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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रातिका ७३७ प्रादेशिकः प्रातिका (स्त्री०) [प्र+अत्+ण्वुल्+टाप्] जवा का पौधा। । प्रातिहन्त्रं (नपुं०) [प्रतिहन्त अण्] ०प्रतिशोध, बदला। प्रातिकूलिका (वि०) [प्रतिकूल+ठक्] विरुद्ध, विरोधी, प्रतिकूल प्रातिहारः (पुं०) [प्रतिहार+अण] ०ऐन्द्रजातिक, जादूगर, रहने वाला। वशीकरण कर्ता। प्रातिकूल्यं (नपुं०) [प्रतिकूल+ष्यञ्] प्रतिकूलता, विरोध, प्रतिहारकः (पुं०) [प्रतिहार+अण्+कन्] जादूगर, ऐन्द्रजालिक। शत्रुता। (सुद० ११०) अननुकूलता, अमैत्रीपूर्णता। प्रातिहार्यः (पुं०) अशोकवृक्षादि अष्ठ प्रातिहार्य। (भक्ति०२१) प्रातिजनीन (वि०) [प्रतिजन+खञ्] शत्रु का मुकाबला करने अशोकवृक्ष, सिंहासन, छत्रत्रय, भामण्डल, दिव्यध्वनि, वाला। पुष्टवृष्टि, चार और दुन्दुभिवाद्य। प्रातिज्ञं (नपुं०) [प्रतिज्ञा+अण्] विराचाधीन विषय। प्रातिहारिकः (पुं०) ऐन्द्रजालिका प्रातिदैवसिक (वि०) [प्रतिदिवस्+ठक्] प्रतिदिन होने वाला। प्रातीतिक (वि०) [प्रतीति+ठन्] काल्पनिक, केवल मन में प्रातिपक्ष (वि०) [प्रतिपक्ष अण] विरुद्ध, प्रतिकूल। विद्यमान। ___०शत्रुतापूर्ण, शत्रुसम्बंधी। मानसिक। प्रातिपक्ष्यं (नपुं०) [प्रतिपक्ष+ष्यञ्] ०शत्रुता, विरोधिता। प्रातीपः (पुं०) [प्रतीप+अण्] एक नाम विशेष। प्रातिपद (वि०) [प्रतिपदा+अण] प्रतिपदा से सम्बद्ध। प्रातीपिक (वि०) [प्रतीप+ठक्] विरोधी, विपरीत, उलटा। उपक्रम करने वाला। प्रात्यन्तिकः (पुं०) [प्रत्यन्त+ठक्] प्रत्यन्त कुमार। प्रातिपादिकः (पुं०) [प्रतिपदा+ठब] ०अग्नि, आग, अगनी। प्रात्ययिक (वि०) [प्रत्यय+ठक्] विश्वास पात्र भरोसे वाला। प्रातिपादिकं (नपुं०) विभक्ति चिह्न में जुड़ने से पूर्व संज्ञा शब्द। प्रात्ययिकक्रिया (स्त्री०) पापासवकारी क्रिया। प्रातिपौरुषिक (वि०) [प्रतिपुरुष+ठक] पराक्रम से संबंधित। प्रात्यहिक (वि०) [प्रत्यह+ठक्] नित्य, प्रतिदिन। ०पौरुषेय सम्बंधी। प्राथमिक (वि०) [प्रथम+ठक] प्रारम्भिक, पूर्वकाल का। प्रातिभ (वि०) [प्रतिभा+अण] दिव्यता से सम्बंधित। ०पुरातन सम्बंधी, पहली बार होने वाला। प्रातिभं (नपुं०) प्रतिभा, विशद कल्पना। प्राथम्यं (नपुं०) [प्रथम+ष्यञ्] प्रथम होना, पहला दृष्टान्त। प्रातिभाज्यं (नपुं०) [प्रतिभू+ष्यञ्] प्रतिभूति होना, उत्तरदायी प्रादक्षिण्यं (नपुं०) [प्रदक्षिण+ष्यन्] प्रदक्षिणा किए जाने वाला। होना। प्रातिभासिक (वि०) [प्रतिभास+ठक्] वास्तविक, प्रत्यक्ष प्रादुस (अव्य०) प्रकट रूप से, स्पष्टतः, दृष्टि में। दिखाई देने वाला। प्रादुष्करणं (नपुं०) प्रकटीकरण। प्रातिलोमिक (वि०) [प्रतिलोम+ठक्] विरोधी, शत्रुतापूर्ण, आहार उत्पादन दोष, दृश्यमान होना, स्पष्ट दिखाई पड़ना। अरुचिकर। प्रादुष्कृत् (वि०) संक्रमण स्थान सम्बंधी दोष। प्रातिलोम्यं (नपुं०) [प्रतिलोम+ष्यञ्] ०व्युत्क्रान्त, प्रतिकूल प्रादुर्भावः (पुं०) अस्तित्व में आना, उदय होना, प्रकट होना। क्रम। उल्टापन। विरोध, शत्रुता। ०दर्शन, दृश्यमान होना, उत्पत्ति। (जयो०वृ० १/१०३) प्रातिवेशिकः (पुं०) [प्रतिवेश+ठक्] पड़ौसी, निकटवर्ती जन। सुनने योग्य होना। प्रातिवेश्मक (पुं०) [प्रतिवेश्म+अण+कन्] पड़ौसी, समीपस्थ- प्रादुर्भूत (वि०) उत्पन्न हुआ। (सुद० ७८) प्रादुष्यं (नपुं०) [प्रादुस्+यत्] प्रकटीकरण। प्रतिवेश्यकः (पुं०) [प्रतिवेश+ष्यञ्-कन] पड़ौसी, नजदीकी जन। प्रादेशः (पुं०) [प्र+दिश्+घञ्] स्थान, जगह, प्रदेश। प्रातिवेश्यः (पुं०) [प्रतिवेश ष्यञ्] घर के समीपस्थ रहने अंगूठे और तर्जनी के मध्य का स्थान। वाला पड़ौसी। प्रादेशनं (वि०) [प्र+आ+दिश+ल्युट] ०भेंट, उपहार, दान। गृह समीपवर्ती। प्रादेशिक (वि.) [प्रदेश+ठक] पूर्व दृष्टान्त वाला, सीमित, प्रातिशाख्यं (नपुं०) [प्रतिशाख भव ज्य] ०व्याकरणशास्त्र। स्थानीय। ०वेद की एक शाखा। यथार्थ। प्रातिस्विक (वि०) [प्रतिस्वठक्] विशिष्ट, ०असामान्य, | प्रादेशिकः (पुं०) [प्रदेश+ठक घञ्] प्रदेश से सम्बन्ध रखने अपना, निजी। वाला, एक प्रदेश का। जन। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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