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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवयणं प्रवालता प्रवयणं (नपुं०) [प्र वे+ल्युट्] बुने हुए कपड़े का ऊपर प्रवर्तिनी (स्त्री०) अधिष्ठात्री, अधिकारिणी। का भाग। निरोधनी, प्रवेशिनी। निर्देशिनी, वर्तिनी। अंकुश। प्रवर्तित (वि०) प्रोत्साहित, प्रेरित किया। प्रवयस् (वि०) [प्रगता वयो यस्य] ०बड़ी उम्र का व्यक्ति। प्रवर्ध बढ़ना। (वीरो० १९/३) अधेड़ वृद्ध। प्रवर्धनं (नपुं०) [प्र+व+ ल्युट्] बढ़ाना, वृद्धि करना। प्रवर (वि०) [प्र+व+अप्] मुख्य, श्रेष्ठ, उत्तम, प्रधान। (जयो०वृ०३/९२) (सुद० २/१०) प्रवर्षः (पुं०) [प्र+वृष्+घञ्] मूसलाधार वर्षा, उत्तम वर्षा, ०सर्वोत्तम, उत्कृष्ट, उन्नत। (सुद० ८१) तेज बारिश, अच्छी बरसात। ०कान्तिमान्, चतुर। (जयो० १/५६) प्रवर्षणं (नपुं०) [प्र+वस्+ल्युट्] प्रवास, विदेश गमन, यात्रा। श्रीमान्, महानुभाव, भाग्यशाली, महायश। प्रवहः (पुं०) [प्र+व+अच्] ०पवन, वायु। प्रवरः (पुं०) बुलावा, आह्वान। ०बहना, धार बनाना। कुरु, वंश, परिवार। प्रवहणं (नपुं०) [प्र+व+ल्युट्] प्रवाह, बहना। प्राणनाथ। (जयो० १६/४४) व्यान, वाहन, सवारी। पूर्वज, वंशज, संतान। ०पोत, जहाज। प्रवरं (नपुं०) अगर चंदन की लकड़ी। प्रवहनं ०देखो ऊपर। प्रवर+आत्मवत् (वि०) श्रेष्ठ, आत्मा की तरह। (सुद०४/२) | प्रवह्निः (स्त्री०) [प्र+वह इन] प्रहेलिका। प्रवरवादः (पुं०) सर्वोत्तम कथन, श्रुतज्ञान, आगमवाणी। प्रवाच् (वि०) [प्र+वच्+णिच् ल्युट्] बोलने वाला, वाग्मी। 'स्वर्गापवर्गमार्गत्वात् रत्नत्रयं प्रवरः, स उद्यते निरूप्यतेऽनेनेति वक्ता, प्रकथन, उद्घोषणा, प्रतिपादक। प्रवरवादः। (धव० १३/२८७) प्रवाचनं (नपुं०) घोषणा, कथन। प्रवरवाहनी (वि०) उत्कृष्ट प्रवाह वाली। प्रवाणं (नपुं०) [प्र. वेल्युट्] छांटना, संभालना। प्रवर्गः (पुं०) [प्रवृत्यते नि:क्षिप्यते हविरादिकस्मिन्-प्रवृ+घञ्] प्रवाणिः (स्त्री०) [प्रवाण+ङीप्] जुलाहे की ढरकी। यज्ञ की बह्नि। ०होमाग्नि। प्रवात (भू०क०कृ०) [प्रकृष्टो वातो यस्मिन्] तूफान में पड़ा प्रवर्ग्यः (पुं०) [प्र+वृज्+ण्यत्] एक अनुष्ठान। हुआ। ०झंझावात में फंसा हुआ। प्रवर्तः (पुं०) [प्र+वृत्+घञ्] आरंभ, उपक्रम, कार्य समारंभ। प्रवातं (नपुं०) वायु का झोंका, हवा का प्रवाह, स्वच्छ पवन। प्रवर्तक (वि०) [प्र+वृत्+णिच्+ण्वुल] चालू करने वाला, आंधी, झंझावात। स्थापित करने वाला। प्रवादः (पुं०) [प्र+वद्+घञ्] ०शब्द, ध्वनि, उच्चारण। ०प्रगतिशील, उन्नेता। ०लोकोक्ति। (सुद० १/२२) ०प्रबोधक, प्रोत्साहका निवेदन, प्रतिवेदन। प्रवर्तक, प्रणेता। आख्यायिका, विवाद सम्बंधी भाषा। विवाचक, प्रतिपादक। प्रकल्पित नाद। प्रवर्तमान (वि०) व्यवहार शील। (जयो० ५/९३) कार्यारंभ | प्रवारः (पुं०) चादर, आच्छादन। करने वाला। प्रवारकः (पुं०) चादर, ओढ़नी, आच्छादन। प्रवर्तनं (नपुं०) [प्र+वृत्+ ल्युट्] ०आरंभ, क्रम, शुरु, समारंभ। प्रवारणं (नपुं०) [प्र+वृ+णिच्ल्यु टी निषेध, विरोध, रोक। कार्यारंभ, संस्थापन, प्रतिष्ठापन। आच्छादन, ढकना। ०व्यवहार, आचरण, कार्यविधि। प्रवाल: (पुं०) मूंगा, ललिमा। (जयो० ११/१३) कोंपल, प्रोत्साहन, उद्दीपन, बलपूर्वक चलाना। पराग, विद्रुम, पल्लव, (जयो०वृ० ५/७५) अंकुर। प्रवर्तना (स्त्री०) प्रोत्साहन देना। प्रवालता (वि०) [प्रकर्षेण बालभावोऽस्ति] बालकपना। प्रवर्तयितु (तुमुन्) ले जाने के लिए। (जयो० २/१२०) (जयो० ५/८८) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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