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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रेरितसूक्त ७४७ प्रोत्सह उद्दीपित, प्रणोदित, उदीरित। (जयो०७० १२/१२०) ०प्रक्षालन, अभिषिक्त। ०भेजा गया। छिड़काव। प्रेरितसूक्त (वि०) उत्तेजित कथन। (जयो०० १२/१२५) मंत्रित करना। प्रेष् (अक०) चलना-फिरना, घूमना, भ्रमण करना। प्रोक्षणीयं (नपुं०) [प्र+उक्ष+अनीयर] पवित्रीकरण, प्रेषः (पुं०) [प+इष्+घञ्] ०भेजना, प्रेषण करना। प्रक्षालीकरण। निदेश देना, बोझ डालना। प्रमार्जनयी, अभिसिंचिनीय ०संदेश देना। ०चलना-फिरना। ०आमन्त्रण करना। प्रोक्षित (भू०क०कृ०) [प्र+उक्ष्+क्त] प्रेषणं (नपुं०) भेजना, संदेश देना। (दयो० ६२) प्रोञ्छनम् (नपुं०) अभिषेचन, परिमार्जन। (जयो० २७/९) ___०नयन, असि, दृष्टि। (जयो०वृ० २/११३) प्रक्षालन, प्रमार्जन। प्रेषित (भू०क०कृ०) [प्र+इष्+क्त] निदेशित, आदिष्ट। प्रोञ्छनकारिणी (वि०) सम्मार्जनकत्री। भेजा गया (दयो० ९८) प्रोञ्छनकः (पुं०) तौलिया। (जयो० १०/२८) (वीरो० ५/११) ०मुड़ा हुआ। प्रोञ्छनवत्रं (नपुं०) तौलिया। (जयो० १३/१०, १७३) निर्वासित। प्रोञ्छितवती (वि०) प्रक्षालित करती हुई। (जयो० १७/१३०) प्रेष्ठ (वि०) [प्रिय इष्टन्] प्रियतम, प्यारा, अधिक प्रिय। प्रमार्जित, शुद्ध किया गया। प्रेष्ठः (पुं०) प्रेमी, पति। साफ किया गया। प्रेष्ठा (स्त्री०) पत्नी, स्वामिनी, भार्या। प्रोच्छ्रित (भू०क०कृ०) उत्तुंग, उन्नत, ऊंचा। प्रेष्य (वि०) [प्र+ईष्+ ण्यत्] ० भेजने योग्य। प्रोच्चंड (वि०) अत्यंत, तीव्र, भयानक। आदेश दिए जाने योग्य। प्रोच्चैः (अव्य०) अत्यधिकता से, ऊंचे स्वर से। प्रेष्यः (पुं०) सेवक, भृत्य, अनुचर। प्रोज्जासनं (नपुं०) [प्र+उद्+जस्+णिच्+ ल्युट्] वध, हत्या। प्रेष्यं (नपुं०) सेवा, दूतमंडली। अनुचर समूह। प्रोज्झनं (नपुं०) [प्र+उज्झ्ल्यु ट्] ०त्यागना, छोड़ना, विसर्जित प्रेष्यप्रयोगः (पुं०) आदेश देकर मार्यादित क्षेत्र में भेजना। करना। बहिर के इष्ट कार्य कराना। प्रोज्झित (भू०क०कृ०) [प्र. उज्झ्-क्त] ०परित्यक्त, छोड़ा ०देशव्रत/श्रावक के देशव्रत का एक दोष। गया। मर्यादा भंग करना। विसर्जित किया गया। प्रेष्यभावः (पुं०) सेवा, बंधन। प्रोढ (वि०) [प्र+व+क्त] प्रौढ, पौढि, वृद्धापना युक्त। प्रेष्यवधू (स्त्री०) सेविका, दासी। प्रोत (भू०क०कृ०) [प्र+वे+क्त]०पारित, बद्ध किया गया। प्रेष्यवर्गः (पुं०) सेवक समूह, अनुचर वर्ग। जमा हुआ, जड़ा हुआ। प्रेष्या (स्त्री०) सेविका, दासी। प्रोत्कण्ठ (वि०) [प्रकर्षण+उत्कण्ठः] उठाए हुए, ग्रीवा तक प्रेहि (वि०) प्रेक्षी. ०अनुदर्शी। लिए हुए। प्रोक्त (भू०क०कृ) [प्र+वच्+क्त] कथित, भाषित, बोला | प्रोत्कुष्टं (नपुं०) [प्र+उत्+क्रुश्क्त ] ०कोलाहल, हल्लागुल्ला। गया। (सुद० ) कहा गया। प्रोत्खात (भू०क०कृ०) [प्र+उत्+खन्+क्त]०खोदा हुआ, खनन विरचित। (सुद० ) किया गया। उच्चारण किया गया। प्रोत्क्षिप्त (वि०) उछाला गया। (जयो०८/२) निर्धारित किया गया, नियत किया गया। प्रोत्तुङ्गः (वि०) अत्यधिक ऊंचा। प्रोक्तभाव (वि०) वक्ष्यमाण, कथित। (सुद० ३/४५, जयो० प्रोत्फुल्ल (वि०) पूर्ण विकसित हुआ, खिला हुआ। ४/१७) प्रोतवसु (स्त्री०) रत्न राशि। 'प्रोतानामङ्कितानां वसूनां रत्नानां प्रोञ्छ (अक०) प्रमार्जन करना, साफ करना। (मुनि. ९) पद्मरागवैडूर्यादीनां सञ्चयस्य' (जयो०वृ० १०।८६) प्रोक्षणं (नपुं०) [प्र+उ+ल्युट] ०प्रामर्जन, संमार्जन। प्रोत्सह (वि.) प्रोत्साहन देने वाला। (सम्य० ४१) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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