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प्रजादुरीह
६८१
प्रज्वलनं
प्रजादुरीह (वि०) प्रजा की दुर्वृत्तिया। (वीरो० १८/९५) प्रजानाथ (पुं०) राजा, प्रजापालक। प्रजानिषेकः (पुं०) गर्भाधान। प्रजापः (पुं०) राजा, नृप। प्रजापतिः (पुं०) राजा, नृप।
विधाता, सृष्टि सम्पादक। (दयो० १/२२) सृष्टिकर्ता (जयो० ११/१२) प्रजापतेः सृष्टिसम्पादकच्छिशुभावम् (जयो० ११/१२) •पोदनपुर का राजा। (वीरो० ११/१७)
जामाता, जमाई। ०सूर्य, दिनकर।
पिता, जनक। प्रजापाल: (पुं०) नृप, राजा। प्रजापालकः (पुं०) नृप, राजा, अधिपति। (दयो० ९१) प्रजाप्रिय (वि०) प्रजा का हितकारी। 'प्रजायाः प्रियो हितकरः'
(जयो० २३/१) प्रजाबन्धुः (पुं०) राजा, नृप। प्रजामयी (वि०) प्रजा युक्त। (जयोवृ० १/५) प्रजामोहः (पुं०) लोगों का मोह। प्रजायश: (वि०) राजा, स्वामी, प्रभु। प्रजावर्गः (पुं०) जनता, जनसमूह, जनसमुदाय। (जयो० ५/३४) प्रजावृद्धिः (स्त्री०) संतति की वृद्धि। प्रजासृज् (पुं०) विधाता, ब्रह्मा। प्रजासेवा (स्त्री०) प्रजाहित। 'प्रजायाः सेवया तु सा'।
(वीरो०८/४३) प्रजाहित (वि०) लोक कल्याण, जनहित। (दयो० १/१२,
जयो० २२/३७) प्रजिनः (पुं०) [प्र+जि+नक्] पवन, वायु। प्रजिप (सक०) भेजना, लौटाना, वापिस करना। (जयो० ) प्रजीप्सु (वि०) संतान की इच्छा। प्रजीवनं (नपुं०) [प्र+जी+ल्युट्] जीविका, जीवनर्वािह का
साधन, व्यापार। प्रजीश्वरः (पुं०) राजा, प्रभु। प्रजुष्ण (वि०) [प्र+जुष्+क्त] अनुरक्त, भक्त, जुटा हुआ। प्रजोत्पत्तिः (स्त्री०) सन्तानोत्पत्ति।। प्रजोत्पादनं (नपुं०) संतान उत्पन्न करना। प्रज्ञ (वि०) [प्र+ज्ञा+क] बुद्धिमान् ज्ञानी, मेधावी, विद्वान्। प्रज्ञप्तिः (स्त्री०) [प्र-ज्ञा+णिच+क्तिन] प्रतिज्ञा, सहमति।
शिक्षा, सूचना, संदेश, समाचार होना।
सिद्धान्त। प्रज्ञा (स्त्री०) [प्र+ज्ञा+अ+टाप] प्रज्ञायते अनया प्रज्ञा, प्रगता
ज्ञा प्रज्ञा। ०बुद्धि, मेधा, मति, ज्ञान। (जयो० १/९६) विवेक, जागृति, प्रकर्ष प्राप्त।
ज्ञान के उत्पादन की योग्यता, ऊहा: अपोह दृष्टि। प्रज्ञात (भू०क०कृ०) [प्र+ज्ञा+क्त] समझा हुआ, बोध प्राप्त
हुआ।
०प्रसिद्ध, प्रख्यात। प्रज्ञानं (नपुं०) [प्र+ज्ञा+ल्युट्] ०बुद्धि, प्रज्ञा, ज्ञान, मति, धी।
समझ, जानकारी।
चिह्न, पहचान, प्रतीक। प्रज्ञापकः (पुं०) चारित्र का प्रवर्तक। 'चारित्रस्य प्रवर्तकः
प्रज्ञापक उच्यते।' प्रज्ञापना (स्त्री०) उपांग ग्रंथ।
जीवादि पदार्थों का ज्ञापना। 'प्रज्ञाप्यते प्ररूप्यन्ते जीवादयो भावा अनया शब्दसंहत्या इति प्रज्ञापना।' (जै०ल० ७३३)
प्रकर्ष अभिव्यक्ति। प्रज्ञापनी भाषा (स्त्री०) विनम्र शिष्य के लिए गुरु उपदेश की
भाषा। विज्ञान युक्त भाषा।
०धर्मकथात्मक भाषा। प्रज्ञापरीषहः (पुं०) प्रकर्ष ज्ञान होने पर अभिमान। ज्ञानमद। प्रज्ञापरीषहजयः (पुं०) ज्ञानविषयक अभिमान न होना, बुद्धि
की अतिशयता होने पर अहंकार न होना। 'प्रज्ञा प्रकर्षावलेपनिरासः प्रज्ञाविजयः। (त०वा० ९/९) 'प्रज्ञायतेऽनयेति प्रज्ञा
बुद्ध्यतिशयः तत्प्राप्तौ न गर्वमुद्वहत' (त०भा०वृ० ९/९) प्रज्ञापारमितः (पुं०) दूसरों को प्रतिबोधित करने वाले पुरुष। प्रज्ञाभावच्छेदना (स्त्री०) मति आदि ज्ञान से छह द्रव्यों का
जानना। प्रज्ञावत् (वि०) [प्रज्ञा+मतुप्] बुद्धिमान्, समझदार। प्रज्ञावशार्तमरणं (नपुं०) प्रज्ञामद पूर्वक मरण। प्रज्ञाल (वि०) बुद्धिमान, प्रज्ञाशील। प्रज्ञाश्रमणः (पुं०) श्रुतज्ञायक श्रमण। प्रज्ञिन् (वि०) बुद्धिमान, निपुण, मेधावी। प्रज्वलनं (नपुं०) वह्नि, अग्नि, आग। (जयो०वृ० १६/२३)
देदीप्यमान होना, जलना, दहकना।
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