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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राणकः ७३५ प्राणाधिपः ०इन्द्रिय, बल, वायु, उच्छवासादि। (सुद० १२९) प्रकर्षेण नयतीति प्राणः। जिससे जीवन धारण किया जाता है। जीवेंति जेहिं जीवा पाणा ते होंति। (धव० १/२५६) शारीरिक बल। प्राणकः (पुं०) जीवनद्रुम। (जयो० २१/२७) प्राणक (पुं०) [प्राण+कै+क] जीवधारी। (जयो०० २१/२७) हितकारी जीवन, जीवित प्राणी प्राणभृत। (जयो० ८/३७) प्राणकृच्नं (नपुं०) जीवन में भय, प्राणों पर आपत्ति, प्राणबाधा। प्राणघातक (वि०) जीवननाशक। प्राणघ्न (वि०) जीवन विध्वंसक, प्राण नष्ट करने वाला। प्राणछेदः (पुं०) हत्या, वध। प्राणत (वि०) झुका हुआ। (जयो०वृ० १३/८९) प्राणत्यागः (पुं०) आत्महत्या, मृत्यु, मरण, देहपरित्याग। प्राणदं (नपुं०) जल, नीर, पानी। प्राणदक्षिणा (स्त्री०) प्राणाहूति। प्राणदण्डः (पुं०) मृत्युदण्ड। प्राणदयितः (पुं०) पति। प्राणदात्री (वि.) प्राण देने वाली, जीवन दायिनी। (जयो० २०/७३) असुदा। प्राणदायकः (पुं०) पति। प्राणदायिनी (वि०) प्राण देने वाली। प्राणदोहः (पुं०) जीवन के प्रति द्रोह। प्राणों के प्रति द्रोह करने वाला। प्राणधारणं (नपुं०) भरण पोषण, जीवन आश्रय, जीवनशक्ति। प्राणनाथः (पुं०) प्रवर। (जयो० १६/४४) प्रेमी, पति, प्रिय। (जयो० ) ०यम। प्राणनिग्रहः (पुं०) श्वांस रोकना, जीवन बचाना। प्राणपतिः (पुं०) प्रिय, प्रेमी, पति। (जयो० १४/३२) प्राणपरिक्रयः (पुं०) जीवन की चिन्ता न करना। प्राणपरिग्रहः (पुं०) जीवनग्रहण, जीवन का अस्तित्व। प्राणप्रणेता (वि०) धीर, बलशाली। (जयो०८/४७) प्राणप्रद (वि०) जीवन देने वाला। आजीवनदायिनी। (जयो० २४/१२१) प्राणप्रमाणं (नपुं०) मृत्यु, मरण। प्राण निकलना। प्राणप्रियः (पुं०) ०प्यारा, ०पति, स्वामी। (दयो० ८८) (दयो०वृ० १२/१२) प्राणभक्ष (वि०) वायुभक्षी। जीवन भक्षण करने वाला। प्राणभास्वत् (पुं०) सागर, समुद्र। प्राणभूत (पुं०) प्राणधारी। प्राणभृत (पुं०) प्राणयुक्त। (वीरो० ६/११) प्राणमोक्षणं (नपुं०) प्राणत्याग, प्राणपरित्याग, मरण मृत्यु। प्राणयात्रा (स्त्री०) आजीविका साधन, भरण-पोषण। प्राणयोनिः (स्त्री०) जीवनाधार, जीवन स्रोत। प्राणरन्ध्र (नपुं०) मुंह, नथना। प्राणरोधः (पुं०) श्वासावरोध, जीवन को आघात। प्राणवल्लभः (पुं०) प्राणेश, पति। प्राणेशस्य वरस्यय पतिः। (जयो० १५/१) प्राणवादपूर्वः (पुं०) प्राणायु, एक पूर्व, जिसमें अष्टांग आयुर्वेद है। आयुर्वेद का प्राचीन शास्त्र। प्राणविनाशः (पुं०) प्राणहानि, मृत्यु, मरण। प्राणविप्लव: (पुं०) मरण, मृत्यु। प्राणवियोगः (पुं०) जीवन नाश, जीव बिछोह। (सुद० ११९) प्राणव्ययः (पुं०) व्युत्सर्ग, प्राण परित्याग, मरण, मृत्यु। प्राणसंयमः (पुं०) श्वांस निरोध, आत्मसंयम। प्राणसंशयः (पुं०) जीवन संदेह, मृत्युभय। प्राणसंदेहः (पुं०) मृत्युभय, प्राणाशङ्का। प्राणसद्मन् (नपुं०) देह, शरीर। प्राणसम्पादनकत्री (वि०) असुदेवता, प्राणदायिनी। (जयोवृ० २०/८३) प्राणसारः (वि०) बलवान्, बलिष्ट, शक्तिशाली। प्राणहर (वि०) प्राणघातक, जीवन नष्ट करने वाला, फांसी, मृत्युदण्ड प्राणान् हरतीति (जयो० १/७) प्राणहारक (वि०) प्राण हरण करने वाला, विष, घातक अस्त्र-शस्त्र। प्राणाचार्यः (पुं०) वैद्य, डॉक्टर, आयुर्वेदाचार्य। (जयो०वृ० ३/६, ६/१०) प्राणातिपातः (पुं०) प्राणहरण, प्राण लेना, वध, मृत्यु। पाणेहितो पाणीणं विजोगो। प्राणात्ययः (पुं०) प्राण लेना, जीवन हानि। प्राणवियोग। (सुद० ११९) प्राणाधारः (पुं०) जीवन नायक, पति। प्राणाधिक (वि०) प्राणप्रिय। प्राणादपीष्ट (वि०) प्राण प्रिय। प्राणों से भी अधिक इष्ट। प्राणाधिनाथः (पुं०) पति, भर्ता, स्वामी। प्राणाधिपः (पुं०) पति, प्राणप्रिय। ०आत्मा। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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