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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रज्वाल ६८२ प्रणष्टिः प्रज्वाल् (सक०) लाना, प्रज्वलित करना। (सुद० ७१) प्रज्वाल्य (वि०) भस्मी सात् करना, भस्म करना, जलाना। (जयो० १५/२५) प्रज्वलित (वि०) जलता हुआ, देदीप्यमान हुआ। प्रडीनं (नपुं०) [प्र+डी+क्त] हर दिशा में उड़ना, आगे दौड़ना। प्रण (वि०) [पुरा+भव:-प्र+न] पुराना, प्राचीन। ०परोपकार, नियम। (जयो० २०/७४) प्रणखः (पुं०) [प्रकृष्टः नख:] कील का सिरा। प्रणत (भू०क०कृ०) [प्र+नम्+क्त] झुका हुआ, नमनशील, प्रणाम करता हुआ। विनम्र, विनीत, कुशल, चतुर। प्रणनाम (वि०) प्रणतवान। प्रणप्रायत (वि०) प्रीति बाहुल्य। (जयो० १२/५२) ०पाणिग्रहण करने वाला। (जयो० १२/५२) प्रणतवान् (वि०) प्रणनाम, अगवानी। (जयो० ४/१७) प्रणतारिन् (वि०) शत्रुओं को झकाने वाला। 'प्रणताः प्रणम्रा अरयो यस्य यस्मै वा तेन प्रणतारिणा। (जयो०वृ० १२/८७) प्रणति (स्त्री०) [प्र+नम्+क्तिन्] प्रणाम, नमस्कार, अभिवादन। विनयभाव, विनम्रशीलता। ०शिष्टाचार, विशेष आदर। नम्रशील, नमक। प्रणति प्रवण: (पुं०) नमन के कुशल, नम्रशील, अभिवादन प्रवीण। (जयो० १६/६१) 'रमणे चरणप्रान्ते प्रणतिप्रवणेऽप्यन्यशरणे वा' (जयो० १६/६१) 'प्रणतौ नमनकरणे प्रवण: कुशलो दत्तचित्तः' (जयो०वृ० १६/६१) प्रणदनं (नपुं०) [प्र+नद्+ ल्युट्] शब्द करना, ध्वनि करना। प्रणदित (वि०) ध्वनित, प्रगटित, बतलाने वाला। 'साम्प्रतं प्रणदितानघानकं देवशब्दमिममुत्तमार्थकम्' (जयो० २/२५) पणम् (सक०) [प्र+नम्] नमन करना, प्रणाम करना। प्रणोमि (समु० १/९) (जयो०१/२) प्रणमन्ति। (जयो० २१/७४) प्रणम्य (वीरो० ५/६) प्रणयः (पुं०) [प्र.नी+अच्] •पाणिग्रहण करना, विवाह करना। प्रेम, प्रीति, स्नेह, अनुराग। (जयो० ५/९८) (जयो० १०/९१) अभिलाषा, वाञ्छा। चाह, लालसा। परिचय, विश्वास। (जयो० २/१३३) अनुग्रह, कृपा, सौजन्य। अनुरोध, प्रार्थना, निवेदन। ०श्रद्धा, भक्ति। प्रणयकुपित (वि०) प्रेम से क्रोधित। प्रणयकुद्ध (वि०) प्रणय सम्बंधी क्रोधा प्रणयनं (नपुं०) [प्र+नी ल्युट्] संचालन करना, पहुंचाना, ले जाना। प्रापण। (जयो० २३/८४) लिखना, निर्णय देना। ०पालन करना, अनुष्ठान करना। प्रणयनकारिन् (वि०) नीतिविद। 'प्रणीतेः अधिपः नीतिविदः प्रणयनकारिणश्चं (जयोवृ० १/२०) प्रणयप्रकर्ष (पुं०) अत्यधिक प्रेम, तीव्र अनुराग। प्रणयप्रणीतिः (स्त्री०) अनुरागाधीन। (वीरो० ३/१५) प्रणयभंग (पुं०) प्रीतिभंग, हीनप्रेम। प्रणयप्रमातु (वि०) स्नेहभाव को प्राप्त। (वीरो० १७/१३) प्रणयभावः (पुं०) मित्रता का भाव। प्रणयमतिः (स्त्री०) निर्णयात्मक बुद्धि। प्रणयवचनं (नपुं०) प्रेमाभिव्यक्ति, प्रीतिवचन। प्रणयविमुख (वि०) प्रेम से हटाया हुआ, प्रेम में अनासक्त, आसक्ति रहित प्रेम वाला। प्रणयविहतिः (स्त्री०) प्रार्थना न मानना, अनुरोध ठुकराना। प्रणयातिशयः (पुं०) प्रेम बाहुल्य, सन्मार्गातिशय। (जयो०२०/४) प्रणयाधीन (वि०) प्रीतिपूर्वक। (जयो० १२/५०) प्रणयिन् (वि०) [प्रणय इनि] ०स्नेही, कृपालु, अनुरक्त। प्रिय, अत्यंत प्यारा। ०इच्छुक, लालायित, उत्कण्ठित। ०सुपरिचित, घनिष्ट। प्रणयिन् (पुं०) मित्र, साथी, सहचर। ०पति, प्रेमी। ०कृताञ्जलि, प्रार्थी, निवेदक। प्रणयिनी (स्त्री०) गृहिणी, पत्नी। ०सखी, सहेली, प्रेमिका। प्रणयेश्वरः (पुं०) प्रेम का ईश्वर पति। 'प्रणयस्य प्रेम्ण __ईश्वरायाधिकारिणे' (जयो० १२/८३) प्रणवः (पुं०) [प्र+नू+अप्ण त्वम्] पवित्र अक्षर। वाद्ययन्त्र। पणष्ट (वि०) विनाश। प्रणष्टवस्तुज्ञानं (नपुं०) चरण ऋद्धि से नष्ट हुई वस्तु का ज्ञान। (जयो० १९/६९) प्रणष्टिः (स्त्री०) दंडविहीन, डंडविहीन। प्रणष्टा दण्डा येषां तानि (जयो० ८/३६) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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