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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राकृतमित्रं ७३३ प्राच, प्राञ्च 'सहजो वचन व्यापारः प्रकृतिः, तत्र भवं सैव वा प्राकृतम्' जो सहज/स्वाभाविक वचन व्यापार है वह प्रकृति है, उससे उत्पन्न प्राकृत है। प्राकृतमित्रं (नपुं०) नैसर्गिक मित्र। प्राकृतिक (वि०) [प्रकृति+ठञ्] प्रकृतिजन्य। नैसर्गिक, स्वाभाविक। एतत्प्राकृतिक दृश्यमनिष्टं नेष्टर्मित्यपि। (हित० ५९) ०प्रकृति से उत्पन्न। सहज, सर्वप्रथम। (जयो०वृ० १०/५०) ०भ्रान्तिजनक, भ्रमोत्पादक। प्राकतन (वि०) [प्राच्+टयु] ०पहला, पूर्व का, पिछला। पुराना, प्राचीन, पुरातन। ०पूर्वजन्म से सम्बंध, पूर्व जन्म में किए गए कार्य। प्राक्कर्मन् (नपुं०) पूर्वजन्म कृत कार्य। प्राक्कालः (पुं०) पुरातन समय। प्राक्कालीन (वि०) पूर्वकाल से सम्बंध रखने वाला। प्राक्कूल (वि०) पूर्वदिशा की ओर। प्राक्कृतं (नपुं०) पूर्व जन्म का कार्य। प्राक्चरण (वि०) पुरातन आचरण, प्राखर्यं (नपुं०) [प्रखर+ष्यञ्] ०पैनापन, तीक्ष्णता, दुष्टता। प्रागल्भ्यं (नपुं०) [प्रगल्भ+ष्यञ्] ०साहस, भरोसा। ० अहंकार, अभिमान। ०प्रवीणता, कुशलता। विकास, बड़प्पन, परिपक्वता। ०वाक्चातुर्य, वचन कौशल। ०धूमधाम, मर्यादा। ०धृष्टता, ढिठाई। प्रागभावः (पुं०) कार्य से पूर्व जो उसका अभाव रहता है, जिसकी निवृत्ति होने पर ही कार्य की उत्पत्ति होती है। कार्योत्पत्ति के पूर्व पर्याय में कार्य का अभाव होना प्रागभाव है। (जयो० हि० २६/८७)। प्रागादेशी (पुं०) पूर्व आदेश वाली। (हित० ७) प्रागारः (पुं०) [प्रकृष्टः आगारः] भवन, गृह, घर। प्रागुत्थित (वि०) पूर्वदिशिसञ्जात, पूर्व दिशा में उत्पन्न हुआ। (जयो० १८/२२) प्रागेव (अव्य०) पहले ही, पूर्व ही। समम्यवाञ्छियत्तेन प्रागेव समपादितत्। (वीरो० ८/२) प्राग्भव (वि०) पूर्वभव में उत्पन्न। (सुद० ४/१६) प्राग्भागः (पुं०) प्राचीन, पुरा। (जयो०वृ० १/५) प्राग्भाषी (वि०) पहले से ही कथन करने वाला। प्रागुं (नपुं०) उच्चतम बिन्दु। प्राग्रसर (वि०) प्रथम, अग्रणी। प्राग्रहर (वि०) मुख्य, प्रधान। प्राग्जन्मन् (नपुं०) पूर्वजन्म। प्राग्जातिः (स्त्री०) पूर्व उत्पत्ति, प्रथम उत्पत्ति। प्राग्ज्योतिषः (पुं०) एक देश का नाम। प्राग्देशः (पुं०) पूर्वदिशा का द्वार। प्राग्रूपः (पुं०) प्रथम रूप, आद्य रूप। प्राग्विषद (वि०) पहले जल दायी। (वीरो० २१४८) प्रथम विष प्रदायी। प्राग्यु (वि०) [प्राग्र+यत्] मुख्य, उचित, श्रेष्ठ। ०अग्रणी, प्रधान। उत्तम, अतिश्रेष्ठ। प्रागाटः (पुं०) [प्राग्+अट्+अच्] पतला जमा हुआ दूध। प्राघदं (नपुं०) पाप, बुराकर्म। (वीरो० १६/२४) प्राघातः (पुं०) [प्रकृष्टं आघात:] युद्ध, संग्राम, लड़ाई। प्राधारः (पुं०) [प्र+घृ+घञ्] टपकना, बूंद बूंद गिरना, रिसना। प्राघुणः (पुं०) [प्र+घुण+क] पाहुना, अतिथि, अभ्यागत। प्राघुणकः (पुं०) [प्र+घृण+कन्] पाहुना, अभ्यागत, अतिथि, मेहमान। प्राघूणिकः (पुं०) पाहुना, अतिथि। प्राघूर्णकः (पुं०) [प्राघूर्ण+ठञ्] ०अतिथि, पाहुना, मेहमान, आ निकला हुआ मुसाफिर, अभ्यागत। (दयो०६०) विद्याभ्यासक विद्यार्थी (हित० ४९) 'आगतस्य गृहे प्राप्तस्य प्राघूर्णिकस्य अभ्यागतस्य' (जयो०१० २/९२) प्रघूर्णिकः (पुं०) देखो ऊपर। प्राङ्गं (नपुं०) [प्रकृष्टमगं यस्य] एक प्रकार की ढोल, पणव। प्राङ्गणं (नपुं०) [प्रकर्षण, अंगनं गमनं यत्र] आंगन। (दयो० ७०) अनादित स्थल। (जयो० २/१४८) प्राङ्गविवाकः (पुं०) न्यायधीश। प्राङ्गनिशा (स्त्री०) पूर्व रात्रि। गुरुपदयोर्मदयोगं त्यक्त्वा प्राङ्निशि यस्योद्धरणा। (सुद० ९६) एक ढोल विशेष। ०प्रणवा प्राच्, प्राञ्च् (वि०) [प्र+अञ्च+क्विन्] सामने की ओर मुड़ा हुआ, बिल्कुल आगे, अग्रणी। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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