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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रनायक ७०७ प्रपातनकुशील: अदृश्य, अन्तर्धान। ०खोया हुआ, मिटा हुआ, मृत। उन्मूलित, उच्छिन्न। प्रनायक (वि०) [प्रगतो नायको यस्मात्] जिसका नायक न | हो, पथप्रदर्शक रहित। प्रनालः (पुं०) प्रणाली, पद्धति, परम्परा। प्रनाली (स्त्री०) पद्धति, परम्परा। प्रनिघातनं (नपुं०) [प्र+नि+ह+णिच्+ ल्युट्] वध, हत्या। विध्वंस, विनाश। प्रनृत्त (वि०) [प्र+नृत+क्त] नाचने वाला। प्रनृत्तं (नपुं०) नृत्य, नाच। प्रपक्षः (पुं०) पंख का अंतिम छोर। प्रपञ्चः (पुं०) प्रदर्शन, प्रकटीकरण। संकल्प (जयो०वृ० १२/५) विस्तार, फैलाव, विकास। विशद व्याख्या, विवरण। ०ढेर, प्राचुर्य, बाहुल्य। ०दर्शन, दृश्यवस्तु। संसार, बाधा, मनश्चेष्टा। (जयो०१० ६/९०) विभाग, भेद। (सुद० १३२) प्रतारणा। (जयो० २४/८५) माया, छल, जालसाजी, धोखाधड़ी। प्रपञ्चबुद्धि (स्त्री०) धूर्तबुद्धि, छलधी। प्रपञ्चबुद्धि (वि०) धूर्त, कपटी। ०छल-कपट वाला। प्रपञ्चयति-दिखलाना, प्रदर्शन करना, प्रसार करना। प्रपञ्चवचनं (नपुं०) विकासशील वचन। विस्तृत वचन, प्रसार युक्त वाणी। गम्भीरवार्ता, विचारविमर्श। प्रपञ्चवृत्तिः (स्त्री०) प्रतिहति, प्रतिहारक। (जयोवृ० २५/१५) प्रपञ्चशाखा (स्त्री०) [प्रकृष्टाः पञ्च पञ्च शाखा] अंगुलियाँ। (जयो० २४/८५) प्रपञ्चित (भू०क०कृ०) [प्र+पञ्च्+क्त] विस्तारित, प्रसारित। प्रदर्शित, फैलाया हुआ। विशदीकृत, व्याख्यायित। भूल जाने वाला, भटका हुआ। प्रपठ् (अक०) पढ़ना, गंभीर अध्ययन करना। (सुद० १३५) प्रपाठोऽस्ति मौढ्यस्य कार्यम् (वीरो० १६/१८) प्रयतनं (नपुं०) [प्र+यत्+ल्युट्] ०उड़ जाना, गिराना, अवपात। ०अवतरण, उतार। मृत्यु, मरण, विनाश। प्रपद् (सक०) पाना, प्राप्त करना। (सुद० ) प्रपदं (नपुं०) पैर का अग्रभाग। प्रपदीन (वि०) [प्रपद+ख] तौर के अग्रभाग से सम्बद्ध। प्रपन्न (भू०क०कृ०) [प्र+पद्+क्त] ०सम्प्राप्त। (जयो० १२/१०३) 'उचितामिति कामनां प्रपन्नौ' पहुंचने वाला, जाने वाला। आश्रय ग्रहण करने वाला, अपनाने वाला। आश्रय देने वाला, संरक्षण देने वाला। प्रार्थी, दीन, याचक। सुसज्जित, सन्निहित, उद्यत, तत्पर। ०हासिल, प्राप्त। बेचारा, कष्टग्रस्त। प्रपन्नाडः (पुं०) [प्रपन्न+अल्+अण्] चक्रमर्द वृक्ष, चकवंड। प्रपर्ण (वि०) [प्रपतितानि पर्णानि यस्य] पत्तों रहित। प्रपर्णं (नपुं०) गिरा हुआ पत्ता, पतित पत्र। प्रपलायनं (नपुं०) [प्र+परा+अय्+ल्युट] प्रत्यावर्तन, भाग खड़ा हुआ, पलायन कर गया। प्रपा (सक०) पाना, प्राप्त करना। (समु० २/३२) प्रपा (स्त्री०) [प्र+पा+अ+टाप्] प्याऊ, जलदायिनी। पानीयशाला। (वीरो० २/१९) ०कुआं, कुण्ड। पानी का भण्डार, जलसंधारण केंद्र। प्रपाठ (भू०) पढ़ाया। (वीरो०१६/१८) प्रपाठकः (पुं०) [प्रकृष्टः पाठोऽत्र] ०पाठ, व्याख्यान। ___०अध्याय, भाग, अंश। प्रवचन। ०स्वाध्याय। प्रपाणि (स्त्री०) [प्रकृष्टः पाणि] हस्ताग्र भाग, कौंचा। प्रपातः (पुं०) [प्र+पत्+घञ्] ०झरना, प्रवाह, जलप्रवाह। नीचे गिरना, अवपात। आकस्मिक आक्रमण। तट, बेला। ०खड़ी चट्टान। उत्सर्जन, प्रस्रवण, स्खलन। प्रपातनं (नपुं०) [प्र.पत्+णिच ल्युट्] गिराना, अभिसरण क्रिया। प्रपातनकुशीलः (पुं०) अभिसरण क्रिया में दोष, त्रस जीवों के गर्भ का विनाश। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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