________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रतिदारं
६८७
प्रतिपत्तार
प्रतिदारं (नपुं०) [प्रति दृ+णिच्+ ल्युट] ०लड़ाई, युद्ध। प्रतिनादः (पुं०) दहाड़, चीख, चिल्लाहट। (दयो० ४७) विदारण, फाड़ना।
गूंज, प्रतिध्वनि। प्रतिदिनं (अव्य०) प्रत्येक दिवस, हर रोज।
प्रतिनारायण: (पुं०) अश्वग्रीव की पूर्व पर्याय। (वीरो०१२/१९) प्रतिदिवन् (पुं०) [प्रति दिव्+कनिन] सूर्य, दिवस, दिन। । प्रतिनाहः (पुं०) [प्रति+नह+घञ्] पताका, ध्वज, झण्डा। प्रतिदिशं (अव्य०) चारों ओर सर्वत्र, सभी दिशाओं में। प्रतिनिधिः (स्त्री०) [प्रति+नि+धा+कि] सहायक, अपना प्रतिदिश (वि०) प्रत्यवयव। (जयो० १०/४९) प्रत्येक अंग। उत्तराधिकारी। प्रतिदेशं (अव्य०) प्रत्येक देश में।
स्थानापन्न, एवजी। प्रतिदेशः (पुं०) प्रत्यवयव, प्रत्यङ्गः। (जयो० १/६२)
दूसरे के स्थान पर नियुक्त व्यक्ति। प्रतिदेह (अव्य०) प्रत्येक शरीर में।
कुबेर-प्रतिनिधिः श्रीमान् कुबेरोऽग्रणी। (वीरो० १२/५३) प्रतिदैवतं (अव्य०) प्रत्येक देव के लिए।
प्रतिमा, पुतला, चित्र। प्रतिद्वन्द्वः (पुं०) प्रतिस्पर्धी, विरोधी, प्रतिवादी, प्रतिपक्षी, शत्रु। | प्रतिनियमः (पुं०) सामान्य नियम। प्रतिद्वंद्विन् (वि०) विरोधी, प्रतिपक्षी। ..
प्रतिनिर्जित (भूक०कृ०) [प्रति+नि+जि+क्त] पराजित, ___ प्रतिकूल, शत्रुतापूर्ण।
परास्त। प्रतिद्वन्द्विन् (वि०) विरोधी, प्रतिपक्षी, प्रतिस्पर्धी। (जयो० निराकृत, निरस्त।
१३/९५) प्रतिवीर। (जयो०८/११) (जयो०८/४९) प्रतिनिर्देश (वि०) संकेत, दिशा निर्देश। प्रतिद्वारं (अव्य०) प्रत्येक दरवाजे पर। (वीरो० १३/१२) 'द्वारं | प्रतिनिर्देश्य (वि०) दुहराने वाला। द्वार प्रति आराधनाकारकम्' (जयो०७० २/१३१)
प्रतिनिर्यातनं (नपुं०) [प्रति+निर+यत+णिच+ल्युट] प्रतिशोध, प्रतिदृष्ट (भू०क०कृ०) [प्रति दृश्क्त ] दृश्यमान्, देखा हुआ, प्रतिहिंसा। दृष्टि गोचर।
प्रतिनिविष्ट (वि०) [प्रति+नि+विश्+क्त] दुराग्रही, हठी, प्रतिधाम (अव्य०) घर में, प्रत्येक गृह में-'धाम धाम प्रतीति - पक्का, जिद्दी। प्रतिधाम। (जयो० १५/३३)
प्रतिनिविष्टमूर्खः (पुं०) दुराग्रही व्यक्ति, संमूढ जन। प्रतिधावनं (नपुं०) [प्रति+धाव+ल्युट्] आक्रमण करना, धावा । प्रतिनिवर्तनं (नपुं०) [प्रति+नि वृत्+ ल्युट्] ०लौटना, वापिस बोलना।
करना। प्रतिधुरः (पुं०) दूसरे से संलग्न अश्व।
मुड़ना, पुनरागमन। प्रतिधृत (वि०) पकड़ा, गृहीत। (जयो० ९/३०)
प्रतिनिषेधिनी (वि०) विनाश करने वाली। (सुद० १२२) प्रतिध्वनि (स्त्री०) [प्रति+ध्वन्+इ] गूंज, शब्द की तीव्रता, प्रतिनिष्कास् (सक०) निकालना, तिरस्कार करना। गर्जना।
प्रतिनिष्किासते तिरस्कुर्वते। (जयो० १२/१७) प्रतिध्वस्त (भू०क०कृ०) [प्रति+ध्वंस्+क्त] खिन्न, व्याकुल, प्रतिनोदः (पुं०) [प्रति+नुद्+घञ्] पीछे ढकेलना, पीछे हटाना। ध्वंस, पतित किया, धराशायी किया।
प्रतिपक्षः (पुं०) प्रत्येक पक्ष। (सुद० ९६) अष्ठमी-चतुर्दशी प्रतिनखखक्षतः (पुं०) प्रत्येक नखक्षत। (जयो० १८/९९) ___का पक्ष। चतुर्दश्यष्ठमी चापि प्रतिपक्षमिति द्वयम्। (सुद०९६) प्रतिनगं (अव्य०) प्रत्येक पर्वत पर, प्रत्येक वृक्ष पर। 'नगं नगं | प्रतिपक्षनाशिन् (वि०) प्रत्येक पक्ष का नाशक, विरुद्ध भाव।
प्रति प्रतिनगं प्रत्येकवृक्षमभिव्याप्तं' (जयो०वृ० १४/१४) प्रतिपक्षहर (वि०) प्रत्येक पक्ष का घातक। प्रतिनन्दनं (नपुं०) [प्रति+नन्द्+ल्युट] स्वागत करना, बधाई प्रतिपक्षित (वि०) विरोध से युक्त। (जयो० ६/३१) देना, धन्यवाद करना, अभिनन्दन करना।
प्रतिपक्षिन् (वि०) विरोधी शत्रु। प्रतिनप्त (पुं०) प्रपौत्र, पौत्र का पुत्र, पड़ पोता।
प्रतिपततितिक्षितः (पुं०) भेदविज्ञान की दृष्टि स्वीकृत। 'प्रतिपदा प्रतिनव (वि०) ०युवा, नूतन, ताजा।
भेद विज्ञानदृष्टया तितिक्षितः स्वीकृतः' (जयो० २८/६८) प्रतिनागः (पुं०) अन्य गज, दूसरा हाथी। (जयो० १३/९८) । प्रतिपत्तक (वि०) उत्पन्न। (जयो० १२/४२) प्रतिनाडी (स्त्री०) उपनाड़ी, प्रशिरा।
प्रतिपत्तार (वि०) धारक। (वीरो० १५/५९)
For Private and Personal Use Only