SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तालध्वजः तालध्वज: (पुं०) बलराम । तालपत्रं (पुं०) ताडपत्र, जिस पर ग्रन्थ लिखे गए। तालभृत् (पु०) बलराम । तालबद्ध (वि०) झांझ, करताल, मंजीरा । तालयन्त्रं (नपुं०) जर्राह का एक उपकरण । तालयुक्त (वि०) लय सहित (जयो० १४/१) तालरेचनकः (पुं०) नर्तक, अभिनेता। www.kobatirth.org ताललक्षकः (पुं०) बलराम । तालवनं (नपुं०) वृक्ष समूह, ताडवृक्षों का वन । तालवृक्षरसं (नपुं०) ताड़ी, आलीयक। (जयो० वृ० १६ / २६ ) तालवृन्तं (नपुं०) बिजना, विजन, पंखा । (जयो० १२ / १२२) तालवृन्तभ्रमणं (नपुं०) तालवृक्ष के डण्ठल के आश्रय (चीरो० १२/१५) तालवृन्तबंध: (पुं०) एक छन्द की प्रक्रिया (वीरो० २२/४०) तालव्य (वि० ) [ तालु+ यत्)] तालु स्थानीय तालु से सम्बन्ध रखने वाला। तालव्यवर्णः (पुं०) तालु स्थानीय अक्षर-इ, ई, च, छ्, झ्, ञ्, और श्' य् तालव्यस्वरः (पुं०) तातु स्थानीय स्वर ई ई । तालिकः (पुं०) (तल ठक्] ताली बजाना, खुली हथेली। तालितं (तलु णिच् + क्त) रंगा हुआ वस्त्र १. रज्जू, रस्सी ताली (स्त्री० ) [ तल्+ णिच्+अच् + ङीष् ] १. ताडवृक्ष, पर्वतीय ताडतरु। २. सुगन्ध युक्त मृतिका + तालीवनं (नपुं०) ताडवृक्ष समूह | तालु (नपुं० ) [ तरन्त्यनेन वर्णाः तृ+उण् रस्य लः] उपरिदंत और कौवे के मध्य का गर्त । तालुजिह्वः (पुं०) मगरमच्छ । तालुर: (पुं०) भंवर, जलावर्त । तालुस्थ (वि०) तालु स्थान । तालुस्थानं (नपुं०) तालुभाग । तालूषकं (नपुं० ) [ तल्+ णिच्+ऊषक् ] तालु। तावक ( वि० ) [ युस्मद् + अण्-तवक आदेशः, तवक+खञ्] तावकीन त्वदीय (जयो० १७ / १२८) तेरा, तेरी । तावकीन (वि०) उतने ही (जयो० ० १८/३५) तावत् (वि० ) [ तत्+डावतु] उतना, इतना, इतने। (सुद० ९५, तत्कालमेघ (जयो० २ / १३३) इस समय अवधारण अर्थ में (जयो०] १४/३१) यावत्तावच्च साकल्येऽवधौ मानावधारणे तावद देखो ऊपर। 1 ४४१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तावता (अव्य०) तत्काल ही। (जयो० ४/३) तावत्तु (अव्य० ) तत्पश्चात भी। (वीरो० ४ / २९) एकोन्यत: सम्मिलतीति यावद्धौभाविकी शक्तिरुदेति तावत् । तिग्मांशु तावतैव (अव्य० ) इतने ही। (दयो० २०) (सम्य० २३) तावतैकत्र (वि०) उतने ही। (दयो० १७) मात्र । तावत्कृत्यः (अव्य०) इतनी बार तावत्मात्रं ( नपुं० ) इतना मात्र । तावत्वर्ष (पुं०) इतने वर्ष पुराना । तावतिक (वि०) इतनी कीमत का तावतैव (अव्य०) तो भी (जयो० २/१०५) तावदन्यत्र ( वि० ) इसके अतिरिक्त । (सम्य० ७१) नात्माऽस्य दृष्टी भवतीति तावदन्यत्र चैतस्यु किलात्मभावः । (सम्य० ७१ ) तावदकिञ्चन (वि०) और कुछ भी (जयो० तावदलीकः (पुं०) उतना मिथ्या । तावदलीकबोध: (पुं०) उतना मिथ्याबोध तदुत्तरं तावदलीकबोधः प्रणाशमायाति न किन्त्वबोधः। तावदित (वि०) एतदर्थ (जयो० ८/२४) (सम्य० १३६) इतने से ही यहां (वीरो० १७/२६) तावदिति (अव्य०) वाक्य की शोभा के लिए (जयो० २/११०) तावदेव (वि० ) इतने में भी (दयो० ७) तावदीय (वि०) उतने ही (जयो० वृ० १२/८५) तिक्त (वि०) [तिज+क्त] तीखा, कड़वा, चरपरा (जयो० २५ / २९) तीखापन, सुगन्ध। तिक्तनाम (वि०) तीखे से युक्त नामकर्म । तिक्तफलं (नपुं०) कटुकफल। For Private and Personal Use Only तिक्तफल: (पुं०) कतक पादप । तिक्तमरिच (पुं०) कवक वृक्षा तिक्तसार : ( पुं०) खदिर तरु। तिक्तायते जलाता है (सुद० १११) तिग्मः (वि० ) [ तिज् + कम्+ जस्य काः] १. गहन, अधिक, प्रगाढ़, प्रचण्ड, २. दाहक, गरम, उष्ण। तिग्मकर: (पुं०) सूर्य, रवि । तिग्मकरोदय (पुं०) सूर्योदय (जयो० २०/८९) तिग्मदीधिति: (पुं०) दिवेस, दिनकर, रवि सूर्य। तिग्मरश्मि: (पुं०) सूर्य, दिनकर, रवि तिग्मांशु ( पुं०) सूर्य । तिग्मांशु कृपयोऽस्य तावदुदिता सम्वर्तते साधुता (मुनि० १) ।
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy