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प्राणान्तः
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प्रातिः
१००)
प्राणान्तः (पुं०) मृत्यु, मरण।
प्राणिहिता (वि०) उपानह, जूता। प्राणान्तिक (वि०) घातक, नश्वर।
प्राणी (स्त्री०) प्राणा अस्य सन्तीति प्राणी। (धव० ९/२२०) प्राणापहारिन् (वि०) घातक, प्राण नाशक।
प्राणदान् जीव। चार से दश तक के प्राण वाले प्राण। प्राणापानं (नपुं०) उदरगत वायु का निकालना।
प्राणीत्यं (नपुं०) [प्राणीत+ष्य] ऋण, कर्ज। प्राणायनं (नपुं०) ज्ञानेन्द्रिय।
प्राणेश्वरः (पुं०) प्राणनाथ। (वीरो० ४/३२) आत्मनाथ प्राणायामः (पुं०) एक श्वांस प्रक्रिया, आसन विशेष। (सुद० (जयो०वृ० १२/१०)
हृदयेश्वर। (जयो०वृ० १५/४८) तीन योगों का निग्रह, श्वास-प्रश्वास का रोकना। सिद्धिः स्वामी, पति, प्राणेश। प्रिया यस्य गुणप्रमातुरूपक्रिया, केवलमाविभातु। जीवनदाता, प्राणाधार। (सुद० ११३) निरीहचित्त्वाक्षजयोऽथवा तु प्राणस्य चायाम उदर्कपातुः।। प्राणेश्वरविरहवदा (वि०) स्वामी के विरह से पीड़ित दिशा, (वीरो १८/२३)
ईश्वरोज्झनदिशः। (जयो०वृ० ५/८) प्राणायामवृत्तिः (स्त्री०) प्राणायाम करने की प्रक्रिया। | प्रातर (अव्य०) [प्र+अत्+अरन्] ०प्रातः, प्रभात, प्रात:काल,
(जयोवृ० २८/५४) स्वरों को साधने की वृत्ति। ०ध्यान (सुद० २/२५) विधि।
०पौ फटना, सुबह होना। प्राणायु (पुं०) आयुर्वेद, प्राणविधि, अष्टांग विधि निरूपण। प्रभातकाल में प्रातः काल में। प्राणवाद पूर्व।
अगले दिन। (जयो० २/२३) प्राणावायपूर्वः (पुं०) प्राणवादपूर्व। अष्टांग आयुर्वेद का एक प्रातरासाः (पुं०) कलेवा, प्रातः काल सम्बंधी भोजन। प्राचीन ग्रंथा
प्रातरेव (अव्य०) प्रात:काल की। (दयो०१८) प्राणासंयमः (पुं०) छह प्रकार के जीवों का प्राणपीडन। प्रातःकर्मन् (नपुं०) प्रात:काल के कार्य स्नान, ध्यानादि। प्राणित (वि०) [प्र+अन्+क्त] जीवित, जीवधारी।
प्रातःकार्य (नपुं०) प्रातः करने योग्य क्रिया। प्राणिताप्त्वा (वि०) दृढ़तापूर्वक। (सुद० ८५)
प्रातःकृत्यं (नपुं०) प्रभातवेला के करणीय कार्य। प्राणितार्थिनी (वि०) विचारपूर्वक। (सुद०८५)
प्रातःकालः (पुं०) प्रभातकाल, सुबह, विभात। (जयो०५/२७) प्राणिन् (वि०) [प्राण+इनि] सांस लेने वाला, जीने वाला। प्रातःगेय (वि०) प्रभात में गाने योग्य।
अघटितघटनां करोति कर्म, प्राणिनां सदाऽऽपदं च शर्म। प्रात:त्रिवर्गा (स्त्री०) गंगा नदी। (दयो० ४४)
प्रात:दिनं (नपुं०) दोपहर। प्राणिन् (पुं०) जीवित, प्राणधारी।
प्रातःप्रहरः (पुं०) दिन का प्रथम प्रहर। प्राणिज्ञात (वि०) प्राणों को प्राप्त हुआ।
प्रातःभोक्तु (पुं०) काक, कौवा। प्राणिपीड़ा (स्त्री०) प्राणिघात। (दयो० ३५)
प्रात:भोजनं (नपुं०) कलेवा, स्वल्पाहार। प्राणिमात्रं (वि०) जीव मात्र, चेतना युक्तवान्, समग्र प्राणवान्। प्रातःसन्ध्या (स्त्री०) प्रभातकालीन भजन। (जयो० १५/५२, वीरो० १८/३१)
प्रातःसमयः (पुं०) प्रभातसमय। (जयो०वृ० १९/९) प्राणिरक्षण (वि०) अहिंसा, प्राणदान देना। (जयो० १/११३) प्रातःसवः (पुं०) प्रात:कालीन तर्पण। प्राणिवध (वि०) प्राणिघात। (दयो० ३९)
प्रातःस्नानं (नपुं०) प्रभातकालीन मज्जन/स्नान। प्राणिवर्गः (पुं०) जनसमूह, सत्त्व सञ्चय। (जयो० ७/९७, प्रातस्तन (वि०) [प्रात+टयु] प्रात:काल से सम्बद्ध। जयो०वृ० १/९६)
प्रातस्तराम् (अव्य०) [प्रातर्+तरप्+आम्] बहुत प्रभात में, प्राणिहिंसा (स्त्री०) जीव हिंसा, प्राणों से युक्त जीवों का सुबह-सुबह। समारम्भ। कर्षणे खसम्पातकरणे सिञ्चने।।
प्रातस्त्य (वि०) [प्रातर्+त्यक्] सुबह का, प्रभातकालीन। प्राणिहारिन् (पुं०) यम, यमराज। (दयो० ३६) । प्रातिः (स्त्री०) [प्र+अत्+इन्] अंगूठे और तर्जनी के बीच का (जयो० २/१०२)
स्थान। झरना।
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