SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 242
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुराणकोषः ६५७ पुरुषः पुराणकोषः (पुं०) पुराण संग्रह। पुरीषभः (पुं०) मलत्याग। पुराणगः (पुं०) पुराण पाठक। पुरु (वि०) [पृ पालनपोषणयोः कु] प्रधान, उत्कृट बहुत, पुराणग्रंथं (नपुं०) पुरातन ग्रन्थ, पौराणिक ग्रन्थ, पुराण पुरुषों प्रबल, प्रचुर, अत्यधिक। सम्बंधी काव्य। (दयो०२५) पुरु (पुं०) पुरुवंश, आदि ब्रह्मा, ऋषभ। (जयो० १२/८९) पुराणधान्यं (नपुं०) पुराना धान्य। आदिनाथ (जयो० ४/८३) ऋषभदेव को पुरु कहा जाता पुराणपथाश्रित (वि०) ग्रन्थ अनुयोग (वीरो० १८/५०, ६/८०) पुराणं पन्थानं श्रयन्तीति पुराण पथाश्रितास्तादृशा प्रथमानुयोग फूलों की पराग। पुराण सम्बंधी। (जयो०वृ० १६/८०) स्वर्ग, देवलोक। पूज्य पुरुष। (जयो० २।८९) पुराणपुरुषः (पुं०) पौराणिक पुरुष, ऋषभदेव। (समु०१/१) कौरव और पाण्डवों का पूर्व पुरुष पुरु। त्रिषष्ठि शलाका पुरुष। पुरुज (वि०) पुरुवंशी। (जयो०वृ० ९/६३) पुराधिराज (पुं०) नायक, राजा (जयो० १/५) पुराण ग्रंथा पुरुजित् (पुं०) ऋषदेव, ब्रह्मा। पुराणभावः (पुं०) प्राचीनता का भाव। (जयो०वृ० १५/१८) ___ राजा कुन्तीभोज। पुराणशास्त्र (नपुं०) पुराण काव्य। (सुद० १/५) पुरुदं (नपुं०) स्वर्ण, सोना। पुराणस्कंध: (पुं०) पुराण अवयव, पुराण पुरुषों के तिरेसठ पुरुनिभः (पुं०) ऋषभदेवतुल्य। (जयो० ९/८३) अधिकार। पुरुदशकः (पुं०) हंस। पुराणसंवादः (पुं०) उचित सम्वाद, प्रथमानुयोग की कथाएं। । पुरुदेव (पुं०) भगवद्ऋषभ। (जयो० ७/४२) (जयो०१९/३८) पुरुपर्वः (पुं०) ऋषभदेव, पुरुदेव। पुरोरादिदेवस्य पर्षाभिनयात् पुराणान्तः (पुं०) यम। कृपानुभावात् पुरुदेव ऋषभदेव। (जयो० १२/४८) पुराणोक्त (वि०) पुराणों में कथित, पुराणों में प्रतिपादित/निर्दिष्ट। पुरुपर्वतः (पुं०) कैलाश गिरि। (जयो० २१/१६) पुरातन (वि०) [पुरा+ट्यु+तुटु] ०प्राचीन, पुराना, पूर्ववर्ती। पुरुरव (पुं०) पुरुरवा नामक भील। स आह भो भव्य! (जयो० २/११८) पुरुरवाङ्ग भिल्लोऽपि सहमेवशादिहाङ्कः (वीरो० ११/२१) ०वयोवृद्ध, प्राक्कालीन। प्ररुरवाङ्गः (पुं०) पुरुरवा भील। पुराभवः (पुं०) पुनर्जन्म सम्बन्धी। (जयो० २४/२९) पुरुराट् (पुं०) ऋषभदेव, नाभेय। (जयो० २५/३१) पुरुवरस्य पुराभिगाधः (पुं०) प्रथम ग्रहण। (जयो० १४/५८) श्री ऋषभदेववरस्य तीर्थकरस्य पुण्यकथाभि शोभना' पुराभूतलं (नपुं०) प्राचीन स्थल। (वीरो० ११/२) (जयो०वृ० १२/१०९) पुरिः (स्त्री०) [पृ+३] नगरी, शहर। नदी। (समु० २/२४) | | पुरुषः (पुं०) [पुरि देहे शेते-शीन्द्र] ०मानव, मनुष्य, नर। पुरिशय (वि०) [पुरि+शी+अच्] शरीर में विश्राम करने पुरिशयनाद्वा पुरुष इति। _ वाला। ०पूर्ण:सुख-दुःखानामिति पुरुष। पुरी (स्त्री०) [पुरि ङीष्] नगरी, नगर। (जयो० ३/३०) आध्यात्मिक दृष्टि के पुरुष का अर्थ है, जो परमपद में 'धनदस्य पुरी परीक्ष्यते' (समु० २/१०) स्थित परमेष्ठि के गुणों को चाहता है वह पुरुष है-पुरौ गढ, किला। उत्तमे परमेष्ठिपदे च शेते तिष्ठति च तस्मात् कारणात् स शरीर, देह। जीव पुरुष इति वर्णितः। (गो० जी० २७३) पुरीतत् (पुं०/नपुं०) [पुरी देहं तनोति-तन्+क्विप्] अंतड़ी, जो उत्तम कर्म को करता है वह पुरुष है-'पुरुकर्मणि हृदय के समीपस्थ रहने वाली आंत। शेते, प्रमादयतीति पुरुषः। (धव० ६/४८) पुरीषं (नपुं०) [पृ+ ईषन्] मल, विष्टा, गूथ, गोमय, गोबर। पुरुगुणेषु, पुरुभोगेषु च शेते स्वपितीति पुरुषः। (धव ___कूड़ाकरकट, गंदगी। १/३४१) पुरीषणः (पुं०) [पुरी+इष्+ल्युट्] विष्ठा, मल। अधिकारी, कार्यकर्ता, अभिकर्ता। पुरीषणं (नपुं०) मल त्याग करना, विष्टा उत्सृजन। अनुचर, सेवक। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy