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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुंजि ६५२ पुण्यकीर्तिः पुंजि (स्त्री०) [पुंजि+ कन्] ओला। पुंजित (वि०) [पुञ्च+इतच्] संग्रहीत, एकत्रित, एक जगह किया गया। पुञ्जीभूत (वि०) समूह युक्त। (जयो०वृ० १/२३) पुद् (सक०) आलिंगन करना, गले लगाना। ०बांटना, गूंथना। ०बांधना, जकड़ना। ०पीसना, चूर्ण करना, मसलना। पुटः (पुं०) विवर, खोह, छिद्र। ०दोना, हस्तपुट, अञ्चलिपुट। ०म्यान, ढकना। पुटं (नपुं०) अंजलि पुट। ०खोह, विवर, छिद्र। दोना, पत्तों की तह। ०जायफल। पुटकं (नपुं०) [पुट्+कन्] तह। ०उथला, कम गहरा। ०कमल, जायफल। ०प्याला, सकोरा, दोना। पुटकिनी (स्त्री०) [पुटक+इनि+ङीप्] ०कमल,* कमल समूह। । पुटग्रीवः (पुं०) बर्तन, भाण्ड, कलश। पुटपाकः (पुं०) औषधि पकाने की विधि। पुटभेदः (पुं०) पुर, नगर। वाद्य यन्त्र विशेष, आतोद्य। जलावर्त, भंवर। पुटभेदनं (नपुं०) पुर, नगर, कस्बा । पुटिका (स्त्री०) [पुट्+ण्वुल्+टाप्] इलायची, एला। ___०पुट दी गई। पुटित (वि०) [पुट्+क्त] पुट दिया गया, अनेक बार तपाया पुण्डरीक (नपुं०) [पुण्ड् ईकन] ०श्वेतकमल. श्वेतसरोज (जयो० १३/६३) सफेद छत्र। ०श्वेत छत्र। पुण्डरीकः (पुं०) ०श्वेत रंग, दक्षिणपूर्व या आग्नेयी दिशा का अधिष्ठात् दिक्पाल। ०व्याघ्र, सर्प विशेष। ०एक आमवृक्ष विशेष। ० अग्नि, आग। घड़ा, जलाशय। छहों कालों के आश्रय से निरूपण करने वाला, एक शास्त्र विशेष। ०पुण्डरीकं नाम शास्त्र। 'देवपद प्राप्ति पुण्यनिरूपक पुण्डरीकम्' (जैन०ल०पृ० ७११) पुण्डरीकसारः (पुं०) श्वेतकमल। (जयो० १६/४१) पुण्डरीकणी (स्त्री०) पुण्यनरेश की नगरी। (वीरो० ११/३२) श्री पुण्डरीकिण्यथ पू सुभागी। (जयो० २३/४३) सुमित्र राजा सुव्रताऽस्य राज्ञी। पुंडः (पुं०) पोडा, गन्ना, मोटी बराई। ०श्वेतकमल। पुंड्राः (स्त्री०) एक देश का नाम। पुण्य (वि०) [पू+यण, णुक्-हस्व] ०पुनीत, पवित्र, पूत, निर्मल। स्वच्छ, शुभ्र, अच्छा, भला। रुचिकर, सुहावना, रमणीय। शुभ, कल्याणकारी, मंगलमय, भाग्यशाली, उत्तम, श्रेष्ठ। पुण्यं (नपुं०) सद्गुण, नैतिक गुण, धार्मिक गुण। (सम्य० ८४) शुभपरिणाम, धर्मयुक्त। (सम्य०६८) ०परोपकार को लेकर प्रवृत्त होने वाला योग। (त०सू० ६/३) ०सत्कर्म, पुनीतक्रिया। (जयो० १/१०) पुण्यं सत्कर्मपुद्गलाः। सुहपयडीओ पुण्णं (धव० १३/३५२) पुनात्यात्मानं पूयतेऽनेनेति वा पुण्यम्। (त०वा० ६/३) ०शुभकर्मप्रकृतिलक्षणम्। पुण्यकथा (वि०) अच्छी कथा। (जयो० १२/१०९) पुण्यकतृ (पुं०) गुणवान् पुरुष, पुण्यवान् व्यक्ति। पुण्यकर्मन् (वि०) शुभ कार्य करने वाला। पुण्यकालः (पुं०) उचित समय। पुण्यकीर्तिः (स्त्री०) प्रसिद्ध यश, शुभ भाव, प्रशंसनीय गुण। गया। पीसा गया. मसला गया। ०सीया हुआ। पुटी (स्त्री०) पुट, तह, विवर, छिद्र। पुड् (सक०) छोड़ना, त्याग करना, तिलाञ्चलि देना। पदच्युत करना, निकालना, विदा करना। ०खोजना, अन्वेषण करना। पुंड् (सक०) पीसना, चूर्ण करना। पुंडः (पुं०) चिह्न, निशान। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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