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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तस्करः ४३८ तापत् तात्त्विकस्थितिः (स्त्री०) वास्तविक स्थिति। (जयो० वृ०२८/४०) तात्पर्य (पुं०) आशय, अभिप्राय, निष्कर्ष, अर्थ, सुद्देश्य, अभिप्रेत। तात्त्विक (वि०) [तत्त्व+ठक्] वास्तविक, यथार्थ, परमाश्यक चिन्तनीय, विचारणीय, तत्त्व सम्बंधी। (सम्य०६१) तात्त्विकवृत्तिः (स्त्री०) तत्व सम्बंधी व्याख्या। तात्त्विकी (स्त्री०) तत्त्व सम्बंधी। (जयो० ११/४१) तादात्म्य (नपुं०) [तदात्मन्+ज्यञ्] एक रूपता, समानता, सम्बन्ध विशेष, एकीकृत, गुण-गुणी का सम्बन्ध, अवयव-अवयवी का सम्बन्ध। एकीभावगत। (जयो० १/१०३) तादात्विकः (वि०) अपव्यय करने वाला, व्यय की चिन्ता नहीं करने वाला। तादृक् (वि०) वैसा, उसी प्रकार का, उसी तरह का। (सम्य० ४२) तस्करः (पुं०) चोर, लुटेरा। तुच्छवस्तु का ग्रहण (जयो० २८/५७) तस्करता (वि०) चोरी भाव, (समु०८/५) तस्करयुतिः (स्त्री०) चौर संयुति। (जयो० २८/५७) तस्करप्रयोगः (पुं०) चोरी की प्रेरणा। 'तस्कराश्च चौरास्तेषां प्रयोगो' तस्थु (वि०) स्थिर, अचल। ताक्षण्यः (पुं०) [तक्षन्+ण्य] बढ़ई का पुत्र। तार्थ्यकेतुः (स्त्री०) गरुड ध्वजा। (वीरो० ११/१९) ताच्छीलिकः (पुं०) विशेष प्रवृत्ति। ताटङ्कः (पुं०) कर्णाभूषण, कर्णफूल। ताटस्थ्य (वि०) सामीप्य, समीपता, १. उदासीनता, २. माध्यस्थता। ताडः (पुं०) [तड्+घञ्] प्रहार, चूंसा, थप्पड़। १. देखना, २. | पूला, गट्ठर। (जयो० ८/१०) ३. पर्वत। ताडका (स्त्री०) [तड-णिच्+ण्वुल+टाप्] राक्षसी। ताडकेयः (पुं०) ताडका पुत्र, मरीची राक्षस। ताडनं (नपुं०) [तड+णिच्+ल्युट्] मारना-पीटना (समु०८/२८) | (जयो० १५/५२) ताडपः (पुं०) ताडपत्र। ताडपत्रं (नपुं०) ताड का पत्र। ताडवृक्षः (पुं०) ताडतरु। (जयो० १४/१) ताडिः (स्त्री०) एक आभूषण। ताडित (वि०) आहत, प्रहारित। (जयो० वृ० २/१४१) ताड्यमान (वि०) [तड+णिच्+शानच्] प्रहार किया जाता हुआ, पीटा जाता, पीडित किया। (जयो० वृ० १५/५१) ताडयन्-ताडे, बजाए। ताण्डवः (पुं०) नृत्य, नाच, उदात्त नृत्य। ताण्डुल (पुं०) नृत्य, नाच, अभिनय। तातः (पुं०) [तनोति विस्तारयति गोत्रादिकम्] जनक, पिता। | (समु० ३/८) पितृस्थान (जयो० १/६) पूज्य-जयो० ४/२) तातख्यातः (पुं०) महोदय। (जयो० १८/४४) तातनः (पुं०) [तात+नृत्+ड] खंजन पक्षी। तातलः (पुं०) एक रोग। १. पकाना, तपाना। २. ऊष्मा, तेज, गर्मी। तातिः (स्त्री०) उत्तराधिकारी। १. पंक्ति। (जयो० ११/८०) तात्कालिक (वि०) [तत्काल+ठञ्] उसी समय होने वाला। भव्य रहित। तादृक्मुखं (नपुं०) वैसा ही आनन। 'तादृक्मुखं सम्यक् सुष्टु यथा स्यात्तथा परिचुम्बति। (जयो० १५/४९) तादृक्ष (वि०) वैसा ही, उसी रूप में। तादृष्ट (वि०) उसी तरह का। तादृश (वि०) उसी रूप में, वैसा ही। तादुगनुबन्धः (पुं०) वैसा ही अनुबन्धा (वीरो० २१/२२) तानः (पुं०) [तन+घञ्] रेशा, धागा, संगीत का स्वर, तांत। (जयो० ७/१९) तानं (नपुं०) विस्तार, प्रसार। तानवं (नपुं०) [तनु+अण] पतलापन, छोटापन। १. शरीर सम्बंधी, आयुर्वेदशास्त्र। (जयो० २/५६) तानवोपमः (पुं०) मनुष्योचित उपमा। तनोरियं तानवी या उपमितिः (जयो० २/१६७) तानूरः (पुं०) [तन्+ऊरण] भंवर, जलावर्त। तान्त (वि०) [तम+क्त] क्लांत, थका हुआ, परेशान। १. व्याप्त। (जयो० १२१७९, जयो० ११/८८) तान्तवं (नपुं०) [तन्तु+अण] तांत, कातना, बुनना, जाला। तान्त्रिक (वि०) तन्त्र विद्या प्रवीण। (सुद० १३४) तापः (पुं०) [तप्+घञ्] उष्ण, गर्मी, तेज, धूप-ततस्तापेऽ नुयायात्तदा (मुनि० १२) प्रताप, संताप, वेदना, पीड़ा, कष्ट खेद, दु:ख। देह पीड़ा। १. पश्चाताप। २. कलुषान्तकरण। ३. निन्दाकरण। तापत् (पुं०) धूप, गर्मी, तेज, उष्णता। छायायां यदि तापतोऽथ च ततस्तापेऽनुयायात्तदा। (मुनि० १२) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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