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तर्कसंगत
४३७
तवस्विराट
तर्कसंगत (वि०) विचारपूर्ण, युक्ति युक्त, प्रमाणिक। तलप्रहारः (पुं०) थप्पड़। तर्काभासः (पुं०) तर्क की प्रतीति, व्याप्ति रूप सम्बन्ध के न | तलभागः (पुं०) स्थल प्रान्त।
रहने पर भी उसका ज्ञान होना। 'असम्बद्धे व्याप्तिग्रहणं' तलभूमिः (स्त्री०) निम्न स्थान।
असम्बद्धे तज्ज्ञानं तर्काभासम्' (परीक्षा मुख ६/११०) तलसारकं (नपुं०) अधोबन्धन, तङ्ग, घोड़े की पलान को तर्कित (वि०) विचारित। (जयो० १४/६५)
कसने का तङ्ग। तर्कः (पुं०/स्त्री०) तकली।
तलस्पर्शः (पुं०) गहरा, गम्भीर। (जयो० वृ० ६/५८) तर्भुः (स्त्री०) विज्जू, लकड़बग्घा।
तलस्पर्शता (वि०) अधिक गंभीरता। (दयो० ९) तयः (पुं०) [तृक्ष्+ ष्यत्] यक्षवार।
तलस्पर्शिन् (वि०) अगाध। (सुद० २/१६) तर्जु (सक०) धमकाना, डराना, झिड़कना, निन्दा करना। तलाची (स्त्री०) [तल्+अच्+क्विप्+ङीष्] चढ़ाई, आसन। तर्जनम् (नपुं०) डराना, निन्दा करना, धमकाना, प्रताड़ना। तलिका (स्त्री०) तंग, अधोबन्धन। तर्जना (स्त्री०) प्रताड़ना, निन्दा करना।
तलित (वि०) तला हुआ। तर्जनी (स्त्री०) [तर्जन ङीष्] अंगूठे के पास की अंगुली। तलिम (नपुं०) जटित भू-भाग। (जयो० १०/६८) (जयो० ६/४१)
तलुनः (पुं०) [तत+उनन्] १. पवन, वायु। २. युवा। (जयो० तर्जर (वि०) भोजन का संकेत।
२७/४९) अनल्पतल्पे तलुनस्त्रियाममङ्गीकरोतीव तु तर्जित (वि०) शायित, रंगित।
कान्तयाऽमा। (जयो० २७/४९) तर्णः (पुं०) [तृण+अच्] वत्स, बछड़ा। १. ऊहापोह (जयो० | तलुनी (स्त्री०) युवती, तरुणी। तलुनीव लुनीते या विभ्रमैः ९/४)
श्रममङ्गिनाम्। (जयो० ३/८२) यत्र ध्वजाली पताकाततिः तर्णकः (पुं०) [तृर्ण+कन्] वत्स, बछड़ा।
सा तलुनी युवतिरिव भवति। (जयो० वृ० ३/८२) तर्णिः (पु०) १. सूर्य, २. बेड़ा।
तल्कं (नपुं०) [तल्+कन्] अरण्य, वन। तत् (अक०) क्षति पहुंचाना, मार डालना, काट डालना। तल्पः (पुं०) शय्या (सुद० ४/४३), (वीरो० ४/२३) पल्यङ्क, तर्पणं (नपुं०) [तृप्+ल्युट्] प्रसन्न करना, आनन्दित करना, पलंग (जयो० २७/४९) विस्तार, सुखासन। तृप्त करना।
तल्पकः (वि०) [तल्प+कन्] विस्तार लगाने वाला। तर्मन् (नपुं०) [तृ+मनिन्] यज्ञ स्तम्भ का ऊर्ध्व भाग। तल्पतीरः (पुं०) गद्दे का किनारा, गद्दे से संयुक्त। शय्या तर्षः (पुं०) [वृष+घञ्] १. प्यास, २. कामना, इच्छा, ३. | अनल्पतूलोदित-तल्पतीरे क्षीरोपूरदरचुम्बिचीरे। (सुद०
समुद्र, ४. नावा (सम्य० ९९) वासना (जयो० २/७१) २/११) वाञ्छा (जयो० २७/२१), रवि।
तल्लजः (पुं०) [तत्+लज्+अच्] प्रसन्नता. श्रेष्ठता। तर्षणं (नपुं०) [तृष्+ल्युट] प्यास, पिपासा।
तल्लिका (स्त्री०) [तस्मिन् लीयते तत्+ली+ड कन्] ताली, तर्षित (वि०) [तर्ष+इतच्] प्यासा, इच्छुक, चाह करने वाला। कुंजी, १. प्रशस्त तरुणी (जयो० ३/७७) तर्हि (अव्य०) [तद्+हिल्] उस समय, तब, उस विषय में। तल्ली (स्त्री०) [तत् लसति-तत्+लस्-डाङीष्] तरुणी, युवती। तलः (पुं०) [तरु+अच्] १. भूतल, सतह, नीचे का भाग, तल्लीतलं (नपुं०) युवती प्रान्त, तरुणी स्थान। (जयो० ११/९८) तलहैटी. २. हथेली, पैर का तला, थप्पड़।
तल्लीन (वि०) तत्पर, संलग्न। (वीरो० २१/१६) तलं (नपु०) [तल्-ल्युट्] सतह, भू-भाग, नीचे का स्थान। तष्ट (वि०) [तक्ष्क्त ] खण्डित, विनष्ट किया गया, विदारित। तलकं (नपुं०) [तल-कन] सरोवर, बृहद् तालाब।
तवर्गः (पुं०) स, थ्, द, थ, न वर्ग। (जयो० वृ० ३/२०) तलघात: (पुं०) थप्पड़।
तवोचित (वि०) उससे उचित (जयो० १/७७) तलतः (अव्य०) पेंदी से।
तवसिस्थित (वि०) उस रूप में स्थित। (हि० ४९) तलतालः (पुं०) एक वाद्य यन्त्र।
तव-तुम्हारी। (सुद०७३) तलत्रं (नपुं०) दास्तान, हाथ में पहनने वाले।
तवक-(तुम्हारी) (जयो० १२/१२७) तलत्राणं (नपुं०) दास्तान।
तवस्विराट् (पुं०) ऋषिवर। (जयो० १/७७)
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