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प्रभातजातिः
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प्रभूत
प्रभातजातिः (स्त्री०) प्रात:काल की उत्पत्ति। प्रभातचरणं (नपुं०) सुबह होना। प्रभातवर्णनं (नपुं०) प्रात:काल का चित्रण। (जयो० २०/८९) प्रभातवेला (स्त्री०) उषाकालागम। (वीरो० ५/२४) ०अरुणोदय,
प्रात:काल। प्रभातोदयः (पुं०) उषाकालागम। (वीरो० ५/२४) प्रभानं (नपुं०) [प्र+भा ल्युट्] प्रकाश, कान्ति। प्रभालेपिन् (वि०) कान्तियुक्त, प्रभा विस्तारक। प्रभाभर (वि०) प्रभायुक्त, कान्ति से परिपूर्ण। (जयो० २४/२२) प्रभामण्डलं (नपुं०) यश समूह, प्रभो प्रभामण्डलमत्युदात्तं
(वीरो० १३/२१) ०प्रकाशवृत्त, ०चक्राकार प्रकाश,
०तेजपुञ्ज। प्रभावः (पुं०) [प्र+भू+घञ्] ०प्रभुशक्ति। (जयो०१० २/१२१)
०तेज। (जयो०वृ० ११८)
यश, कीर्ति, भव्य कान्ति। (जयो० १/७९) ०प्रभा, प्रकाश, दीप्ति, कान्ति, तेज, प्रताप। (जयो०वृ० १/२३)
गरिमा, महिमा। ०धाक। (जयो०१० ५/८६) सामर्थ्य, शौर्य, शक्ति, अव्यर्थता।
राजोचित शक्ति, अलौकिक शक्ति। प्रभावक (वि०) शक्ति सम्पन्न। (वीरो० १९/४२) प्रभावज (वि०) राजशक्ति से उत्पन्न प्रभाव वाला। प्रभावना (स्त्री०) रत्नत्रय का प्रकाशन।
अष्ठांग भेदों में एक भेद जिसमें जिनशासन की प्रभावना को महत्त्व दिया जाता है। त्रिरत्नैरात्मनः सम्यग्भावनं स्यात् प्रभावन। सद्धर्मस्य प्रकाशो वा सम्यग्दर्शनादिभिर्गुणै।
(जैन०ल० ७६६) 'प्रभावना धर्मकथादिभिस्तीर्थस्थापना' प्रभावती (स्त्री०) रतिषेणा नामक कपोती का अपर नाम
(जयो० २२/५०) उद्दायन राजा की रानी वीतभयपुट के नरेश की रानी (वीरो० १५/२१)
पुण्डरीकिणी नगर के रामा वायुरथ, रानी स्वयंप्रभा की
पुत्री। (जयो० २३/५२) प्रभावभू (स्त्री०) प्रभावशाली। (समु० २/११) प्रभावभुच्छरीर (वि०) कान्ति युक्त शरीर (वीरो० १२/४१०)
(जैन०ल० ७६६) प्रभावान् (वि०) प्रभा युक्त। (सम्य० ५८)
प्रभावि (नपुं०) प्रभाव वाला, शक्ति युक्त। (समु०८/१४) प्रभाव्य (वि०) अपने आप उत्पन्न होने वाली। (वीरो० १९/४२) प्रभाषणं (नपुं०) [प्र+भाष्+ल्युट्] व्याख्या, विवरण, अर्थ
प्रस्तुतीकरण। प्रभासः (पुं०) [प्र+भासृ+घञ्] कान्ति, प्रभा, दीप्ति, सौंदर्य। प्रभासखण्डाध्यायः (पुं०) प्रभास खण्ड का अध्याय। (दयो० २६) प्रभासनं (नपुं०) [प्र+भास+ल्युट] प्रकाशित होना, चमकना,
दीप्तिमान होना, झलकना। प्रभास्वर (वि०) [प्र+भास+वरच] उज्ज्वल, चमकीला, प्रभावान। प्रभिन्न (भू०क०कृ०) [प्र+भिद्+क्त] ०खण्डित, विभक्त,
विभाजित। मुकुलित, विकसित। विरूपित, विकृत।
शिथिलित, ढीला। प्रभिन्नः (पुं०) उन्मत्त हस्ति। प्रभिन्नाञ्जनं (नपुं०) कज्जल, काजल। प्रभु (वि०) [प्र+भू+डु] शक्तिसम्पन्न, बलवान। प्रभुः (पुं०) स्वामी, अधिपति, *मालिक, *भगवान्, ईश्वर,
नाथ (सुद० १/४५) (सुद० १/१) 'लोको निन्दतु पूजाद्रुत ततस्ते का विशिष्टः प्रभोः। (मुनि० १३)
अरहंत देव, केवलज्ञानी। प्रभु-आच्छेद्य (वि०) स्वामी द्वारा बलपूर्वक देना। प्रभुता (स्त्री०) [प्रभुतल्टाप्] आधिपत्य, सर्वोपरिता स्वामित्व,
शासन, अधिकार। प्रभुभक्त (वि.) ईश्वर भक्त, भगवद्भक्त।
स्वामी की आज्ञा पालने वाला। प्रभुशक्तिः (स्त्री०) ईश्वर आराधना। (सुद० ३१५) प्रभू (अक०) [प्र+भू] उत्पन्न होना-प्रभवन्ति (जयो० २/१४४)
श्री चन्द्रनद्रोः प्रभवन्तु अन्ते। (वीरो० १४/४५) प्रभवन् (सुद० ३/२९) प्रभवति (सुद० ८२) उल्लसिन
होना, प्रसन्न होना। (जयो० २३/३१) प्रभूत (भू०क०कृ०) [प्र+भू+क्त] ०पर्याप्त, विपुल, प्रचुर,
अत्यधिक। ०अनेक, बहुत। उदभूत, उत्पन्न। परिपक्व, पूर्ण। उन्नत, ऊंचा, उत्तुंग। लम्बा, दीर्घ, विस्तृत।
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