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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूजित ६६३ पूयरक्तः पूजित (भू०क०कृ०) [पूज्+क्त] ०अर्चित, भजित, आराधित। पूतभावः (पुं०) पवित्र भाव। ०अनुशासित, प्रशंसित, सम्मानित। पूतवेष: (पुं०) मञ्जुलवेष, स्वच्छपरिधान। (जयो० १२/१२१) आहृत, प्रतिष्ठित। समुञ्चवलाम्बर। पूजा जाने वाला। पूता (स्त्री०) सती, श्रेष्ठ स्त्री। 'पूता सती इहलोके' (जयो० पूजिल (वि०) [पूज+इलच्] ०अर्जित, आराधित। वृ० ३/५६) ०सम्मानित, समादरणीय। सुन्दरी, श्रेष्ठ स्त्री। (सुद० ३/२१) पूज्यपादः (पुं०) जैनेन्द्र व्याकरणकार। (वीरो० ३/७) आचार्य | पूति (वि०) [पूय+क्तिच्] दुर्गन्ध युक्त, खड़ी हुई, अपवित्री पूज्यपादकृत-पाणिनीय काशिका वृत्ति। (जयो० ४/१६) भूत, दुर्गन्धित। (सुद० १०१) पैरों की पूज्यता। (दयो० ११२) पूतिः (स्त्री०) दुर्गंध, फोड़ा। (जयो० २/५) पूज्यकीर्ति (स्त्री०) महनीय। (जयो०वृ० ४/९) पूजनीय। पूतिकृतिः (स्त्री०) रोने में तत्पर। 'पूत्कृतौ रोदने तत्परम्' पूजिल: (पुं०) अर्हत्-देव। (जयो०वृ० १६/८१) पूज्य (वि०) [पूज्+ण्यच्] आदर का अधिकारी, सम्माननीय पूतिकर्म (पुं०) साधुओं के लिए अग्राह्य आहार कर्म। सम्मान योग्य, पूजनीय। जनकी जनकौ पूज्यौ। (हित०११) | पूतिकाष्ठं (नपुं०) देवदारु वृक्ष। पूजा के योग्य, पूज्य। पितुस्तवाप्येषोऽकम्पन: पूतिकाष्ठकः (पुं०) सरल वृक्ष। (जयो० ७/४) पूज्योऽर्हन् केवलज्ञान-दृग्वीर्य-सुखधारकः। पूतिगंधः (वि०) दुर्गंध युक्त, बदबूदार, सड़ा हुआ। (जैन०ल० ७२०) पूतिगन्धि (वि०) दुर्गन्धित, दुर्गन्ध देने वाला। पूज्यता (वि०) पूजनीयता, पूजा की योग्यता। (सुद०५) पूतिदोस (पुं०) साधु के आहार में लगने वाला दोष। पूज्यपूजा (स्त्री०) पूजनीय की प्रशंसा। (जयो० १३/५) पूतिनासिक (वि०) दुर्गन्धमय नाक वाला। ___ पूज्यानां गुरुस्थानीयानां श्वसुरादीनां पूजा। पूतिक्तु (स्त्री०) फोड़े फुसी। (समु० ९/२९) पूण (सक०) चुनना, संग्रह करना, एकत्रित करना। पूतिपर (वि०) दुर्गन्ध युक्त। (जयो० २५/२०) 'अपितु पूतिपरं पूत् (अव्य०) फूत्कार सूचक ध्वनि, अनुकृति युक्त ध्वनि। वनिताव्रणम्' पूत्कृ (सक०) [पूत्+कृ] पुकारना, पुच्चकारना, बुलाना, पूतिभेदनं (नपुं०) फोड़े का भेदना। 'पूते स्फोटकस्य भेदनं हवा करना। पूच्चकारेव भयानक कोलाहलं चकारेत्यर्थः। विदारणम्' (जयो०३० २/५) (जयो०वृ०८/६) पूतिमूलं (नपुं०) दुर्गन्ध सहित। (सुद० १०२) पूत (भू०क०कृ०) [पू+क्त] पवित्र, शुद्ध, स्वच्छ, निर्मल। पूतिमूलक (पुं०) दुर्गध युक्त। पित्रोश्च मूत्रेन्द्रियपूतिमूलं ०धोया हुआ, साफ किया हुआ। घृणास्पदंकेवलस्य तूलम्। (सुद० १०२) परिमार्जित किया हुआ। पून (वि०) [पू+क्त तस्य न:] नष्ट किया गया, समाप्त किया प्रायश्चित्त किया हुआ। गया, विध्वंस किया गया। दुर्गन्ध युक्त, सड़ने वाला। पूपः (पुं०) [पू+किप्पा +क] पूजा, अर्चना, स्तुति। पूतः (पुं०) पुत्र। (सुद० १/४१) ०शंख, सफेद कुश/घास। पूपला (स्त्री०) [पूप+ला+क+टाप्] [पूपाय अलनिपूतं (नपुं०) सत्य, सच्चा, पवित्र। स्वच्छ, साफ। (सुद० ८४, पूप+अल+अच्+टाप्] मालपुआ, मीठा पुआ। मुनि० १/४) पूयः (पुं०) पुआ, माल पुआ। (जयो० ७०/१२) पूतकरणं (नपुं०) दु:खभरी आवाज। (जयो० ११/४७) पुकार पूयः (पुं०) [पूय् अच्] पीप, घाव में से निकलने वाला (सुद० १०५) नाव। पूतना (स्त्री०) एक राक्षसी, जो कृष्ण का वध करने आई थी। | पूर्य (नपुं०) पीप, दुर्गंध युक्त स्राव। (सुद० १/४१, दयो० २/१) (वीरो० ९/९) । पूयरक्तः (पुं०) नाक का रोग। 'पूतनादिकृतोपद्रवः'। (जयो०वृ०) ०पीप से युक्त रक्त, मवाद। पूतनाहन: (पुं०) कृष्णा नथुओं में रक्त आना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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