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प्रत्यर्पणं
७००
प्रत्यागालः
देना।
प्रत्यर्पणं (नपुं०) [प्रति+ऋ+णिच्+ल्युट्] वापिस देना, लौटा प्रत्यवेक्षित (वि०) [प्रति+अव ईक्षाक्त] निरीक्षित, अवलोकित।
प्रत्यस्नमयः (पुं०) [प्रति+अस्तम्+अय्+अच्] छिपना, प्रत्यर्पित (भू०क०कृ०) [प्रति+ऋ+णिच्+क्त] लौटाया, वापस अस्त होना। किया।
०अन्त, समाप्ति। प्रत्यवमर्शः (पुं०) [प्रति+अव+मृश्+घञ्] गम्भीर | प्रत्याक्षेपक (वि०) [प्रति+आ+क्षिप्+ण्वुल्] उपहास करने चिन्तन, मनन।
वाला, हंसी उड़ाने वाला, व्यंग्यपूर्ण व्यवहार। ०परामर्श, सीख, उचित शिक्षा।
प्रत्याख्यात (भूक०कृ०) [प्रति+आ+ख्या+क्त] ०प्रतिषिद्ध, प्रत्युपसंहार।
निषिद्ध। प्रत्यवरोधनं (नपुं०) [प्रति+अव्+रुध्+ल्युट्] विघ्न, बाधा, अस्वीकृत, मना की गई। रुकावट, अवरोध, विराम।
प्रख्यातसेवा (स्त्री०) निषिद्ध वस्तु का सेवन। प्रत्यवसानं (नपुं०) [प्रति+अव्+रु ल्युट्] ०भोजन करना, oमुनि के आहार का अन्तराय, देव या गुरु की साक्षी खाना, पान करना।
पूर्वक छोड़ी गई वस्तु का सेवन अन्तराय। प्रत्यवसित (वि०) [प्रति+अव+सी+क्त] खाया हुआ, पीया हुआ। प्रत्याख्यानं (नपुं०) [प्रति+आ+ख्या ल्युट्] ०अस्वीकार करना, प्रत्यवस्कंदः [प्रति+अव+स्कन्द्+घञ्] विशेष तर्क, प्रतिवादी ग्रहण नहीं करना। के खण्डन योग्य तर्क।
निराकरण, अवहेलना, भर्त्सना। प्रत्यवस्थानं (नपुं०) [प्रति+अव+स्था ल्युट्+] अपाकरण, ०मुकरना, मना करना। निर्दोष करना।
०परित्याग, आगन्तुक दोषों का त्याग। 'प्रत्याख्यानं ०शत्रुता, विरोध।
सर्वविरतिलक्षणम्' 'प्रत्याख्यान मुरीकरोतु अशनस्यान्तेऽन्ययथास्थिति, पूर्वस्थित।
घस्त्रावधिः। (मुनि० १०) प्रत्यवस्थापनं (पुं०) [प्रति+अव स्थाप+ल्युट्] ० युक्तिपूर्वक, प्रत्याख्यानकषायः (पुं०) सकल संयम घातक कषाय। निराकरण, दोषों का निराकरण।
प्रत्याख्यानकुशलः (पुं०) त्याग कुशल। निर्दोष करना।
प्रत्याख्यानपूर्वः (पुं०) प्रत्याख्यान का निरूपण। ०परिमित प्रत्यवहारः (पुं०) [प्रति+अव+ह+घञ्] ०वापिस खींचना, अपरिमित द्रव्यभाव का प्रत्याख्यान। ०प्रलय, विनाश, विध्वंस।
प्रत्याख्यानप्रवादः (पुं०) पूर्वगत श्रुत, समस्त प्रत्याख्यान प्रत्यवायः (पुं०) [प्रति+अव+अय्+घञ्] ०अवरोध, गतिरोध, निरूपण करने वाला ग्रंथा विराम, रुकावट।
प्रत्याख्यानावरणं (नपुं०) प्रत्याख्यान कषाय, सकल संयम ०ह्रास, न्यूनता, अल्पता।
को आच्छादित करने वाला कारण। विरुद्ध, विपरीत मार्ग।
प्रत्याख्यानी भाषा (स्त्री०) परित्याग वचन की भाषा, दोषजनक ०पाप, अपराधा
भाषा का त्याग। प्रत्यवर्तमान (वि०) परिभ्रमण करने वाला। (वीरो० १९/२७) प्रत्यागत (वि०) लौटा हुआ। (वीरो० २१/२२) प्रत्यवेक्षणं (नपुं०) [प्रति+अव ईक्ष ल्युट्] ध्यान रखना, प्रत्यागतिः (स्त्री०) [प्रति+आ+गम्+क्तिन्] लौटना, वापिस देखरेख करना।
आना। ०चक्षु-व्यापार, निरीक्षण। 'प्रत्यवेक्षणं चक्षुषो व्यापारः' | प्रत्यागमः (पुं०) [प्रति+आ+गम्+अव] लौटाना, वापस आना। (तन्वा० ७/३४) 'अत्र, प्राणिनो विद्यन्त न वा विद्यन्त प्रत्यागमनं (नपुं०) [प्रति+आ+गम्+ल्युट्] लौटना, वापस इति निजबुद्धया निजचक्षुषा पुनर्निराक्षणं प्रत्यवेक्षितमुच्यते।
आना। (त०वृ०७/३४)
प्रत्यागालः (पुं०) द्वितीय स्थिति में गमन। 'प्रथमस्थिति प्रत्यवेक्षा (स्त्री०) [प्रति+अव ईक्ष+अ+टाप्] निरीक्षण, द्रव्यस्योत्कर्षणवशात् द्वितीयस्थितौ गमनं प्रत्यागाल:' अवलोकन, दृष्टि व्यापार।
(जैन०ल० ७५६)
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