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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रचलाक: ६७९ प्रच्छन्नं प्रचलाकः (पुं०) [प्र+चल्+आकन] धनुर्विद्या, मयूर पिंछ। ०सर्प। प्रचलाकिन् (पुं०) [प्रचलिक+इनि] मयूर, मोर, शिखी। प्रचलायिक (वि०) [प्रचल+क्यङ्+क्त] चलायमान, करवट बदलने वाला। हिलने-डुलने वाला, लुड़कने वाला। प्रचायिक (स्त्री०) [प्र+चि+णिच्+ण्वुल्+टाप्] संचालिका। क्रमशः चयन की गई स्त्री। चयनित नारी। प्रचारः (पुं०) [प्र+च+घञ्] विचरण करना, परिभ्रमण करना, घूमना, प्रसार। (जयो०वृ० १/१३) ०संचार, विस्तार, फैलाव। (जयो० १/१३) आचरण, व्यवहार। प्रथा, रीति-रिवाज। प्रचलन। (जयो०वृ० १/६) ०प्रचलन, प्रसिद्धि, व्यवहार, प्रयोग। (सुद० ५/२) खंगभावस्य च पुनः प्रचारो भवति दृष्टिपथमेष गतः। (सुद०५/२) गोचर भूमि, चारागाह। प्रचारक (वि०) प्रचार करने वाला। (जयो०वृ० १/१२) प्रचारणं (नपुं०) प्रकटीकरण, प्रचलन चारणा गुणगणप्रचारणास्ते कुविन्दवदुदारधारणाः। (जयो० ३/१७) प्रसारण। (जयोवृ० ३/१७) प्रचारण बुद्धि की विशेषता। (जयो०१० ४/१६) प्रचालः (पुं०) [प्रकृष्टश्चाल:] वीणा की गरदन। प्रचालनं (नपुं०) [प्र+चल्+णिच्+ल्युट्] ०प्रचार, प्रसारण। oहिलाना, विलोडन करना, हलचल। प्रचालयन्ती [प्र+चल+णिच्+शत ङीप्] संचालन करने वाली। (जयो० ८/५२) प्रचित (भू०क०कृ०) [प्र+चि+क्त] संचित किया, एकत्रित किया हुआ, तोड़ा हुआ। ० ढका गया, आच्छादित किया गया। प्रचुर (वि०) [प्र+चु+क] अधिक, विशिष्ट, यथेष्ट, बहुल, पुष्कल, विशाला, बृहत्, विस्तृता परिपूर्ण, भरा हुआ, बहुत अधिक। प्रचुरः (पुं०) चोर। प्रचुरजनः (पुं०) विशिष्ट लोग। प्रचुरधनं (नपुं०) पर्याप्त धन। प्रचुरतपः (पुं०) विशिष्ट तप, उत्कृष्ट तप। प्रचुरता (वि०) प्रमुखता। (दयो० ३५) प्रचुरमात्रा (स्त्री०) अधिकमात्रा। प्रचुरमोहः (पुं०) मोह की व्यापकता। प्रचुरयशः (पुं०) यथेष्ट कीर्ति। प्रचुर-रजनी (स्त्री०) प्रगाढ़ रात्रि, अन्धकारमयी रात्रि। प्रचुरशब्द (वि०) अधिक शब्द, शब्द की व्यापकता। प्रचेतस् (पुं०) [प्र+चित्+असुन्] वरुण। प्रचेत (पुं०) [प्र+चि तृच्] सारथि, रथवाहक। (वीरो० १८/३४) प्रचेलं (नपुं०) [प्र+चेल्+अच्] चन्दन की पीली लकड़ी। प्रचेलकः (पुं०) [प्र+चेल्+ण्वुल्] अश्व, घोड़ा। प्रचेलिमा (वि०) परिपाक प्राप्त। (जयो० २४/५८) प्रचोदः (पुं०) [प्र+चुद्+घञ्] आगे हांकना, बलपूर्वक चलाना। भड़काना, प्रेरित करना। प्रचोदनं (नपुं०) [प्र+चुद्+ल्युट्] ०बलपूर्वक चलाना, हांकना। उकसाना, भड़काना। आदेश देना, निर्देश करना। नियम, विधि, समादेश। प्रचोदित (भू०क०कृ०) [प्र+चुद्+क्त] उकसाया हुआ, भड़काया हुआ। निदेशित, आदेशित। नियमित, आदिष्ट नियत किया हुआ। प्रच्छ (अक०) पूछना, प्रश्न करना। ०ढूढना, खोजना। ० अन्वेषण करना। प्रच्छदः (पुं०) [प्राच्छद्। णिच्+घ] ०आवरण, आच्छादन। चादर, ओढ़नी, बिछावन। प्रच्छदपटः (पुं०) बिछावन, चादर। प्रच्छनं (नपुं०) [प्रच्छ+ल्युट्] परिपृच्छा, प्रश्न करना। प्रच्छना (स्त्री०) परिपृच्छा, प्रश्न करना। प्रच्छन्न (भू०क०कृ०) [प्र+च्छद्+क्त]०वस्त्राच्छादित, लपेटा हुआ, बन्द किया हुआ। गुप्त, छिपा हुआ, रहस्यमय। गोपनीय, निजी, स्वकीय। प्रच्छन्नतप (वि०) गुप्त, गोपनीय, छिपा हुआ। 'द्रतुव तत्र गत्वा प्रच्छन्मतया'। (दयो० ८१) प्रच्छन्नं (नपुं०) द्वार, झरोखा। जाली, खिड़की। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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