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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूयनं ६६४ पूर्णा पूयनं (नपुं०) [पूय+ल्युट] पीप, मवाद। पूर (सक०) भरना, पूर्ण करना, (सुद० २/४७) ०ढकना, आच्छादित करना। घेरना, परिधि करना। ०प्रसन्न करना, सन्तुष्ट करना। बोझ लादना। पिरोना, गूंथना। डालना, उड़ेलना-अपूरयत् (जयो० ९/९४) पूरः (पुं०) [पूर+क] झरना, पूर्ण करना। चढ़ना, पानी बढ़ना, जलप्रवाह। (जयो० १३/६४) ०प्रसन्न करना, तृप्त करना। ०पूर-जलखण्ड, सरोवर, तालाब। पूरक (वि०) [पूर+ण्वुल्] पूर्ण करने वाला, पूर्ति करने वाला, तृप्त करने वाला। ०संतुष्ट करने वाला, प्रसन्न करने वाला। पूरकः (पुं०) नींबू पादप। गुणक। पूरग (वि०) तृप्त करने वाला। (समु०७/२७) पूरण (वि०) [पूर+ ल्युट्] भरना, पूरा करना, संतुष्ट कारक, प्रसन्नता देने वाला। पूरण: (पुं०) सेतु, बांध, पुल। समुद्र, उदधि, सागर। पूरणं (नपुं०) पूर्ण करना, भरना सम्पन्न करना, स्वीकरण (जयो० १२/९०) पूरण पुरी, मीठी पुरी। वृष्टि, बरसात। ०ऐंठन, मरोड़, पेट की गड़बड़। गुणका पूरय् (अक०) कुशल करना। (जयो० ४/४५) पूरयन्। (सुद० ३/६) पूरयामासु (लि०वि०) पूर्ण किया गया। पूरणप्रत्ययः (पुं०) क्रम सूचक प्रत्यय। पूरिका (स्त्री०) [पूर ङीप्कन्टाप्] पूरी, कचौरी। पूरित (भू०क०कृ०) भरा हुआ. पूरा हुआ। (जयो० ३/९३, सुद० २/४३) आच्छादित, बिछाया हुआ। संतोष युक्त, प्रसन्नता युक्त। पुरुषः (पुं०) [पुर+कुषन्] मानव, नर। पूर्ण (भू०क०कृ०) [पुर्+क्त] परिपूर्ण, भरा हुआ। ०व्याप्त-पूर्ण व्याप्तं प्रघणमलिंदम्' (जयो०१० ३/२५) | समग्र, सम्पूर्ण समूचा 'स्वतोऽधरं पूर्णमिदं सुयोगैः' (सुद० १/३०) अतीत, बीता हुआ, समाप्त हुआ। यस्मिञ्जन: संक्रियता च तूर्णं योऽभूदनेकाथतया प्रपूर्ण:। (सुद०, १/३२) ०संतुष्ट, तृप्त। शक्तिशाली, बलिष्ट। पूर्णककुद् (वि०) समग्र ककुद कंधे युक्त, परे हुए कंधे वाला। पूर्णकामः (वि०) संतृष्ट, तृप्त, काम से युक्त। पूर्णकंभुः (पुं०) भरा हुआ कलश। युद्धरीति विशेष। पूर्णक्षण (वि०) क्षण की पूर्णता। पूर्णगेयः (पुं०) परिपूर्ण गीत, स्वर रहित गान। पूर्णचन्द्रः (पुं०) सिंहसेन का कुंवर, रानी शमदत्ता का पुत्र। बभूव पश्चादपि पूर्णचन्द्रवाक्सहोदरस्तेन समन्वितः स वा। परस्परप्रेमसुधारपरीक्षणः समावभौ दाशरथि सलक्ष्मणः।। (समु० ४/१०) सिंहचंद्र और पूर्णचन्द्र दोनों राजपुत्र थे, दोनों का स्नेह श्री राम और लक्ष्मण की तरह था। ०पूणिमासी का चन्द्र। (जयो०वृ० ११/६४) पूर्णता (वि०) सम्पन्नता। (भक्ति० २६) पूर्णतया (वि०) पूर्ण रूप से। (समु०७/२३) पूर्णदिनं (नपुं०) पूरे दिन, समग्र दिन। 'पादैः खरैः पूर्ण दिन जगुर्विद्वर्या' (वीरो० १२/२१) पूर्णधर (वि०) पूर्णता को धारण करने वाला। पूर्णधामः (पुं०) पूर्ण स्थान। परम स्थान, परमात्मा। यदाश्रयः श्री परमात्मनामा, निर्दोषपूषेव स पूर्णधामा। (समु० १८/२४) पूर्णपरित्यागः (पुं०) परिपूर्ण त्याग। एकदेशपरित्यागात्, सुगति श्रयते पुमान्। अपि पूर्णरित्यागादपुनर्भवतामहो।। (दयो० १२१) पूर्णप्रयत्नः (पुं०) सम्पूर्ण यत्न। (मुनि० १२) पूर्णमासि (स्त्री०) [पूर्णि+मास्+ङीप्] पूर्णिमा का दिन, पूर्णचन्द्र वाला इन्द्र। 'पूर्णमास्यां भवति स पौर्णमास्यो' (वीरो० पूर्णमासी देखो ऊपर। पूर्णविधु (पुं०) पूर्णविधु नामक मुनि अलका नगरी के सिंहसेन के राज्य में सिंह चंद्र और पूर्ण चन्द्र के युवराज पर प्रतिष्ठित होने पर समागत मुनि (समु० ४/१७) पूर्णा (स्त्री०) पूर्णातिथि, पूर्णिमा की तिथि। पंचमतिथि नन्दा, भद्रा, विजया, लक्ष्मी और पूर्णा ये ज्योतिर्विद् तिथियां हैं, For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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