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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रोत्सारणं प्रोत्सारणं (नपुं० ) [ प्र+उत्+सृ+ णिच् + ल्युट् ] छुटकारा करना, हटाना । ० निर्वासित करना, विसर्जित करना । प्रोत्सारित (भू०क० कृ० ) [ प्र+उत्+सृ+ णिच् + क्त] ० निष्कासित, हटाया गया, पदमुक्त किया गया, परित्यक्त । ० आगे बढ़ाया गया। www.kobatirth.org प्रोत्साहः (पुं० ) [ प्र+उत्+सह्+घञ्] *अनुराग, विशेष लगाव, अत्यनुरक्ति । ० उद्दीपन, बढ़ावा । प्रोत्साहक (वि.) [प्र+उत्+सह + णिच् + ण्वुल् ] उत्साह बढ़ाने वाला, उकसाने वाला। प्रोत्साहनं (नपुं० ) [ प्र+उत् + सह् + णिच् + ल्युट् ] ० उत्साहवर्धन, उकसाना, प्रतिविधापि। (समु० ७/१६) ० भड़काना, प्रणोदन । ० प्रेरित करना । प्रोथ् (अक० ) सदृश होना, समान होना । ० योग्य होना, यथेष्ट होना। ० सक्षम होना, समर्थ होना। ० जोड़ीदार होना । प्रोथ (वि० ) [ प्रो+घ ] ०प्रसिद्ध, विख्यात, सुविश्रुत, ख्याति प्राप्त । ० रक्खा हुआ, स्थिर किया हुआ । ० भ्रमण करना, यात्रा पर जाना, अग्रसर होना, आगे बढ़ना। प्रोथ: (पुं०) नक्र, नाक, नथूना। (जैन० १३/७२) ०घोड़े की नाक । ० सूकर का थूथन । ० कूल्हा, नितम्ब देश । (वीरो० ४/३७) प्रोथः पान्थऽश्वघोणायामस्त्रीना कटिगर्भयो इति वि० । (जयो० ४/३७) ० खुदाई | ७४८ ०वस्त्र | o गर्भ, कलल । प्रोथिन् (पुं०) [प्रोथ्+इनि] अश्व, घोड़ा। प्रोद्घष्ट (भू०क० कृ० ) [ प्र + उद् + घुष् +क्त] ०गूंजना, ध्वनि होना । ०घोषणा, उद्घोष । ० ऊंचा शब्द करना, उच्च स्वर में बोलना । प्रोद्घोषणं ( नपुं० ) [ प्र + उद् + घुष + ल्युट् ] घेषणा ऐलान, प्रतिध्वनि करना, मिमादी करना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रोद्दीप्त (भू०क० कृ० ) [ प्र+उद् + डीप् +क्त] प्रोद्घाट् (अक० ) प्राप्त होना। (वीरो० १७ /९) प्रोन्नत (वि०) प्रशस्त। (जयो० ३/३८) ०देदीप्यमान, आग पर रखा हुआ, गर्म किया हुआ । प्रोद्धिन्न (भू०क० कृ० ) [ प्र+उद् + भिद् +क्त] ० अंकुरित, प्रस्फुरित | प्रोषित ० फूटा हुआ, निकला हुआ। प्रोद्भूत (भू० क० कृ० ) [ प्र+उद् + भू+क्त] प्रस्फुरित, निस्सरित, निकला हुआ। ० उत्कण्ठित। ० फूटा हुआ । प्रोद्यत (भू० क० कृ० ) [ प्र + उद् + यम् + क्त ] ०अंकुरित, प्रस्फुटित । ० फूटा हुआ, निकला हुआ। प्रोद्भूत (भू० क० कृ० ) [ प्र + उद् + भू+क्त] ० प्रस्फुटित, निस्सरित, निकला हुआ। ० उद्यत हुआ, तैयार हुआ । ०तैयार । प्रोद्वाह: (पुं० ) [ प्र+उद्+वह्+घञ् ] पाणिग्रहण, विवाह । प्रोवन्तः (पुं०) पाषाण उपटा, ठोकर (मुनि० ६) प्रोध (सक०) उठाना। (जयो० १० / १०८ ) प्रोल्लाधित (वि० ) [ प्र+उद् + लाघ+क्त] स्वास्थ्य लाभ युक्त, रोगोन्मुक्ति की ओर अग्रसर, उल्लसित, परम प्रसक्तियुक्त । (जयो० ४ / ५९ ) ० सुगठित, हृष्ट पुष्ट । प्रोल्लिखित (वि०) चिह्नित, अंकित । (वीरो० १८ / १ ) प्रोल्लेखनं (नपुं०) * [प्र+उद् + लिख् + ल्युट् ] • प्रमार्जन । ० खुरचना, चिह्नित करना । ० अंकित करना । For Private and Personal Use Only प्रोषधः (पुं०) एकाशन, एक बार भोजन करना । प्रोषधः सकृद्भुक्तिः । प्रोषधसिम्विधायी (वि०) प्रोषधोपवास धारण करने वाला । (सुद० १०७) प्रोषधोवासः (पुं०) पर्व - अष्टमी और चतुर्दशी के दिन उपवास । चतुर्दश्यामथाष्टभ्यां प्रोषध क्रियते । प्रोषधोपवासप्रतिमा (स्त्री०) प्रत्येक माह की चारों अष्टमी - चतुर्दशी को नियम पूर्वक उपवास करना। प्रोषित (भू०क० कृ० ) [ प्र + वस्+क्त] ० प्रवास पर गया हुआ, यात्रा को गया हुआ । ० अनुपस्थित, घर से बाहर गया हुआ ।
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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