SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रयुक्ता ७१६ प्ररुद संसक्त। (जयो० पृ० ६/५७) उदित, उद्गत, उत्पन्न। उपयुक्त। (जयो० १०/९) फलित, घटित, युक्त। (सुद० १०१) ०ध्यानमग्न, बेसुध। प्रेरित किया हुआ, उकसाया हुआ। प्रचलित, व्यवहार में लाया हुआ। प्रयुक्ता (स्त्री०) स्वीकृति। (जयो० ५/१०३) प्रयक्तिः (स्त्री०) [प्रयुज+क्तिन] उपयोग, प्रयोग। (समु० ३/२८) ०प्रयोजन, उद्देश्य, अभिप्राय। ०ध्येय, अवसर। परिणाम, फल। प्रयुतं (नपुं०) एक संख्या विशेष, चौरासी लाख प्रयुतांग। प्रयुतांगं (नपुं०) चौरासी लाख अयुत। प्रयुद्धं (नपुं०) संग्राम, युद्ध, आक्रमण, लड़ाई। प्रयुयुत्सुः (पुं०) [प्र+युध+सन्+उ] ०योद्धा, मेंढा, हवा, पवन। संयासी, इन्द्रा प्रयोक्तव्यम् (वि०कृ०/तव्यत्) प्रयुक्त करने योग्य। (जयो० १९/८२) ०व्यवहार करने योग्य। प्रयोक्त (वि०) [प्रायुज् तृच्] ०अनुष्ठाता, निदेशक, परिणायक। (जयो० ११/९१) प्रेरक, उत्तेजक। प्रणेता, अभिकर्ता, अभिनय कर्ता। उपाय, प्रयोग करने वाला। (वीरो० १८/२६) उपयोग करने वाला। प्रयोक्ता देखो ऊपर। प्रयोगः (पुं०) ०व्यवहार, उपयोग। [प्रकर्षेण मनोनिग्रहाख्यः] (जयो० १/३४) प्रचलित रूप, सामान्य प्रचलन। गाङ्गस्य वै यामुनतः प्रयोगः (वीरो० १४/४७) ०फेंकना, विभक्तमंत्रम, प्रक्षेपण करना। प्रदर्शनी, अनुष्ठान्, अभिनयन। नाटक खेलना, प्रदर्शन करना। ०अभ्यास, अध्ययन। (सुद० ३/४७) योजना, साधन, युक्ति, उपकरण। (जयो० १/३१) । फल, परिणाम। मन, वचन और काय का योग भी प्रयोग है। 'मण-वचिकायजोगा पओओ' जीव की व्यापार। (धव० १२/२८६) प्रयोगकरणं (नपुं०) चेतन-अचेतन का निर्माण। 'प्रयोगः जीवव्यापारः, तद्धेतुकं करणं प्रयोगकरणम्' (जैन०ल० ७७५) प्रयोगक्रिया (स्त्री०) आने-जाने प्रवृत्त होना, मन का व्यापार, हिंसकजनक प्रवृत्ति, ईर्ष्या व्यापार। 'आत्माधिष्ठित कायादिव्यापारः प्रयोगः, तत्र योगत्रयकृता' (जैन०ल० ७७६) प्रयोगगति (स्त्री०) आकृति विषयक गति, बाण चक्र आदि की तरह जीव की गति। प्रयोगजपरिणामः (पुं०) प्रयोग में निमित्त वाला परिणाम, प्रयोग के आश्रय से होने वाला भाव। प्रयोगजशब्द (नपुं०) प्रयोग से होने वाला शब्द। प्रयोगपरिणामः (पुं०) चेष्टा रूप परिणाम। प्रयोगबन्धः (पुं०) कर्म-नौकर्म रूप बन्ध। प्रयोगरसती (वि०) साधन रसवाली। (मुनि० ४) प्रयोजक (वि०) [प्रायुज्+ण्वुल्] नेतृत्व करने वाला, उद्दीपक उकसाने वाला। सम्पन्न करने वाला, कारण बनाने वाला। प्रयोजकः (पुं०) संस्थापक, प्रवर्तक। ०साहूकार, महाजन। ०धर्मशास्त्री, विधायक। प्रयोजनं (नपुं०) [प्र+युज+ल्युट्] अभिप्राय, उद्देश्य, ध्येय। ०कारण, निमित्त। ०प्रमाणभूत। (जयो० २/१४६) लाभ, स्वार्थ। प्रयोजनसिद्धिः (स्त्री०) कार्यसम्पत्ति। (जयो० ३/१०६) प्रयोजनाधीनः (पुं०) कार्य के आधीन, लक्ष्य के आधीन। (जयो० २७/५२) प्रयोजनीय (वि०) उचित। (जयो० २/२०) ०लक्ष्य युक्त। प्रयोज्य (सं०कृ०) [प्रायुज्+ण्यत्] नियुक्त करने योग्य, फेंकने योग्य। कार्य समारम्भ करने योग्य। ०पैदा करने योग्य। प्ररुदित (भू०क०कृ) [प्र+रुद्+क्त] रोया हुआ, रोता हुआ। प्ररुद्र (भू०क०कृ०) [प्र+रुह+क्त] पूर्ण विकसित हुआ, पूरा हुआ। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy