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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रादेशिनी ७३८ प्राप्तव्यवहार प्रादेशिनी (स्त्री०) [प्रादेश+ इनि+ङीप्] तर्जनी अंगुली। प्रादोष (वि०) [प्रदोष अण्] सन्ध्याकालीन, सायंकालीन। प्रादोषः (पुं०) संध्या, रात्रि से सम्बंधित समय। प्रादोषिकीक्रिया (स्त्री०) ०रात्रिक क्रिया, दोष युक्त क्रिया। क्रोधावेश से होने वाली क्रिया। प्राधनिकं (नपुं०) [प्रधान संग्राम तत्साधनमस्य प्रधन+ठक्] नाशकारक अस्त्र। प्राधानिक (वि०) [प्रधान+ठक्] अत्यंत श्रेष्ठ, प्रमुख, सर्वोत्तम, सर्वोपरि, अतिपूज्य। प्रमुखता से युक्त। प्राधान्यं (नपुं०) [प्रधान+ष्यञ्] प्रमुखता, सर्वोपरिता, प्रधानता। ०प्रभुत्वा ०बाहुल्य, सर्वोच्चता। मुख्य, प्रधान का कारण। प्राधान्यपदं (नपुं०) अन्यान्य वृक्ष के साथ अवस्थित होना, वृक्षों की अधिकता का स्थान। ०सर्वोपरि पद। उच्च स्थान। प्राधीत (वि०) [प्र+अधि+इ+क्त] विशिष्ट अध्ययनशील, अति अभ्यासी। प्राध्व (वि०) [प्रगतोऽध्वानम्] ०दूरवर्ती, दूर झुका हुआ। ०अनुकूल। ०कसा हुआ, बंधा हुआ। प्राध्वं (अव्य०) ०अनुकूलता के साथ, ०रुचिपूर्वक, समनुरूपता के साथ उपयुक्तता से युक्त। प्रांतः (पुं०) [प्रकृष्टः अन्तः] ०भाग, हिस्सा, एक सीमा, हद। उग्रभाग, किनारा, तट। (वीरो० २/१२) विषय, बिन्दु (जयो० १/६९) प्रांतगत (वि०) विषयगत। (जयो० १७/४०) 'कर्णयोः प्रान्ते गतः प्राप्त कृतः' (जयो०वृ० १/६९) समीप-दृशोःश्रुतिप्रान्तगतो विलासः। (सुद० २/८) प्रान्तगेह (वि०) निकटवर्ती गृह। प्रान्तदुर्गं (नपुं०) किले के निकटस्था प्रान्तद्वारः (पुं०) द्वार के समीप। प्रान्तपातिन् (वि०) प्रान्त में गिरनेवाले। 'प्रान्ते पतन्तीति प्रान्तपातिनस्ते मधुनिहः' (जयो०१० ६/१३०) प्रान्तभागः (पुं०) अग्रभाग, प्रधान हिस्सा। (दयो० १०) (जयोवृ० १/५६) प्रान्तवर्तिनी (वि०) निकटवर्ती, समीपस्था प्रान्तवर्ती (वि०) ०अन्तस्थ, निकटस्थ, समीपस्थ, समीप में रहने वाला। (जयो० १६/४०, जयो० २०/४८) प्रान्तोद्यानं (नपुं०) तटवर्ती आराम, निकटवर्ती बगीचा। (जयो०वृ० १४/१) प्रापक (वि०) [प्र+आप्+ण्वुल] ले जाने वाला, पहुंचाने वाला। प्राप्त कराने वाला, स्थापित करने वाला। प्रापणं (नपुं०) [प्र+आप+ ल्युट्] ०पहुंचना, बढ़ना, आयन। ०प्रयायन। (जयो० २३/८४) ०अधिग्रहण, अवाप्ति, मंगवाया। (जयो० २/११३) ०ले जाना। सामग्री से युक्त करना। प्रापणिकः (पुं०) [प्र+आ+पण+किकन्] सौदागर, व्यापारी। प्रापित (भू०क०कृ०) [प्र+आप+क्स] गृहीत। (जयो० २४/५, जयो० १/१३) ले गया। (सुद० १०५) राज्ञोऽग्रतः प्रापित एवमैतैः' (सुद० १०५) प्रापितविद्य (वि०) प्रालब्ध बोध, बोध को प्राप्त हुआ। (जयो० २४/११४) प्राप्त (भू०क०कृ०) [+आप+क्त] ०अवाप्त, उपलब्ध, अर्जित। मिला हुआ, पहुंचा हुआ, आया हुआ। उपस्थित। ०पूरा किया हुआ। उचित, सही, श्रेष्ठ। नियम के अनुसार। प्राप्तकारिन् (वि०) उचित कार्य करने वाला। नियम युक्त। प्राप्तकाल (वि०) समयानुकूल, यथा ऋतु। उपयुक्त। विवाहयोग्य। प्राप्तपंचत्व (वि०) पांच तत्त्वों का समावेश। प्राप्तप्रसव (वि०) प्रसूति को प्राप्त हुआ। प्राप्तवृद्धि (वि०) वृद्धिगत। वृद्धि के अनुसार। प्राप्तभारः (पुं०) बोझा ढोने वाला पशु। प्राप्तमनोरथ (वि०) पूर्ण मनोरथ वाला। प्राप्तयौवन (वि०) तरुण अवस्था, वयस्क, जवान। प्राप्त रूप (वि०) सुंदर, मनोहर। प्राप्तव्यवहार (वि०) कार्य की ओर सजग। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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