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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुरुषक: ६५८ पुरोपवसनादिविधिः ०पुरुष तत्त्व-प्रकृतेः प्रधानपुरुषस्य मन्त्रिण: (जयो०वृ० १/३१) पुरुषकः (पुं०) [पुरुष कन्] पुरुष की भांति खड़ा होने वाला। पुरुषकुणपः (पुं०) मनुष्यशव। पुरुषकेसरिन् (पुं०) नरसिंह। ___ सिंह की तरह शक्ति शाली पुरुष ज्ञान। पुरुषकारः (पुं०) पुरुषार्थ। पुरुषज्ञानं (नपुं०) पुरुष सम्बंधी। मानवजाति का बोध। ०पुरुष तत्त्व की सांख्य के पुरुष तत्त्व की जानकारी। ०पुरुष की विशेषताओं का परिबोध। पुरुषत्व (वि०) मनुष्यत्व। पुरुषदन (वि०) पुरुष सम्बंधी ऊंचाई। पुरुषङ्गिष् (पुं०) विष्णु। पुरुापशुः (पुं०) नरपशु, क्रूर। दुष्ट पुरुष, ०अधम व्यक्ति। पुरुष पुंडरीकः (पुं०) श्रेष्ठ पुरुष, प्रमुख व्यक्ति। पुरुषपुंगः (पुं०) ०सज्जन, पुरुषोत्तम। पुरुषपुंगवः (पुं०) उत्तम पुरुष, श्रेष्ठपुरुष। नरोत्तम, पुरुषोत्तम (जयो०वृ० ९/८) पुरुषबहुमानः (पुं०) मनुष्य जाति की प्रतिष्ठा। पुरुषपरिस्खलनं (नपुं०) सामुद्रिक लक्षण। (जयो० २२/४३) पुरुषमेधः (पुं०) नरमेध यज्ञ। पुरुषराजन् (पुं०) राजा, नरपति। (वीरो० १५/३७) पुरुषलिंगः (पुं०) पुंवेद, पुमान्। पुरुषवरः (पुं०) आदिदेव, ऋषभदेव। (मुनि० ३२) विष्णु। पुरुषवाहः (पुं०) गरुड़। कुबेर। पुरुषवेदः (पुं०) पुमान्, पुंवेद, पुंल्लिग। पुरुषव्याघ्रः (पुं०) पूज्यप्रतिष्ठित व्यक्ति। पुरुषशार्दूलः (पुं०) सम्मानित व्यक्ति, पूज्य पुरुष, उत्तम व्यक्ति। पुरुषसिंह (पुं०) पूज्य पुरुष, सज्जन, शक्तिमान् व्यक्ति। पुरुषश्रेष्ठ। (दयो० ३२) नरोत्तम। पुरुषसमवायः (पुं०) मानव समूह। पुरुषसूक्तं (नपुं०) पुरुष सम्बंधी, सूक्त, ऋग्वेद के दसवें मण्डल का भाग। पुरुषांगं (नपुं०) पुरुषलिंग, मनुष्य की जननेन्द्रिय। पुरुषादः (पुं०) नरभक्ष, पिशाच। पुरुषाधमः (पुं०) अत्यन्त नीच पुरुष, अधम व्यक्ति। पुरुषाधिकारः (पुं०) पुरुष कर्त्तव्य, मानवाधिकार। पुरुषानुरज्जनकारिन् (वि०) पुरुष को प्रिय लगाने वाला। (जयो० १/९२) पुरुषान्तरं (नपुं०) दूसरा मनुष्य। मानवीय भेद। पुरुषार्थः (पुं०) पुरुषार्थ, पुरुष के प्रयोजन भूत कार्य। (समु० ४/४०) धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। ०फल की सिद्धि, पुरुष का प्रयत्न। पुरुष व्यवसाय। पुरुषार्थचतुष्टय (पुं०) चार पुरुषार्थ। पुरुषास्थिमालिन् (पुं०) शिव। पुरुषाद्य (पुं०) विष्णु। पुरुषायित (वि०) रतिविशेषाकृति, नरायित। (जयो०वृ० १४/२६) मनुष्य की तरह अभिनय करने वाला। पुरुषायुषं (नपुं०) मानव जाति की अवस्था। पुरुषायुस् (नपुं०) मनुष्यायु। पुरुषाशिन् (पुं०) नरभक्षी, राक्षस। पुरुषार्थसिद्धयुपायः (पुं०) आत्म पुरुषार्थ की सिद्धि का उपाय। ०एक ग्रंथ विशेष। पुरुषोत्तमः (पुं०) श्रेष्ठ पुरुष, परमात्मा। (सुद०८४) (जयो० ११/४४) समालोक्य युक्तमिति लसति (जयो० ६/७९) पुरुषोत्तमस्य-नृपनरस्य। पुरुषोत्तमस्य-गोविन्दस्य। (जयो०वृ० ६/७९) सर्वोत्तमगुणैर्युक्तं प्राप्तं सर्वोत्तमपदम्। सर्वभूतहितो यस्मात्तेनाऽसौ पुरुषोत्तमः।। (जैन०ल० ७१७) पुरुषोत्तम-योग्यः (पुं०) श्रेष्ठ पुरुष के योग्य। विष्णु। (जयो० ६/६३) पुरूदित (वि०) ऋषभ प्रतिपादित, पुरुवंश के प्रमुख ऋषभदेव द्वारा कथित। पुरूदितं नाम पुनः प्रसाद्यामुष्मिंस्तु धर्माधिभुवोऽजिताधाः। (वीरो० १८/४५) पुरूरवस् (पुं०) [पुरू प्रवरं यथास्तस्मात्तयारोति- पुरु+रु+असि] पुरुवंश का श्रेष्ठ पुरुष। पुरोगत (वि०) सम्मुख स्थित। (जयो० ८/३१) पुरोटिः (स्त्री०) [पुरस्+अट+इन] नदी प्रवाह, पत्रों की सरसराहट, पत्रावली ध्वनि। पुरोडास (स्त्री०) यज्ञ की आहूति। पुरोदृक् (वि०) प्रकाश के फैलने पर। पुरोधस् (पुं०) पुरोहित (जयो० १२/१००) (वीरो०१८/२६) पुरोपवसनादिविधिः (स्त्री०) नगर में रहने की विधि/पद्धति। (वीरो० २२/५) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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