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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रद्योतमः ७०६ प्रनष्ट प्रद्योतमः (पुं०) दिवाकर, सूर्य, भानु। प्रधानभूत (वि०) मुख्यभूत। (जयो० १/२) (जयो० १/३१) प्रदवः (पुं०) [प्र+द्रु+अप्] दौड़ना, पलायन। प्रधानमन्त्रिन् (पुं०) सबसे उत्तम मंत्री, प्रथम प्रधान मंत्री प्रदावः (पुं०) [प्र+2+घञ्] पलायन, भागना, पीछे आना। नेहरु। 'नेहरुचयो जवाहरलालनेहरुपरिवार: सत्सु सज्जनेषु प्रत्यावर्तन, द्रुतगमन, तेजी से जाना। वृहदुत्सवाय प्रधानमन्त्रित्वेन महोत्सवाय एति' (जयो०वृ० प्रद्वारः (पुं०) [प्रगतं द्वारं-प्रद्वारं] दरवाजे के सामने का भाग। १८/८४) प्रद्वार (नपुं०) ०द्वार भाग, ०द्वार का हिस्सा। प्रधानभावशुद्धिः (स्त्री०) ज्ञान, दर्शन आदि की शुद्धि की प्रद्वेषः (पुं०) [प्र+द्विष्+घञ्] ०घृणा, अरुचि, कोप प्रधानता। इष्ट-हाट-वित्त-हरण-निमित्त: कोपः प्रद्वेषः। प्रधानवासस् (नपुं०) मुख्य वस्त्र। द्वेष, द्वोह, ईर्ष्या। प्रधानवृष्टि (स्त्री०) वर्षा की प्रारंभिकी, प्रारंभिक बरसात। प्रद्वेषणं (नपुं०) [प्र+द्विष्+ल्युट] घृणा, अरुचि। प्रधावनः (पुं०) [प्र+धाव्+घञ्] ०पवन, वायु, हवा। ___ द्वेष, द्रोह, ईर्ष्या। प्रधावनं (नपुं०) [प्र+धाव+ ल्युट्] रगड़ देना, धो देना। प्रधनं (नपुं०) [प्र+धा+क्यु] ०संग्राम, युद्ध, लड़ाई, संघर्ष। प्रधि (स्त्री०) [प्र+धा+कि] पहिए की नाभि। विनाश, विध्वंस, विघात, हानि। कूप, कुआं ०फाड़ना, तोड़ना, चीरना। प्रधी (स्त्री०) [प्र+धा+ङीप्] कुशाग्रबुद्धि, प्रज्ञा, तीव्रबुद्धि, प्रधमनं (नपुं०) [प्र+धम्ल्यु ट] लम्बा सांस लेना। उत्कृष्टबुद्धि, सुप्रज्ञा। __सुंघनी, नासिका, नास्य, छींकनी। प्रधूपित (भू०क०कृ०) [प्र+धूप+क्त] तिरस्कार किया गया। प्रधर्ष (पुं०) [प्र+धृष्+घञ्] आक्रमण, हमला। अहंकार किया गया। ०बलात्कार। प्रधृ (सक०) धारण करना, ग्रहण करना, अंगीकार करना। प्रधर्षणं (नपुं०) [प्र+धृष्+ल्युट्] ०आक्रमण, हमला। एका मृदङ्ग प्रदधार वीणामत्या (वीरो० ५/७) बलात्कार, दुर्व्यवहार, अपमान। प्रधृत (वि०) धारण किया, ग्रहण किया। (समु०७/१७) प्रधषित (भू०क०कृ०) [प्र+धृष्+णिच्+क्त] आक्रान्त, हमला | प्रधृष्ट (भू०क०कृ०) [प्र+धृष्+क्त] अहंकार किया गया, किया गया। अभिमान किया गया। ०क्षतिग्रस्त, चोट पहुंचाया हुआ। प्रधानं (नपुं०) [प्र+ध्यै+ल्युट्] ०परम ध्यान, उत्कृष्ट ध्यान। घमण्डी, अहंकारी। उचित चिन्तन, समीचीन विचार। प्रधान (वि०) [प्र+धा+ल्युट्] ०मुख्य, प्रमुख, उत्तम, श्रेष्ठ, गहन विचार-विमर्श उत्कृष्ट। (दयो०८१) प्रध्वंसः (पुं०) [प्र+ध्वंस्+घञ्] विनाश, पूर्णक्षत, विनष्ट। प्रधानं (नपुं०) मुख्य पदार्थ, महत्त्वपूर्ण वस्तु, अधिष्ठाता। प्रध्वंसाभावः (पुं०) चार प्रकारों के अभाव में एक, जिससे ०बुद्धियुक्त, परमात्मन्, क्षेत्रधी, महामात्र-'प्रधान परमात्मनि विनाश से अभाव की उत्पत्ति होती है। (जयो०वृ० २६/८७) क्षेत्रज्ञधी महामात्रेऽप्येकत्वेतृत्तमे सदा' इति वि (भक्ति० आगामी काल से-अगली पर्याय से विशिष्ट जो कार्य है २०) वह प्रध्वंसाभाव है। दही में दूध का अभाव प्रध्वंसाभाव है सांख्यमत द्वारा प्रतिपादित प्रकृति और पुरुष तत्त्व। 'यदुत्पत्तौ कार्यस्यावश्यं विपत्तिः सोऽस्य प्रध्वंसा भावः' (जयो०वृ० १/३१) (जैन०ल० ७६५) ०प्रधान-आमात्य, प्रमुख मंत्री, सचिव। (जयो०वृ० १/३१) वर्तमान पर्याय का नष्ट होना। (जयो०१० २६/८७) महानुभाव, सभासद। प्रध्वस्त (वि०) [प्र+ध्वंस्+क्त] विनष्ट किया हुआ, विघात प्रधानता (वि०) प्रधानता युक्त, प्रमुखता युक्त। किया हुआ। प्रधानधातुः (पुं०) शरीर का मूल तत्त्व, शुक्र, वीर्य। प्रनप्त (पुं०) [प्रगतौ नप्तारं जनकतया] प्रपौत्र, पौत्र का पुत्र, प्रधानपदं (नपुं०) प्रमुख पद, उत्तम पद। पोते का लड़का। प्रधानपुरुषः (पुं०) प्रमुख व्यक्ति, राजसत्ता का प्रमुख अधिकारी। | प्रनष्ट (भू०क०कृ०) [प्र+नश्+क्त] ०लुप्त, विनष्ट, विघात। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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