ०बांधना,-बध्नातीति बन्धनः
बन्धित्रः (पुं०) [बन्ध+इत्र] कामदेव। कर्म प्रदेश और आत्म का एकमेक होना।
०धब्बा, मस्सा, घाव। कर्म से आत्मा का संलेष।
बन्धु (पुं०) [बन्ध+उ] कुटुम्बि जन, (जयो० १५/८) परिजन, ०अभीष्ट स्थान में रोकने का कारण।
बान्धव, सम्बंधी, रिश्तेदार। रस्सी या सांकल से जकड़ना।
मित्र, सखा। (जयो० १/४९) बन्धक (वि०) बांधने वाला, पकड़ने वाला, बंध, गांठ, बांध, ०सहायक, आश्रयदाता। (सुद० १/३) मेंढ, किनारा।
पिता, माता, पति। बन्धकाद्धा (स्त्री०) स्थितिकाण्डकाल। अपूर्वकरण के समय बन्धुका (पुं०) एक तरु विशेष।
में जो बन्ध प्रारम्भ किया गया है, जब तक उसकी वर्ण संकर। समाप्ति न हो।
बन्धुक (स्त्री०) असती स्त्री, दुराचारिणी। बन्धन (नपुं०) [बन्ध ल्युट्] कसना, जकड़ना, कैद करना, बन्धुकृत्यं (नपुं०) बन्धु कर्तव्य, मैत्रीपूर्ण कार्य। लपेटना।
बन्धुगात्रं (नपुं०) सम्बन्धित शरीर। शरीराश्रित। oबेड़ी, प्रन्थि, गांठ, शृंखला। (सम्य० १२०)
बन्धुजनः (पुं०) कुटुम्बिजन, परिजन। (सुद० ३/२७) ०जेल, कारावास।
स्वजन, आत्मीय जना ०बनाना, निर्माण करना, संरचना।
०सहभागी, मित्रगण। ०स्नायु, पुट्ठा, पट्टी।
बन्धुजीवः (पुं०) वृक्ष जाति, वृक्ष विशेष। ०परतंत्र करना। (वीरो०८/३०)
बन्धुजीवकः (पुं०) वृक्ष जाति, वृक्ष विशेष। मारना, घात करना, हिंसा।
बन्धुता (वि०) बन्धु भावपना। 'सहभागो हि सहकारितैव ०कषायपरिणाम। (सम्य० १२०)
बन्धुताऽस्ति' (जयो० ३/७०) 'स्वमिति सम्बदतोऽङ्गमिदं ०बंधनं कर्मपुद्गलानां जीवप्रदेशानां च परस्परसम्बंधनम्। गलत्तदनुबन्धि च बन्धुतया दलम्। (समु० ७/१७) बन्धनकरणं (नपुं०) बन्ध के कारण, अष्टविध कर्म बन्धकरण | बन्धुता (स्त्री०) [बन्धु+तल्+टाप्] स्वजन, परिजन, सम्बंधी।
हैं। प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश रूप परिणमन की बन्धुदत्त (वि०) बन्धु द्वारा प्रदत्त। क्रिया। परतन्त्र करना, गांठ लगाना।
बन्धुदा (स्त्री०) [बन्धु+दा+क+टाप्] असती स्त्री, दुराचारिणी बन्धनगुणं (नपुं०) परस्पर मिलना, एकमेक होना।
स्त्री। बन्धनग्रन्थि (स्त्री०) पट्टी की गांठ, गठजोड़, जाल, रस्सा। | बन्धुनिबन्धं (नपुं०) सूर्यमुखी पुष्प। (जयो० ६/५८) बन्धननामः (पुं०) कर्मप्रदेशों का सम्बन्ध। 'शरीरनामकर्मो- बन्धुप्रीतिः (स्त्री०) स्वजन प्रीति, आत्मीयता भाव।
दयोपात्तानां यतोऽन्योऽन्यसंश्लेषणं तद् बन्धनम्' (त०वा० बन्धु-बन्धु (वि०) मित्रता ही मित्रता, कुटुम्बियों की उन्नति। ८/११)
(जयो० ३/६)
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