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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राणान्तः ७३६ प्रातिः १००) प्राणान्तः (पुं०) मृत्यु, मरण। प्राणिहिता (वि०) उपानह, जूता। प्राणान्तिक (वि०) घातक, नश्वर। प्राणी (स्त्री०) प्राणा अस्य सन्तीति प्राणी। (धव० ९/२२०) प्राणापहारिन् (वि०) घातक, प्राण नाशक। प्राणदान् जीव। चार से दश तक के प्राण वाले प्राण। प्राणापानं (नपुं०) उदरगत वायु का निकालना। प्राणीत्यं (नपुं०) [प्राणीत+ष्य] ऋण, कर्ज। प्राणायनं (नपुं०) ज्ञानेन्द्रिय। प्राणेश्वरः (पुं०) प्राणनाथ। (वीरो० ४/३२) आत्मनाथ प्राणायामः (पुं०) एक श्वांस प्रक्रिया, आसन विशेष। (सुद० (जयो०वृ० १२/१०) हृदयेश्वर। (जयो०वृ० १५/४८) तीन योगों का निग्रह, श्वास-प्रश्वास का रोकना। सिद्धिः स्वामी, पति, प्राणेश। प्रिया यस्य गुणप्रमातुरूपक्रिया, केवलमाविभातु। जीवनदाता, प्राणाधार। (सुद० ११३) निरीहचित्त्वाक्षजयोऽथवा तु प्राणस्य चायाम उदर्कपातुः।। प्राणेश्वरविरहवदा (वि०) स्वामी के विरह से पीड़ित दिशा, (वीरो १८/२३) ईश्वरोज्झनदिशः। (जयो०वृ० ५/८) प्राणायामवृत्तिः (स्त्री०) प्राणायाम करने की प्रक्रिया। | प्रातर (अव्य०) [प्र+अत्+अरन्] ०प्रातः, प्रभात, प्रात:काल, (जयोवृ० २८/५४) स्वरों को साधने की वृत्ति। ०ध्यान (सुद० २/२५) विधि। ०पौ फटना, सुबह होना। प्राणायु (पुं०) आयुर्वेद, प्राणविधि, अष्टांग विधि निरूपण। प्रभातकाल में प्रातः काल में। प्राणवाद पूर्व। अगले दिन। (जयो० २/२३) प्राणावायपूर्वः (पुं०) प्राणवादपूर्व। अष्टांग आयुर्वेद का एक प्रातरासाः (पुं०) कलेवा, प्रातः काल सम्बंधी भोजन। प्राचीन ग्रंथा प्रातरेव (अव्य०) प्रात:काल की। (दयो०१८) प्राणासंयमः (पुं०) छह प्रकार के जीवों का प्राणपीडन। प्रातःकर्मन् (नपुं०) प्रात:काल के कार्य स्नान, ध्यानादि। प्राणित (वि०) [प्र+अन्+क्त] जीवित, जीवधारी। प्रातःकार्य (नपुं०) प्रातः करने योग्य क्रिया। प्राणिताप्त्वा (वि०) दृढ़तापूर्वक। (सुद० ८५) प्रातःकृत्यं (नपुं०) प्रभातवेला के करणीय कार्य। प्राणितार्थिनी (वि०) विचारपूर्वक। (सुद०८५) प्रातःकालः (पुं०) प्रभातकाल, सुबह, विभात। (जयो०५/२७) प्राणिन् (वि०) [प्राण+इनि] सांस लेने वाला, जीने वाला। प्रातःगेय (वि०) प्रभात में गाने योग्य। अघटितघटनां करोति कर्म, प्राणिनां सदाऽऽपदं च शर्म। प्रात:त्रिवर्गा (स्त्री०) गंगा नदी। (दयो० ४४) प्रात:दिनं (नपुं०) दोपहर। प्राणिन् (पुं०) जीवित, प्राणधारी। प्रातःप्रहरः (पुं०) दिन का प्रथम प्रहर। प्राणिज्ञात (वि०) प्राणों को प्राप्त हुआ। प्रातःभोक्तु (पुं०) काक, कौवा। प्राणिपीड़ा (स्त्री०) प्राणिघात। (दयो० ३५) प्रात:भोजनं (नपुं०) कलेवा, स्वल्पाहार। प्राणिमात्रं (वि०) जीव मात्र, चेतना युक्तवान्, समग्र प्राणवान्। प्रातःसन्ध्या (स्त्री०) प्रभातकालीन भजन। (जयो० १५/५२, वीरो० १८/३१) प्रातःसमयः (पुं०) प्रभातसमय। (जयो०वृ० १९/९) प्राणिरक्षण (वि०) अहिंसा, प्राणदान देना। (जयो० १/११३) प्रातःसवः (पुं०) प्रात:कालीन तर्पण। प्राणिवध (वि०) प्राणिघात। (दयो० ३९) प्रातःस्नानं (नपुं०) प्रभातकालीन मज्जन/स्नान। प्राणिवर्गः (पुं०) जनसमूह, सत्त्व सञ्चय। (जयो० ७/९७, प्रातस्तन (वि०) [प्रात+टयु] प्रात:काल से सम्बद्ध। जयो०वृ० १/९६) प्रातस्तराम् (अव्य०) [प्रातर्+तरप्+आम्] बहुत प्रभात में, प्राणिहिंसा (स्त्री०) जीव हिंसा, प्राणों से युक्त जीवों का सुबह-सुबह। समारम्भ। कर्षणे खसम्पातकरणे सिञ्चने।। प्रातस्त्य (वि०) [प्रातर्+त्यक्] सुबह का, प्रभातकालीन। प्राणिहारिन् (पुं०) यम, यमराज। (दयो० ३६) । प्रातिः (स्त्री०) [प्र+अत्+इन्] अंगूठे और तर्जनी के बीच का (जयो० २/१०२) स्थान। झरना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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