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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रपादिकः ७०८ प्रबाल: प्रपादिकः (पुं०) मयूर, मोर, कलापी। प्रपानं (नपुं०) [प्र+पा+ल्युट्] पेय पदार्थ, पानी पीन। प्रपानकं (नपुं०) [प्रपान+कन्] एक प्रकार का पेय। प्रपालक (वि०) पालन करने वाला। (दयो०८८) प्रपास्थापनं (नपुं०) पेय पदार्थ। प्रपितामहः (पुं०) [प्रकर्षेण पितामहः] पड़दादा, कृष्ण, ब्रह्मा। प्रपितृव्य (पुं०) ताऊ। प्रपीडनं (नपुं०) [प्र+पीड्+णिच् ल्युट्] ०भींचना, निचोड़ना। रक्त स्रावावरोधक औषधि। प्रपीतृ (वि०) [प्रपा+क्त] सूजा हुआ, फूला हुआ। प्रपुनाटः (पुं०) [प्रकर्षेण पुंमांसं नाटयति-प्र+पुम्। | नट्+णिच्+अण] चक्रमर्द नामक वृक्ष, चकवंड। प्रपुष्प (वि०) पोषित हुआ। (सम्य० ७५) प्रपूर (सक०) पूरा करना, पूर्ण करना। प्रपूरयामास। (वीरो० १३/२५) प्रपूरणं (नपुं०) [प्र+पूर+ल्युट्] ०पूरा करना, भरना, पूर्ति करना। ०सन्निविष्ट करना। सुई लगाना। ०संतुष्ट करना, तृप्त करना। ०संबद्ध करना। प्रपृष्ठ (वि०) विशिष्ट पीठ वाला। प्रपूर्ण (वि०) भरा हुआ, पूरित। प्रपूर्णास्थिति (स्त्री०) परिपूर्णस्थिति। भूयात्ते खलु वैभवेनं परमानन्दप्रपूर्णास्थितिः। (मुनि० २३) प्रपूर्ति (स्त्री०) पूर्ति, पूर्णता, पूरा करना, संतुष्ट करना। (सम्य० १२५) 'प्रवादस्य किल प्रपूर्तिः' (सुद० १/३५) प्रपौत्रः (पुं०) पड़पोता। प्रपौत्री (स्त्री०) पड़पोती। प्रफुल्ल (भू०क०कृ०) खिला हुआ, पूर्ण विकसित। मंजरित, मुकलित। प्रमुदित, हर्षित, उल्लसित। (वीरो० २/१२) प्रफुल्ल-कमल (वि.) खिले हुए कमल। प्रफुल्लजन (वि०) हर्षित लोग। प्रफुल्लनयन (वि०) फैले हुए नेत्र, रमणीय नेत्र, हर्षित नेत्र। प्रफुल्लपा (वि०) खिले हुए पद्म। प्रफुल्लभाव (वि०) हर्षित भाव। (दयो० ५४) प्रफुल्ललोचन (वि०) विकास युक्त नयन, विस्तीर्ण नेत्र। प्रफुल्लवदन (वि०) हंसमुख चेहरा, प्रसन्नचित्त मुख। अम्भोजमुखी। (जयो०० ६/१४) प्रफुल्लिः (स्त्री०) [प्र+फुल+क्तिन्] खिलना, विस्तरण। पुष्पित होना। प्रफुल्लित (वि०) हर्षित, रोमाञ्चित, विकसित, खिला हुआ। प्रफुल्लितशरीर (वि०) समुदङ्ग, (जयो०वृ० ३/१०९) उन्नत देह, हृष्ट-पुष्ट काय। प्रबद्ध (भू०क०कृ०) [प्र+बन्ध्+क्त] ०बंधा हुआ, कसा हुआ। ___०आबद्ध, अवरुद्ध, रोका गया। प्रबद्ध (पुं०) [प्र+बन्ध तृच्] प्रणेता, ग्रंथकार। प्रबन्धः (पुं०) [प्र+बन्ध्+घञ्] ०अभ्युपाय। (जयो०वृ० ३/८७) ०वाक्यप्रयोग। (वीरो० १९/१४) ०बन्धन, जोड़, गांठ। ०अविच्छिन्नता, सातत्य, नैरंतर्य। साहित्यिक कृति, अनुसंधानात्मक आलेख। 'सर्वाङ्ग सुन्दरत्वेनोदितस्य प्रबन्धस्य' (वीरो० १/१६) वाणिज्य व्यवस्था। प्रबन्धक (वि०) नियामक। (वीरो० १९/४३) प्रबन्धकल्पना (स्त्री०) तथ्यात्मक प्रस्तुति, कल्पना युक्त कृति। प्रबन्धनं (नपुं०) [प्र+बन्ध+ ल्युट्] बंधन, जोड़, गांठ, बांधना। (जयो०वृ० १९/७६) प्रबन्धनीतिः (स्त्री०) अविच्छिन्न नीति। प्रबन्धरचना (स्त्री०) काव्य रचना (वीरो० २२/३४) प्रबन्धशास्त्र (नपुं०) काव्यशास्त्र। प्रबन्ध सेतु (पुं०) अच्छा बधा हुआ पुल। प्रबर्ह (वि०) [प्र+बह अच्] सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्तम। प्रबल (वि०) [प्रकृष्टं बलं यस्य] ०शक्तिसम्पन्न, बलशाली, शूरवीर। प्रचण्ड, तीव्र, अत्यधिक, बहुत भारी। महत्त्वपूर्ण। भयानक, विनाशकारी। प्रबलिका (स्त्री०) [प्र+बहू+ण्वुल्+टाप्] प्रहेलिका। प्रबाधनं (नपुं०) [प्र+बाध ल्युट] प्रत्याचार, प्रपीडन। अस्वीकृति। ०दूर रखना। प्रबाल: (पुं०) [प्र+बल्+णिचि+अच्] कोंपल, किसलय पल्लव, अंकुर। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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