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प्रोत्सारणं
प्रोत्सारणं (नपुं० ) [ प्र+उत्+सृ+ णिच् + ल्युट् ] छुटकारा करना,
हटाना ।
० निर्वासित करना, विसर्जित करना ।
प्रोत्सारित (भू०क० कृ० ) [ प्र+उत्+सृ+ णिच् + क्त] ० निष्कासित, हटाया गया, पदमुक्त किया गया, परित्यक्त । ० आगे बढ़ाया गया।
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प्रोत्साहः (पुं० ) [ प्र+उत्+सह्+घञ्] *अनुराग, विशेष लगाव, अत्यनुरक्ति ।
० उद्दीपन, बढ़ावा ।
प्रोत्साहक (वि.) [प्र+उत्+सह + णिच् + ण्वुल् ] उत्साह बढ़ाने वाला, उकसाने वाला।
प्रोत्साहनं (नपुं० ) [ प्र+उत् + सह् + णिच् + ल्युट् ] ० उत्साहवर्धन, उकसाना, प्रतिविधापि। (समु० ७/१६) ० भड़काना, प्रणोदन ।
० प्रेरित करना ।
प्रोथ् (अक० ) सदृश होना, समान होना ।
० योग्य होना, यथेष्ट होना।
० सक्षम होना, समर्थ होना। ० जोड़ीदार होना ।
प्रोथ (वि० ) [ प्रो+घ ] ०प्रसिद्ध, विख्यात, सुविश्रुत, ख्याति प्राप्त । ० रक्खा हुआ, स्थिर किया हुआ ।
० भ्रमण करना, यात्रा पर जाना, अग्रसर होना, आगे बढ़ना। प्रोथ: (पुं०) नक्र, नाक, नथूना। (जैन० १३/७२)
०घोड़े की नाक ।
० सूकर का थूथन ।
० कूल्हा, नितम्ब देश । (वीरो० ४/३७)
प्रोथः पान्थऽश्वघोणायामस्त्रीना कटिगर्भयो इति वि० । (जयो०
४/३७)
० खुदाई |
७४८
०वस्त्र |
o गर्भ, कलल ।
प्रोथिन् (पुं०) [प्रोथ्+इनि] अश्व, घोड़ा।
प्रोद्घष्ट (भू०क० कृ० ) [ प्र + उद् + घुष् +क्त] ०गूंजना, ध्वनि
होना ।
०घोषणा, उद्घोष ।
० ऊंचा शब्द करना, उच्च स्वर में बोलना । प्रोद्घोषणं ( नपुं० ) [ प्र + उद् + घुष + ल्युट् ] घेषणा ऐलान, प्रतिध्वनि करना, मिमादी करना ।
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प्रोद्दीप्त (भू०क० कृ० ) [ प्र+उद् + डीप् +क्त] प्रोद्घाट् (अक० ) प्राप्त होना। (वीरो० १७ /९) प्रोन्नत (वि०) प्रशस्त। (जयो० ३/३८)
०देदीप्यमान, आग पर रखा हुआ, गर्म किया हुआ । प्रोद्धिन्न (भू०क० कृ० ) [ प्र+उद् + भिद् +क्त] ० अंकुरित, प्रस्फुरित |
प्रोषित
० फूटा हुआ, निकला हुआ।
प्रोद्भूत (भू० क० कृ० ) [ प्र+उद् + भू+क्त] प्रस्फुरित, निस्सरित, निकला हुआ।
० उत्कण्ठित।
० फूटा हुआ ।
प्रोद्यत (भू० क० कृ० ) [ प्र + उद् + यम् + क्त ] ०अंकुरित, प्रस्फुटित । ० फूटा हुआ, निकला हुआ।
प्रोद्भूत (भू० क० कृ० ) [ प्र + उद् + भू+क्त] ० प्रस्फुटित, निस्सरित, निकला हुआ।
० उद्यत हुआ, तैयार हुआ । ०तैयार ।
प्रोद्वाह: (पुं० ) [ प्र+उद्+वह्+घञ् ] पाणिग्रहण, विवाह । प्रोवन्तः (पुं०) पाषाण उपटा, ठोकर (मुनि० ६) प्रोध (सक०) उठाना। (जयो० १० / १०८ ) प्रोल्लाधित (वि० ) [ प्र+उद् + लाघ+क्त] स्वास्थ्य लाभ युक्त, रोगोन्मुक्ति की ओर अग्रसर, उल्लसित, परम प्रसक्तियुक्त । (जयो० ४ / ५९ )
०
सुगठित, हृष्ट पुष्ट ।
प्रोल्लिखित (वि०) चिह्नित, अंकित । (वीरो० १८ / १ ) प्रोल्लेखनं (नपुं०) * [प्र+उद् + लिख् + ल्युट् ] • प्रमार्जन । ० खुरचना, चिह्नित करना ।
० अंकित करना ।
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प्रोषधः (पुं०) एकाशन, एक बार भोजन करना । प्रोषधः
सकृद्भुक्तिः ।
प्रोषधसिम्विधायी (वि०) प्रोषधोपवास धारण करने वाला । (सुद० १०७)
प्रोषधोवासः (पुं०) पर्व - अष्टमी और चतुर्दशी के दिन उपवास । चतुर्दश्यामथाष्टभ्यां प्रोषध क्रियते ।
प्रोषधोपवासप्रतिमा (स्त्री०) प्रत्येक माह की चारों अष्टमी - चतुर्दशी को नियम पूर्वक उपवास करना।
प्रोषित (भू०क० कृ० ) [ प्र + वस्+क्त] ० प्रवास पर गया हुआ, यात्रा को गया हुआ ।
० अनुपस्थित, घर से बाहर गया हुआ ।