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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रच्छन्न ६८० प्रजादानं प्रच्छन्न (अव्य०) गुप्त रूप से, चुपचाप। प्रजनः (पुं०) [प्र+जत्+घञ्] गर्भाधान करना, पैदा करना। प्रच्छन्नतस्करः (पुं०) गुप्तचर। उत्पादन, उत्पन्न करना। प्रच्छन्नवस्तु (वि०) गुप्त वस्तु, छिपी हुई वस्तु। (वीरो० २/१८) प्रजननं (नपुं०) [प्र+जन्+ ल्युट्] ०प्रसृजन, जनन, योनि गत। प्रच्छन्नी भावः (पुं०) लय, छिपा, गुप्तभाव। (जयो० वृ० जन्म, प्रसव। २६/४५) ०वीर्य, जनेनन्द्रिय। प्रच्छर्द (अक०) वमन होना, उल्टी होना ०सन्तान। प्रच्छर्दनं (नपुं०) [प्र+छ+ ल्युट्] वमन, कै, प्रजनिका (स्त्री०) [प्र+जन्+णिच्वु ल+टाप्] माता, माँ, ०बाहर निकालना, फेंकना। जननी। प्रच्छर्दिका (स्त्री०) [प्र+छर्ट्+ण्वुल-टाप] उल्टी होना, वमन प्रजनुकः (पुं०) [प्र+जन+उक] काया, शरीर देह। के करना। प्रजल्प (अक०) कहना, बखान करना। (वीरो० ९/२६) प्रच्छादनं (नपुं०) [प्र-छद्णिच् ल्युट्] ०ढकना, छिपाना। प्रजल्पः (पुं०) [प्र. जल्प+ल्युट्] मुखरी वचन, बकवास, ओढ़नी, चादर, उत्तरीय। व्यर्थकथन, कहना (सुद० ९४) प्रलाप! ०ऊट पटांग प्रच्छादनपट: (पुं०) लटेपटन, चादर, ढकना। शब्द। प्रच्छादित (भू०क०कृ०) [प्र+छद्+णिच्+क्त] ढका हुआ। प्रजल्पनं (नपुं०) [प्र+जल्प् ल्युट्] ०बोलना, कहना, लपेटा हुआ। ०बातचीत करना। गुप्त, छिपा। गपशप, मुखरी वचन। प्रच्छायं (नपुं०) [प्रकृष्टा छाया यत्र] सघन छाया, छाया प्रजविन् (वि०) [प्र+जु+इनि] आशु, द्रुतगामी, वेगवान्। युक्त प्रदेश। प्रजविन् (पुं०) दूत, संदेशवाहक। प्रच्छिल (वि०) [प्रच्छ+इलच्] शुष्क, निर्जल, सूखा। प्रजा (स्त्री०) [प्र+जन्+ड+टाप्] ०जनसमूह, जनसमुदाय। प्रच्यवः (पुं०) [प्र+च्यु+अच्] आना, एक जन्म से दूसरे ०लोग, मानव, मनुष्य, प्रज्ञासु-लोकेषु (जयो०१० २/५९) जन्म को प्राप्त होना। सन्तति, सन्तान। ०पतन। प्रसृजन, प्रसूति, प्रसव। प्रगति, विकासाप्र ०जन्म, उत्पादन। •पुनरागमन। प्रजाकम्म (वि०) सन्तान की चाह, सन्तति की वाञ्छा। प्रच्यवनं (नपुं०) [प्र+च्यु+ल्युट] आगमन, आना। (जयो० प्रजाकृतिः (स्त्री०) जनता का कर्तव्य। 'प्रज्ञायाः प्रजायाः २७/५८) चतुर्वणार्मिकाया जनतायाः कृतिः कर्त्तव्यम्। (जयो० ३/३) विदा होना, मुड़ना। प्रजागरः (पुं०) [प्र+जागृ+अप्] ० जागरण करना, सोना नहीं। ०हानि, क्षति। सावधानी, चौकसी। रिसना, झरना। ०अभिभावाक, संरक्षक। प्रच्युत (भू०क०कृ०) गिरा हुआ, च्युत हुआ, पुनरागमन को प्रजाननः (पुं०) प्रजासमूह। (जयो० १/२२) प्राप्त हुआ। प्रजात (भू०क०कृ०) उत्पन्न, प्रजनन, प्रसूति। ० भटका हुआ, विचलिता ०पैदा हुआ, उत्पन्न हुआ। स्थान पतित, भ्रष्ट, गिरा हुआ। प्रजातिः (स्त्री०) [प्र+जन्+क्तिन्] विस्थापित। ०प्रसूति, उत्पादन, प्रजनन। प्रच्युति (स्त्री०) [प्र+च्यु+क्तिन्] ०हानि, क्षति, अधः स्तन। ०पीडाकारी। (जयो० १/५२) पुनरागमन, एक जन्म से दूसरे जन्म को प्राप्त होना। प्रसववेदना, प्रसवपीड़ा। ०वापसी। प्रजादानं (नपुं०) चांदी। प्रजः (पुं०) [प्रविश्य जायायां जायते-जन्+ड] पति, स्वामी। १. प्रजा कल्याण, प्रजाहित। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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