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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रेमन् ७४६ प्रेरित प्रेमन् (पुं०/नपुं०) [प्रियस्य भावः, इमनिच्] प्रेम, स्नेह, प्रीति, वात्सल्य, अनुराग। ०कृपा, अनुग्रह। ०हर्ष, खुशी, उल्लास। प्रियत्वं प्रेम (धव० १२/२८४) प्रीतिलक्षणं प्रेम। प्रेमशब्देनाभिष्वङ्गलक्षणो रागोऽभिधीयते। (जैन०ल० ७९९) संश्रव (जयो०वृ० १३/२०) प्रेमऋद्धिः (स्त्री०) स्नेहवर्धन, उत्कट प्रेम। प्रेमजुषः (पुं०) विलास, प्रेमयुक्त। अधरपान सम्बन्धी विलास। अधरे अधरे प्रवृत्य प्रवृत्तमिधराधरि विलासे चेष्टिते। (जयोवृ० १६/३९) प्रेमतत्परः (पुं०) प्रेम में लीन, प्रेमासक्त। (दयो० ८७) प्रेमतत्त्वं (नपुं०) प्रेम व्यवहार, स्नेह भाव। (समु० ५/२०) तेनसार्द्धमभवत्तु विवाहः प्रेमतत्त्वमनयोः समुदाहः।। (समु० ५/२०) प्रेमनिबन्धनं (नपुं०) प्रीतिजनक परिणाम, प्रेमालिंगन, प्रेम सम्बंध। (जयो० १२/२१) प्रेमपर (वि०) स्नेहशील, प्रिय। प्रेमपरायण (नपुं०) प्रेम में प्रवीण। प्रेमपरावृत्ति (स्त्री०) प्रेमभंग। (जयो० २३/२७) (सुद० ३/२९) वात्सल्य अभाव। ०अनुराग समाप्ति। प्रेमपरिवर्तनं (नपु०) प्रेमभङ्ग, स्नेह में विराम। (जयो०७० २३/२३) प्रेमपरावर्तनं (नपुं०) प्रेमभंग। प्रेमपूर्ण (वि०) स्नेह सिंचित। (जयो० ३/१०३) प्रेमभङ्गं (नपुं०) प्रेमपरावर्तन, स्नेह में मलीनता। (जयो०२३/२७) प्रेमभावः (पुं०) समादर भाव, कृपा भाव, स्नेहभाव। (जयो०१० ३/४२, जयो० १२/१६) प्रेमबन्धनं (नपुं०) स्नेह सूत्र। प्रेममुक्त (वि०) स्नेह रहिता प्रेमयुज (वि०) प्रेमासक्त। (जयो० १७/६८) प्रेमलताङ्कर (नपुं०) स्नेह सूत्र रूपी लता के अंकुर। (जयो० १२/५३) प्रेमभाव, ०अनुराग भाव। प्रेमवती (वि०) रसिका, स्नेही। प्रेमवार्ता (वि०) स्नेहयुक्त वार्तालाप। (जयो०वृ० ६/९१) प्रेमवासनाजनित (वि०) ०स्मरज। ०कामवासना से युक्त। (जयो० १२/६५) प्रेमव्यवहारः (पुं०) प्रेमभाव, समान स्नेह। ०समप्रीति। प्रेमसमुत्पादिक (वि०) प्रेमामृत, प्रेमपीयूष। (समु० ४/१०) प्रेमाधार (वि०) स्नेह का आधार। प्रेमामूल्य (वि०) अत्यधिक प्रेम। प्रेमाश्रयः (पुं०) प्रेमाधार। प्रेमाश्रु (नपुं०) नयनोदक। (जयो० १३/२) स्नेहाश्रु, हर्षाश्रु। प्रेमिकर (वि०) प्रेम करने वाला। स्नेही। प्रेमिन् (वि०) [प्रेमन्+ इनि] प्रेमी, स्नेही, प्रेम करने वाला। प्रेमोचित (वि०) ०हार्दोचित, ०हृदयोचित, प्रेम से परिपूर्ण, स्नेह से परिपूर्ण। प्रेम्णा (सं०कृ०) प्रीत्या।- प्रीति करके। प्रेम्णोचित (वि०) प्रेमोचित, प्रेमपूर्वक, स्नेह से परिपूर्ण। प्रेयस् (वि०) [प्रिय+प्रिय ईयसुन] अधिक प्रिय, विशेष अनुराग योग्या प्रेयस् (पुं०) पति, प्रेमी। प्रेयसी (स्त्री०) प्रेमी स्त्री, अधिक प्रियतमा स्त्री। प्रेयोपत्यः (पुं०) [अपत्यानां प्रेयः] बगुला, कंकपक्षी। प्रेरक (वि०) [प्राईर् णिच्+ण्वुल्] ०उत्तेजित उद्दीपक। प्रेरित करने वाला, प्रेरणाशील। प्रेरकप्रसंगः (पुं०) अनुकूल प्रसंग। प्रेरणादायी प्रसंग। प्रेरकभावः (पुं०) उत्तेजित भाव। प्रेरकयोगी (वि०) प्रेरणाशील योगी। प्रेरिका (स्त्री०) प्रेरणा देने वाली स्त्री। (जयो० ५/७२) प्रेरणं (नपुं०) [प्र+ई+णिच्+ल्युट्] ०आवेग, अवेश। ० फेंकना, डालना, गिराना। ० भेजना, आदेश, निवेश। उत्तेजित करना, उकसाना, आगे बढ़ाना। प्रेरणा (स्त्री०) [प्राईर् णिच् टाप्] प्रेरित करना, आगे बढ़ाना। आवेग, आवेश। आदेश, निदेश। प्रेरय् (सक०) प्रेरित करना, आगे बढ़ाना। प्रेरित (भू०क०कृ०) [प्र+ई+णिच्+क्त] उत्तेजित किया, उकसाया गया। ०बढ़ाया गया। (जयो० ५/४) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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