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ताम्रवृक्षः
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तालगर्भः
ताम्राक्षः (पुं०) १. कौवा, २. कोयल।
ताराततिः (स्त्री०) ताराओं की पंक्ति। (वीरो० ९/४२) ताम्रिक (वि०) [ताम्र ठक्] ताम्रमय, तांबे का बना हुआ। तारापतिः (स्त्री०) चन्द्रमा, शशि। (जयो० १८/४०) ताम्रोष्ठः (पुं०) रक्त होंठ।
तारापदेशः (पुं०) ताराओं के वहाने, ताराणामपदेशाच्छलात् ताय् (सक०) फैलाना, विस्तार करना।
(जयो० १५/५०) तार (वि०) [तृ+णिच्+अच्] उच्च, उन्नत, उज्ज्वल, श्रेष्ठ, ताराप्रमाणं (नपुं०) तारालोक, राशिचक्र। स्पष्ट, कर्कश, अच्छा, मनोज्ञ।
तारामृगा (पुं०) मृगशिरा नक्षत्र। तारः (पुं०) १. मुक्ता। 'तारो मुक्तादि-संशुद्धौ तरुणे तारावतारः (पुं०) नक्षत्रत्रस्फुरण, तारों की चमक। (वीरो०
शुद्धमौक्तिके' इति विश्वलोचन। (जयो० १३/९०) २. २/३६) नदी तट, ३. प्रभा, चमक, आभा।
तारिकं (नपुं०) [तार+ठन्] भाड़ा, किराया। तारं (नपुं०) १. तारा, ग्रह, नक्षत्र। २. कपूर, ३. रजत। ४. तारुण्यं (नपुं०) [तरुण+ष्यञ्] युवावस्था, यौवनकाल, वयस्थ, आंख की पुतली।
युवक अवस्था युक्त। (जयो० १/६) (दयो० ५६, जयो० तारक (वि०) [तृ+णिच्+ण्वुल] पार ले जाने वाला, रक्षा २३/५८) यौवने कारुण्य करुणा बुद्धिं विधेहि, यौवनं व्यर्थं करने वाला, पार करने वाला।
मा कुरु रुचिं निधेहि।। (जयो० २४/१३२) तारकः (पुं०) जहाज, जलपोत, बेड़ा।
तारुण्यतेजः (पुं०) युवावस्था का कान्ति, यौवन शक्ति। (दयो० तारकं (नपुं०) १. अक्षि, आंख, २. आंख की पुतली। ३. तारा। ४२) तारकनायकः (पुं०) चन्द्र, शशि। (जयो० वृ० १/१०५) तारुण्यपूर्णः (पुं०) तरुणता से परिपूर्ण, यौवनावस्था से युक्त। तारकजित् (पुं०) कार्तिकेय।
(सुद० ११९) 'तारुण्यपूर्णामिह भाग्यपूर्णाः' (वीरो० ९/३१) ताकरवृत्तः (पुं०) तारक नामक मणि, प्रभा युक्त मणि, तारुण्यमूर्तिः (स्त्री०) वयः सन्धि, तरुणाई की मूर्ति। (जयो० चमकीली मणि। (जयो० ५/५२)
१६/२) तारका (स्त्री०) [तारक+टाप्] तारा। (जयो० १८/२२) १. | तारुण्यारम्भः (पुं०) यौवनारम्भ, वयावस्था का प्रारम्भ। (जयो० उल्का, धूमकेतु, अक्षिपुत्तलिका।
वृ० २/५७) तारकाचयः (पुं०) तारों का टूटना। (वीरो० ७/११)
तारेयः (पुं०) [तारा+ ठक्] बुधग्रह। तारकिणी (वि०) [तारक+इनि ङीष्] तारों से युक्त रात्रि, तार्किक (वि०) [तर्क+ठक्] दार्शनिक, विचारशील, न्याय कृष्णपक्ष की रात्रि।
परम्परा में सिद्धहस्त, तर्कशैली वाला। तारकित (वि०) [तारक इतच] तारों से युक्त।
तार्थ्यः (पुं०) [तृक्ष अण+तार्क्ष+ष्यब] गरुड़। (वीरी० २०/१) तारकोक्तिमत्व (वि०) नक्षत्ररूपत्व, तारों के स्वरूप वाला। तार्थ्यरूपः (पुं०) गरुड़ स्वरूप। (वीरो० २०/५) (जयो० १२/७१)
तीर्तीय (वि०) [तृतीय+अण] तीसरा, तृतीय। तारण (पुं०) [तृ+णिच्+ल्युट्] नौका, नाव।
तार्तीयीक (वि.) [तृतीय+ईकक] तृतीय, तीन संख्या युक्त। तारणं (नपुं०) पार, उतारना, बचाना, छुड़ाना।
तालः (पुं०) [तल+अण] १. ताडवृक्षा (जयो० १४/१) २. तारणिः (स्त्री०) [तृ+णिच्+अनि] बेड़ा, घडनई।
कंसिका, वाद्य विशेष। ३. लय-लयमूर्च्छादि-संगीत तारतम्यत् (वि०) तारतम्यता से, एक दूसरे के योग से, साक्षेप शात्रोक्तस्तैरन्वितो युक्तो' (जयो० १४/१) तालस्तु महत्त्व। (जयो० २६/९२)
कसिकादिशब्द विशेष। ४. ताली, हाथों से बजने वाली। ५. तारतम्यं (नपुं०) क्रमांकन, साक्षेप दृष्टि, तुलनात्मक दृष्टिकोण। टेक, गीत को पुनरावृत्ति की लय, गति, नियत मात्राओं अन्तर भेद।
पर ताल, लय देना। तारयितु-पार कराने के लिए (सुद० २/३१)
ताल (नपुं०) हरताला तारलः (पुं०) [तरल+अण्] विषयी, कामुकी।
तालकेतुः (पुं०) भीम। तारा (स्त्री०) [तार+टाप्] १. तारा, ग्रह। (जयो० वृ० १५/२९) तालक्षीरकं (नपुं०) ताड़ी, ताड का क्षीर/दुग्ध।
२. अक्षिपुत्तलिका, दृष्टि (सुद० ८२), ३. मुक्ता। तालगर्भः (पुं०) ताड़ी।
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