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प्रतिक्राम्
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प्रतिदानं
प्रतिक्रिया तस्य भवेत्सदेयम्। अग्रक्षणायाकरणप्रतिज्ञा, स्वनिन्दयेत्थं निगदन्त्यभिज्ञा।। (भक्ति० ३७)
भविष्य में दोषों का न करना। पापिष्ठेन दुरात्मना जडधिया माया विना लोभिना राग-द्वेषमलीमसेनमनसा श्रीधर्मभावाद् विना। दुष्कर्मार्जितमहंतामधिपते! त्वत्पादमूलेऽत्र तन्निंदापूर्वकमुज्जहानि सुपथे वर्वतिषु साम्प्रतम्।। (मुनि०१८) अतीतदोषपरिहरार्थं यत्प्रायश्चित्तं क्रियते तत्प्रतिक्रमणम्। (निय०सा०वृ० ८२)
प्रतिक्रमणं व्रतातिचारनिर्हरणम्। (मूला०वृ० ११/१६) प्रतिक्राम् (सक०) आकर्षित करना, अपनी ओर खींचना
'निर्गच्छच्च कुतोऽपि तत्पुनरितः सद्यः प्रतिक्रामयेत्।
(मुनि०१७) प्रतिक्रिया (स्त्री०) जन भावना, जनचेतना, जनता का विचार।
(हित० १) प्रतिक्षणं (अव्य०) हरपल, प्रतिसमय। (दयो० ११०) प्रतिक्षपः (पुं०) अंगरक्षक, अनुचर। प्रतिक्षुतं (नपुं०) छींक। प्रतिक्षेप (पुं०) [प्रति+शिप्+घञ्] प्राप्ति, स्वीकार। प्रतिख्याति (स्त्री०) प्रसिद्धि, विश्रुति। प्रतिगजः (पुं०) आक्रमणकारी हाथी। प्रतिगत (भू०क०कृ०) उड़ान भरना। प्रतिगमनं (नपुं०) लौटना, वापिस जाना। प्रतिगात्रं (अव्य०) प्रत्येक शरीर में। प्रतिगिरिः (पुं०) पर्वत के समक्ष, पर्वत के सामने।
छोटा पर्वत। प्रतिग्रहं (नपुं०) स्वीकार करना, साधु को पडगाहन स्वागत। प्रतिग्रहं (अव्य०) प्रत्येक घर में, घर-घर में। गेहं गेहं प्रतीति
प्रतिग्रहम् (जयो० १५/२२) प्रतिगेहं देखो ऊपर। प्रतिग्राम (अव्य०) हर एक गांव में। प्रतिघातः (पुं०) द्रव्य व्याघात, रुकावट। प्रतिघातिन् (वि०) द्रव्य व्याघात करने वाला, दान ग्रहण।
(जयो० २/५) प्रतिचरण (अव्य०) प्रत्येक सिद्धान्त में।
प्रत्येक पग पर, हर एक स्थान पर। प्रतिच्छवि (स्त्री०) मूर्ति, प्रतिमा, पुतला। (जयो० १६/४८) प्रतिच्छन्न (भू०क०कृ०) [प्रति+छद्+क्त] आच्छादित, ढका
पूर्वसंचित, एकत्रित।
०गुप्त, छिपाया हुआ। प्रतिच्छेदः (पुं०) विरोध। प्रतिजल्पः (पुं०) [प्रति+जल्प्+घञ्] उत्तर, समाधान। प्रतिजल्पकः (पुं०) [प्रति+जल्प्+कन्] सादर सहमति। प्रतिजंघा (स्त्री०) टांग का अगला भाग। प्रतिजागरः (पुं०) [प्रति जागृ+घञ्] सावधानी, जागृत रहना। प्रतिजिह्वा (स्त्री०) कोमलतालु, कलघंटी। प्रतिजीवनं (नपुं०) [प्रति+जी+ल्युट्] पुनर्जीवन, सजीवनता। प्रतिज्ञा (स्त्री०) [प्रति ज्ञा+अङ्कटाप्] व्रत, वचन, घोषणा।
जानकारी (जयो० ७/११३) प्रस्थापना-'प्राणहानावपि प्रणहानिर्न भवतुमर्हतीतियतः खलु। (दयो०१३) उक्ति, प्रकथन। ०साध्यनिर्देश। ०धर्म-धर्मिसमुदाय। ०व्याप्ति वचन।
'व्याप्तिवचनं प्रतिज्ञा अतिशेते, तद्वचनं प्रतिज्ञेव स्यात्
इत्यभिप्रायः। (सिद्धि वि० ५/१५) प्रतिज्ञात (भू०क०कृ०) [प्रति+ज्ञा+क] उद्घोषित, वचन
बद्धता, दृढ़ प्रतिज्ञ होना। (जयोवृ० १२/९०) ०दृढोक्ति, प्रकथन।
मानना, स्वीकार करना। प्रतिज्ञावती (स्त्री०) दृढ़वचनवती। (जयो०६/८५) प्रतिज्ञार्थ (वि०) साध्यधर्म और धर्मी के समुदायार्थ। प्रतिज्ञाविरोधः (पुं०) हेतु से प्रतिज्ञा का विरोध प्रतीति होना। प्रतिज्ञाहानि (स्त्री०) पक्षपरिच्युति। (जयो०१० २६/८२) प्रतितन्त्रं (अव्य०) प्रत्येक तन्त्र, सम्मति अनुसार। प्रतितन्त्रसिद्धान्तः (पुं०) एक ही पक्ष के लिए मान्य सिद्धान्त। प्रतितरः (पुं०) नाविक, मल्लाह। प्रतित्र्यहं (अव्य०) तीन दिन तक क्रमशः। प्रतिताली (स्त्री०) [प्रतिगता तालम्] कुंजी, चाबी। प्रतिदन्तशतः (पुं०) प्रतिरदाङ्क। (जयो०वृ० १८/९९) प्रतिदर्शनं (नपुं०) [प्रति+दृश ल्युट्] ०देखना, अवलोकन करना।
प्रत्यक्ष करना। प्रतिदानं (नपुं०) [प्रति+दा+ल्युट्] विनिमय, क्रय, विक्रय।
पुनरावृत्ति। ० प्रत्यर्पण, वापिस, पलटाना, अर्पण। (जयो० १२/९०)
हुआ।
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