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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुष्प ६६१ पुष्पितादिक से साधु नाना प्रकार के पुष्पों पर स्थित जीवों की विराधना पुष्यरेणुः (स्त्री०) पराग, मकरंद। न करके चलता। 'पुष्पमस्पृश्य पुष्योपरि गमनं पुष्प- पुष्परोचन् (पुं०) नागकेसर का वृक्षा चारणत्वम्' (त०वृ० ३/३६) पुष्पलकः (पुं०) खूटी, नागदंती। पुष्पजं (नपुं०) पुष्प रस। पुष्पलावा (स्त्री०) मालिन, फूल चुनने वाली। पुष्पणीय (वि०) खिले हुए, पुष्पित। (वीरो० २१/१८) पुष्पलिक्षः (पुं०) भ्रमर, भौरा, अलि। पुष्पदः (पुं०) वृक्ष। पुष्पलिह (पुं०) देखो ऊपर। पुष्पतल्योपरि (स्त्री०) पुष्प शय्या पर। (जयो० २७/१२) पुष्पवटुक (पुं०) छैल-छबीला, रंगीला। पुष्पदन्तः (पुं०) नवें तीर्थंकर का नाम। (भक्ति० १८) पुष्पवर्षः (पुं०) सुमनों की बरसात। आचार्य पुष्प दंत, शौरसेनी साहित्य का प्रारम्भिक कवि पुष्पवर्षणं (नपुं०) सुमनवृष्टि। षट्खण्डागम के रचनाकार। पुष्पवाटिका (स्त्री०) फुलवाड़ी, पुष्पबगिया। पुष्पदामन् (नपुं०) पुष्पमाला, फूलमाला। पुष्पवृक्षः (पुं०) पुष्पप्रधान तरु, फूलों की विशेषता वाला पुष्पद्रवः (पुं०) पुष्परस, पुष्पासव। वृक्ष। पुष्पद्रुमः (पुं०) पुष्पयुक्त वृक्ष, अधिक फूलों वाला तरु। पुष्पशकटी (स्त्री०) आकाशवाणी। पुष्पधर (वि०) रजस्वला को धारण करने वाली। पुष्पशय्या (स्त्री०) फूलों की सेज। पुष्पधनुष् (पुं०) कामदेव। पुष्पशरः (पुं०) कामदेव। (दयो० ११/१२) पुष्पधवन् (पुं०) कामदेव। पुष्पशरायनः (पुं०) कामदेव। पुष्पसायकः (पुं०) कामदेव। पुष्पध्वज् (पुं०) कामदेव, रतिप्रिय। पुष्पसमयः (पुं०) वसंत ऋतु। पुष्पनिक्षः (पुं०) भ्रमर, भौंरा। पुष्पसम्यदा (स्त्री०) कुसुमाश्रिया। (जयो० २१/७२) पुष्पनिचयः (पुं०) पुष्पसमूह। पुष्पसारः (पुं०) पुष्परस, मकरंद, पराग। पुष्पनिर्यामः (पुं०) पुष्परस, मकरंद, पराग। पुष्पस्तवकः (पुं०) पुष्प गुच्छ। (जयो०वृ० १/९३) पुष्पनिर्यासकः (पुं०) मकरंद, पराग। पुष्पस्वेदः (पुं०) पुष्परस। पुष्पनेत्रं (नपुं०) कामदेव। पुष्पा (स्त्री०) [पुष्प्+अच्+टाप्] चम्पा नगरी। पुष्पपथः (पुं०) योनि, उत्पत्ति स्थान। पुष्पाम (वि०) कामयुक्त। (जयो० ३/५३) पुष्पपुरं (नपुं०) पाटलिपुत्र। पुष्पाञ्जलि (स्त्री०) नम्रभावाञ्जलि। (सुद० २/१२) पुष्पप्रचयः (पुं०) पुष्प संचयन, फूलों का चुनना। पुष्याम (वि०) कामयुक्त। (जयो० ३/५३) पुष्प प्रचायिका (स्त्री०) पुष्प संचयन। पुष्पागमः (पुं०) वसंत ऋतु। पुष्पप्रस्तारः (पुं०) पुष्पशयन, फूलों की शय्या। पुष्मासवः (पुं०) पुष्परस (जयो०१० २७/१५) ०फुलेल पुष्पबलिः (पुं०) पुष्प चढ़ाना। (जयो०वृ० २७/१५) पुष्पभवः (पुं०) पराग, मकरंद। पुष्पिका (स्त्री०) [पुष्प्+ण्वुल्+टाप् इत्वं] ग्रन्थ के पश्चात् पुष्पमंजरिका (स्त्री०) ०नीलकमल। पुष्पमाला पुष्पमाल्य, दी जाने वाली सूचना। फूलमाला, कुसुमदाम। (जयो०१० २७/१५) दांत की परत, मैल। पुष्पमाल्य (पुं०) फूलमाला। (जयो० १२/१४) पुष्पिणी (स्त्री०) [पुष्पिन्+ङीप] रजस्वला स्त्री। पुष्पमासः (पुं०) चैत्रमास, वसंत ऋतु। (जयो० १८/२६) पुष्परजस् (नपुं०) पराग, मकरंद। कुसुसोपेता। (जयो०वृ० १८/२६) पुष्परदः (पुं०) पुष्पदंत तीर्थंकर का नाम। (भक्ति० १८) | पुष्पित (वि०) [पुष्प्+क्त] प्रफुल्लित, विकसित। पुष्परधः (पुं०) मन बहलाने वाला रथ, मनोप्रभावी रथ। (जयो० २७/१५) पुष्परागः (पुं०) पुखराज, पौष्यरज। (जयो० ६/२९) फूलों से परिपूर्ण, फूल युक्त। पुष्पराज (पुं०) देखो ऊपर। पुष्पितादिक (वि०) फफूंदयुक्त। (मुनि० ९) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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