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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृषदकः ६६९ पेशल पृषदङ्ककः (पुं०) शशक। (सुद० ८७) पृषाकरा (स्त्री०) [पृष्+क्विप्+पृषे सेचनाय आकीर्यते-पृष्+ आ+ कृ+अप्+टाप्] छोटा पत्थर। पृषातकं (नपुं०) [पृषत्+आ+तक+अच्] दहि और घी का मिश्रण। पृषोदरः (पुं०) [पृषत् उदरं यस्य] जलोदर। पृष्ट (भू०क०कृ०) [प्रच्छ+क्त] पूछा। (सुद० ३/३६) ०प्रश्नित, पूछा गया, प्रश्न किया गया। पृष्टवान् (वि०) पूछा गया। (समु०५/२) पृष्टायनः (पुं०) धान्य विशेष। हस्ति । पृष्टिः (स्त्री०) [प्रच्छ+क्तिन्] प्रश्न पूछना, प्रश्न करना। पृष्ठं (नपुं०) [पृष+स्पृश् वा थक्] ०पीठ, पिछला, पीछे का (दयो० १७) सतह, ऊपरी भाग, पुस्तक का पृष्ठ। पृष्ठक (नपुं०) [पृष्+कन्+ल्युट] पीठ पिछला, पीछे का। पृष्ठग (वि०) पृष्ठोपरि (जयो०७/१०८) पृष्ठगोपः (पुं०) पीठ की रक्षा। पृष्ठग्रन्थि (वि०) कूबड़ा युक्त, ककुद्वान। पृष्ठचक्षुस् (पुं०) केकड़ा। पृष्ठतल्पनं (नपुं०) हस्ति की मांसपेशिया। पृष्ठतस् (अव्य०) पीछे पीछे। पृष्ठदृष्टि (स्त्री०) ०केकड़ा, ०भालू। पृष्ठफलं (नपुं०) पिछला परिणाम। पृष्ठभागः (पुं०) पिछला हिस्सा। पृष्ठमांसं (नपुं०) पीठ का मांस, पीठ की गूमड़ी। पृष्ठयानं (नपुं०) सवारी, वाहन, यान, बोझा ढोने का साधन, जिसकी पीठ पर लादकर सामान ले जाया जाता है। पृष्ठरक्षः (पुं०) पीठ की रक्षा, योद्धा की रक्षा करना। पृष्ठलग्न (वि०) पीछे संलग्न। (जयो० १६/११) पृष्ठवंशः (पुं०) रीढ़ की हड्डी। पृष्ठवास्तु (नपुं०) मकान का ऊपरी भाग, अग्गासिया, छज्जा। पृष्ठवाह् (पुं०) अड़ियल बैल। ____जिस पर सामान ढोकर ले जाया जाता है ऐसा बैल। पृष्ठबाह्यः (पुं०) यान वाला बैल, भारवाहक बैल। पृष्ठाशृंगः (पुं०) जंगली बकरा। पृष्ठशृंगिन् (पुं०) मेंढा, भैंसा। ०भूमि-पाण्डुपुत्र भीम। पृष्ठसन (नपुं०) पलान, कश्यकुश। (जयो० २१/२) पृष्णि: (स्त्री०) एडी। पृ (सक०) संतुष्ट करना, प्रसन्न करना, ०भरना, हवा करना। पूरा करना, तृप्त करना। पेचकः (पुं०) [पच्+वुन्] उल्लू। ०शय्या, पलंग। मेघ, नँ। पेचकिन् (पुं०) हस्ति, हाथी। पेंजूषः (पुं०) कान का मैल। पेटः (पुं०) [पिट् अच्] पेटं (नपुं०) टोकरी, पेटी, संदूक, थैला। पेटकः (पुं०) टोकरी, संदूक, पेटी। थैला। पेटकं (नपुं०) पेटी, संदूक। पेटा (स्त्री०) पेटी, संदूक! पेटाकः (पुं०) टोकरी, संदूक, पेटी। पेटिका (स्त्री०) [पिट्+ण्वुल्+टाप्] पेटी, टोकरी, संदूक। पेटी (स्त्री०) [पिट्-पेट्-ङीप्] टोकरी, संदूक, पेटी। पेडा (स्त्री०) बड़ा थैला, बड़ी टोकरी। पेय (वि०) [पा+ण्यत्] पीने योग्य, पान करने योग्य। पेयं (नपुं०) पानीय, पेय पदार्थ, शर्बत, रस, मद्य। पेयजल (नपुं०) पीने योग्य जल। (हि०ल० ४८) पेयुः (पुं०) समुद्र, उदधि, सागर। ०अग्नि, आग। ०दिनकर, भानु, सूर्य। पेयूषः (पुं०) [पीय ऊषन्] ०पीयूष, अमृत, सुधा। ___०घृत। पेरा (स्त्री०) एक वाद्ययन्त्र। पेल् (अक०) हिलना, कांपना। भ्रमण करना। पेलं (नपुं०) अण्डकोष। पेलकः (पुं०) अण्डकोष। पेलव (वि०) [पेल+वा+क] सुकुमार, मृदु, मुलायम। दुर्बल, क्षीण, हीन। पेलविलः (पुं०) भिक्षा का नियम, वृत्तिपरिसंख्यान। पेलिः (पुं०) [पेल+इन, पेल इनि] अल्प, किंचित् थोड़ा। पेलिन् (पुं०) अव्य, किंचित्, थोड़ा। पेशल (वि०) [पिश्+अलच्] •सुकुमार, मृदु, कोमल। (जयो० ७/७५) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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