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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रत्यात्मवेद्य ७०१ प्रत्युक्त प्रत्यात्मवेद्य (वि०) आत्म ज्ञाता। (मुनि० ८४) प्रत्यादानं (नपुं०) [प्रति+आ+दा+ल्युट्] पुनर्ग्रहण, वापस लेना, पुनः प्राप्ति। प्रत्यादिष्ट (भू०क०कृ०) [प्रति+आ+दिश्+क्त] सूचित, ज्ञापित, नियत। अस्वीकृत, पीछे की गई। ०तिरोहित। चेताया हुआ, सावधान किया गया। प्रत्यादेशः (पुं०) [प्रति+आ+दिश्+घञ्] सूचना, आज्ञा, आदेश, घोषणा। ०अस्वीकृति, मना करना। मुकरना, मेटना। निराकरण। तिरोहित करना, ग्रस्त करना। सावधानी, चेतावनी। प्रत्यानयनं (नपुं०) [प्रति+आ+नी+ल्युट्] वापिस लाना, लौटा | जाना। प्रत्यापत्तिः (स्त्री०) [प्रति+आ+ पद्+क्तिन्] ०अरुचि। विषयों से विरक्ति, विराग, वैराग्य। वापसी। प्रत्यामुण्डा (स्त्री०) अवाय का नामान्तर, संकोच किया जाना। 'प्रत्यर्थमामुण्ड्यते सङ्कोच्यते मीमांसितोऽर्थः अनयेति प्रत्यामुण्डा।' (धव० १३/२४३) प्रत्यायः (पुं०) [प्रति+अय्+घञ्] चुंगी, कर। प्रत्यायक (वि०) [प्रति+आ+इ+णिच्+ण्वुल] प्रमाणित करने वाला। विश्वास दिलाने वाला। प्रत्यायनं (नपुं०) [प्रति+आ+इ+णिच् ल्युट्] ०घर ले जाना, विवाह करना। प्रत्यालीढं (नपुं०) [प्रति+आ+लिह्+क्त] एक निशाना लगाने की पद्धति, जिसमें बायें पांव को आगे की ओर करके दाहिने पांव को पीछे की ओर रखा जाता है। प्रत्यालीढस्थानं (नपुं०) निशाता लगाने की स्थिति का स्थान। प्रत्यावर्तनं (नपुं०) [प्रति+आ+वृत् ल्युट] लौटाना, वापिस आना। प्रत्यावज् (अक०) जाना, पहुंचना। (सुद० ४/२३) प्रत्याव्रजन (भू०) गया। प्रत्याशाधारी (पुं०) शत्रु। (जयो० ८/५४) प्रत्याश्वस्त (भू०क०कृ०) [प्रति+आ+श्वस्+क्त] सान्त्वना दिया हुआ, आश्वस्त किया गया। प्रत्याश्वासः (पुं०) [प्रति+आ+श्वस्+घञ्] फिर से सांस लेना, लौट आना, चलने लगना। प्रत्याश्वासनं (नपुं०) [प्रति+आ+श्वास्णिच्+ल्युट्] ढाढस बंधाना, सान्त्वना देना। प्रत्यासक्तिः (स्त्री०) [प्रति+आ+सद्+क्नि] ०अत्यन्त सामीप्य, संसक्ति। (हित०६/४) घनिष्ट संपर्क। ०सादृश्य, समानता। प्रत्यासन्न (भू०क०कृ०) [प्रति+आ+सद्+क्त] समीप, निकट, संसक्त। ०सटा हुआ। प्रत्यासरः (पुं०) [प्रति+आ+सृ+अप्] सेना का पृष्ठ भाग, व्यूह रचना। प्रत्याहरणं (नपुं०) [प्रति+आ+ह+ ल्युट्] वापिस होना, पुनः ग्रहण करना। रोकना, अवरोध उत्पन्न करना। नियंत्रण करना। प्रत्याहारः (पुं०) [प्रति+आ+ह+घञ्] ०पीछे हटाना, लौटाना, प्रत्यावर्तन। पीछे रखना, रोकना। इन्द्रिय दमन करना। एक ही ध्वनि में कई अक्षरों का बोध। व्याकरणोक्त-संकोच व्याकरण में आदि और अन्तिम अक्षर और मध्यपाती अक्षरों को लेकर प्रत्याहार बनता है। 'अ इ उण' यहां अन्तिम 'ण' इत्संज्ञक है। आदि अक्षर 'अ' है और मध्य में इ, उ आते हैं। इस प्रकार 'अण्' प्रत्याहार में 'अ इ उ' इन तीन अक्षरों का समावेश हैं। (जयो० हि० २८/३१) 'प्रत्याहारं नाम भ्रवोर्मध्यदेशादिषु यथेच्छ मनोनयनमुपेतः' (जयो०७० २८/३१) ०इन्द्रिय निग्रह'समाकृष्येन्द्रियार्थेभ्यः साक्षं चेतः प्रशान्तधी:' यत्र यत्रेच्छया धत्ते स प्रत्याहार उच्यते। (ज्ञानार्णव ३०/१) 'प्रत्याहारस्त्विन्द्रियाणां विषयेभ्यः समाहृति' (जैन०ल० ७५७) प्रत्याहृत् (वि०) प्रत्याहारीकृत। (जयो० ११/८९) प्रत्युक्त (भू०क०कृ०) [प्रति+वच्+क्त] उत्तर दिया गया, बदले में कहा गया, समाधान किया गया। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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