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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तर्कसंगत ४३७ तवस्विराट तर्कसंगत (वि०) विचारपूर्ण, युक्ति युक्त, प्रमाणिक। तलप्रहारः (पुं०) थप्पड़। तर्काभासः (पुं०) तर्क की प्रतीति, व्याप्ति रूप सम्बन्ध के न | तलभागः (पुं०) स्थल प्रान्त। रहने पर भी उसका ज्ञान होना। 'असम्बद्धे व्याप्तिग्रहणं' तलभूमिः (स्त्री०) निम्न स्थान। असम्बद्धे तज्ज्ञानं तर्काभासम्' (परीक्षा मुख ६/११०) तलसारकं (नपुं०) अधोबन्धन, तङ्ग, घोड़े की पलान को तर्कित (वि०) विचारित। (जयो० १४/६५) कसने का तङ्ग। तर्कः (पुं०/स्त्री०) तकली। तलस्पर्शः (पुं०) गहरा, गम्भीर। (जयो० वृ० ६/५८) तर्भुः (स्त्री०) विज्जू, लकड़बग्घा। तलस्पर्शता (वि०) अधिक गंभीरता। (दयो० ९) तयः (पुं०) [तृक्ष्+ ष्यत्] यक्षवार। तलस्पर्शिन् (वि०) अगाध। (सुद० २/१६) तर्जु (सक०) धमकाना, डराना, झिड़कना, निन्दा करना। तलाची (स्त्री०) [तल्+अच्+क्विप्+ङीष्] चढ़ाई, आसन। तर्जनम् (नपुं०) डराना, निन्दा करना, धमकाना, प्रताड़ना। तलिका (स्त्री०) तंग, अधोबन्धन। तर्जना (स्त्री०) प्रताड़ना, निन्दा करना। तलित (वि०) तला हुआ। तर्जनी (स्त्री०) [तर्जन ङीष्] अंगूठे के पास की अंगुली। तलिम (नपुं०) जटित भू-भाग। (जयो० १०/६८) (जयो० ६/४१) तलुनः (पुं०) [तत+उनन्] १. पवन, वायु। २. युवा। (जयो० तर्जर (वि०) भोजन का संकेत। २७/४९) अनल्पतल्पे तलुनस्त्रियाममङ्गीकरोतीव तु तर्जित (वि०) शायित, रंगित। कान्तयाऽमा। (जयो० २७/४९) तर्णः (पुं०) [तृण+अच्] वत्स, बछड़ा। १. ऊहापोह (जयो० | तलुनी (स्त्री०) युवती, तरुणी। तलुनीव लुनीते या विभ्रमैः ९/४) श्रममङ्गिनाम्। (जयो० ३/८२) यत्र ध्वजाली पताकाततिः तर्णकः (पुं०) [तृर्ण+कन्] वत्स, बछड़ा। सा तलुनी युवतिरिव भवति। (जयो० वृ० ३/८२) तर्णिः (पु०) १. सूर्य, २. बेड़ा। तल्कं (नपुं०) [तल्+कन्] अरण्य, वन। तत् (अक०) क्षति पहुंचाना, मार डालना, काट डालना। तल्पः (पुं०) शय्या (सुद० ४/४३), (वीरो० ४/२३) पल्यङ्क, तर्पणं (नपुं०) [तृप्+ल्युट्] प्रसन्न करना, आनन्दित करना, पलंग (जयो० २७/४९) विस्तार, सुखासन। तृप्त करना। तल्पकः (वि०) [तल्प+कन्] विस्तार लगाने वाला। तर्मन् (नपुं०) [तृ+मनिन्] यज्ञ स्तम्भ का ऊर्ध्व भाग। तल्पतीरः (पुं०) गद्दे का किनारा, गद्दे से संयुक्त। शय्या तर्षः (पुं०) [वृष+घञ्] १. प्यास, २. कामना, इच्छा, ३. | अनल्पतूलोदित-तल्पतीरे क्षीरोपूरदरचुम्बिचीरे। (सुद० समुद्र, ४. नावा (सम्य० ९९) वासना (जयो० २/७१) २/११) वाञ्छा (जयो० २७/२१), रवि। तल्लजः (पुं०) [तत्+लज्+अच्] प्रसन्नता. श्रेष्ठता। तर्षणं (नपुं०) [तृष्+ल्युट] प्यास, पिपासा। तल्लिका (स्त्री०) [तस्मिन् लीयते तत्+ली+ड कन्] ताली, तर्षित (वि०) [तर्ष+इतच्] प्यासा, इच्छुक, चाह करने वाला। कुंजी, १. प्रशस्त तरुणी (जयो० ३/७७) तर्हि (अव्य०) [तद्+हिल्] उस समय, तब, उस विषय में। तल्ली (स्त्री०) [तत् लसति-तत्+लस्-डाङीष्] तरुणी, युवती। तलः (पुं०) [तरु+अच्] १. भूतल, सतह, नीचे का भाग, तल्लीतलं (नपुं०) युवती प्रान्त, तरुणी स्थान। (जयो० ११/९८) तलहैटी. २. हथेली, पैर का तला, थप्पड़। तल्लीन (वि०) तत्पर, संलग्न। (वीरो० २१/१६) तलं (नपु०) [तल्-ल्युट्] सतह, भू-भाग, नीचे का स्थान। तष्ट (वि०) [तक्ष्क्त ] खण्डित, विनष्ट किया गया, विदारित। तलकं (नपुं०) [तल-कन] सरोवर, बृहद् तालाब। तवर्गः (पुं०) स, थ्, द, थ, न वर्ग। (जयो० वृ० ३/२०) तलघात: (पुं०) थप्पड़। तवोचित (वि०) उससे उचित (जयो० १/७७) तलतः (अव्य०) पेंदी से। तवसिस्थित (वि०) उस रूप में स्थित। (हि० ४९) तलतालः (पुं०) एक वाद्य यन्त्र। तव-तुम्हारी। (सुद०७३) तलत्रं (नपुं०) दास्तान, हाथ में पहनने वाले। तवक-(तुम्हारी) (जयो० १२/१२७) तलत्राणं (नपुं०) दास्तान। तवस्विराट् (पुं०) ऋषिवर। (जयो० १/७७) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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