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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पुत्री पुत्री (स्त्री०) सुता, लड़की। (वीरो० १५/३५) पुत्रीपुत्रः (पुं०) बेटी का बेटा, दौहित्र । पुत्रीसुतः (पुं०) दौहित्र, लड़की का लड़का । पुत्रीभर्तृ (पुं०) जामाता, जमाई। पुत्रीया ( स्त्री० ) [ पुत्र+क्यच् + अ+टाप्] पुत्र प्राप्ति की इच्छा । पुत्रोत्पत्तिकरणं (नपुं०) सुतक्रम। (जयो० १७ / १२२) पुद्गलः (पुं०) रूपवान्, अजीवद्रव्य रूपादिमान् पुद् गल एव चेति - (वीरो० १९ / ३६) ० अचेतन द्रव्य (वीरो० १९ / ३६ ) ० मूर्त द्रव्य- 'पूरण-गलनस्वभावत्वात् पुद्गलः' ( वृ० द्रव्यसंग्रह १३) 'पूर्यन्ते गलन्ति च पुद्गलाः ' ० मुत्तापुर्ण, पोग्गला गेया'? ० पूरण- गलण-सहावा पोग्गला णाम । ( धव० १४/३३) • वर्णादिमान् नटति पुद्गल एव नान्यः ( समय० पा०टी० २/१२) ० रूपिण: पुद्गला। (त०सू० ५/५ ) o स्पर्श रस- गन्ध-वर्णवन्तः पुद्गलाः (त०सू० ५ / २३) पुद्गलक्षेप: (पुं०) पत्थरादि का प्रक्षेप, ०लक्ष्य करके पत्थरादि फेंकना। 'लोष्ठादिनिपातः पुद्गलक्षेप:' (त०७/३१) पुद्गलक्षेपणं (नपुं०) पत्थरादि मूर्त वस्तुओं का फेंकना। पुद्गलगतिः (स्त्री०) पुद्गलगमन की प्रवृत्ति | पुद्गलपरावर्तः (पुं०) औदारिकादि शरीर रूप पुद्गल ग्रहण करना। पुद्गलबन्धः (पुं०) स्पर्श रूप बन्ध । 'फासेहिं पोग्गलाणं बंधो' (प्रव०ला० २/८५) ofस्निग्ध और रुक्ष स्पर्श विशेष के आश्रय से परिणमन । पुद्गलयुतिः (स्त्री०) पुद्गलों का मिलाप । एक्कम्हि देसे पोग्गलाणं मेलणं पोग्गलजुदी णाम ( धव० १३ / ३४८ ) पुद्गलविपाकः (पुं०) पुद्गलों की फल देने की अभिमुखता । पुद्गलार्द्ध (वि०) अर्ध पुद्गल । (सम्य० ४२ ) पुन् ( सक०) पवित्र करना, स्वच्छ करना - पुनातु (सुद० ३/४०) पुनातु पवित्रयत्येव (जयो०वृ० १/४९) पुनर् ( अव्य० ) [ पन्+अर्+उत्वम् ] ०फिर, तो भी, एक बार, फिर से । नए रूप में। (सुद०५/२) ० तथा (जयो० १/४) ०बाद में (जयो० २/१४) ० अर्थात् (सुद० २/ ) किलानकोऽप्येष पुनः प्रवीण: (सुद० २/२) ६५४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुनर्गमनं (नपुं०) वापसी, फिर से आना। पुनर्जन्मन् (नपुं०) बार बार जन्म लेना। एनां हेतुचतुष्टयीं मुनितया लब्ध्या पुनर्जन्मन्। (मुनि० ३०२) पुनर्जात (वि०) फिर से उत्पन्न हुआ। पुनर्जीवन (वि०) नव जीवन। (सुद० ११७) पुनर्णवः (पुं०) बार-बार उगना । पुनरोत्पत्तिः ० नाखून बढ़ना । पुनर्दारक्रिया (स्त्री०) पुनर्विवाह करना । पुनर्नकिमिति (अव्य०) और क्या नहीं। ( सुद० १०० ) पुनर्प्रत्युपकारः (पुं०) उपकार का बदला - चुकाना । ० जन्म होना, फिर से उत्पन्न होना । ०नाखून। पुनर्भवः (पुं०) पुनर्जन्म | पुनर्धू (स्त्री०) विधवा का विवाह । पुनर्यात्रा ( स्त्री०) फिर से गमन करना, पुनः यात्रा करना । पुनरपि (अव्य०) फिर भी । (समु० ४ / ३५) पुनरप्येव (अव्य०) फिर भी ऐसा (सुद० ९० ) पुनरिदं (अव्य० ) फिर भी यह । ( सुद० ८९ ) पुनरीदृशी (अव्य० ) पुनः ऐसा ही, (समु० ७/१९) पुनरुक्त (वि०) फिर से कहा गया। (जयो० १६/५० ) पुनर्विवाह: (पुं०) दूसरा विवाह । पुनश्च (अव्य०) अनन्तर, पश्चात्, फिर से (जयो० ११ / ५) पुनश्चेतन (वि०) संवेदन कर, बार-बार चैतन्यता को प्राप्त । (जयो० ७ / २९ ) पुनर्संस्कार : ( पुं० ) फिर से संस्कार । पुनर्संगम: (पुं०) पुनर्मिलन, फिर से मिलना। पुनर्संसाधनं (नपुं०) पुनर्मिलन | पुनर्संभव: (पुं०) फिर से जन्म लेना, पुनर्भव, पुनर्जन्मन् । पुनरार्थिता ( स्त्री०) बार- बार की गई प्रार्थना । पुनरागत ( वि०) फिर से आया हुआ । पुनराधानं (नपुं० ) पुनः स्थापित । पुनराधेयं (नपुं०) पुनः स्थापित । पुनरावर्त: (पुं०) पुनरागमन, पुनर्जन्म | पुनरावृत्तिः (स्त्री०) दोहराना, बार-बार स्मरण करना । पुनरोक्त (वि०) फिर से कथित । पुरोक्तिः (स्त्री०) दोहराना । For Private and Personal Use Only पुनरोत्थानं (नपुं०) पुनर्जीवित करना । पुनरोत्पत्तिः (स्त्री०) देहान्तर गमन, पुनर्जन्म, फिर से जन्म होना।
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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