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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाणिग्राहः ६४३ पाशः पाणिग्राहः (पुं०) पृष्ठवर्ती शत्रु। पृष्ठवर्ती सेनापति, विजय के लिए, प्रस्थान गत। प्रस्थान के समय पीछे क्रोध करने वाला। पाष्णिघातः (पुं०) ठोकर। पाणित्रं (नपुं०) पृष्ठरक्षक। पाष्णिवाहः (पुं०) बाह्यवर्ती अश्व। पाल: (पुं०) [पाल+अच्] अभिभावक, संरक्षक, पालक। (वीरो० २/१३) पालने पालके त: स्यात् इति वि (जयो० १८/१६) ग्वाला, राजा, पीकदान। पालकः (पुं०) [पाल्+ण्वुल्] संरक्षक, अभिभावक। राजा शासक, प्रभु। घोड़ा, चित्रकवृक्ष। पालकाप्यः (पुं०) हस्तिविज्ञान। पालंकः (पुं०) पालक का साग। ०बाजपक्षी। पालंक्यः (पुं०) एक सुगन्धित द्रव्य। पालनं (पुं०) [पाल ल्युट्] संरक्षक, अभिभावक। पालन (वि०) पालन करने वाला। (सुद० ३/२३) पालनक (वि०) भरण-पोषण करने वाला। पालनकरिन (वि०) रक्षा कारक। (वीरो० ३/३३) रक्षा करने वाला, संरक्षण देने वाला। पालननिमित्तं (नपुं०) प्रजाहितार्थ (जयो० १८/१६) पालयित (पुं०) [पाल्+णिच्+तृच्] संरक्षक, अभिभावक, __पालन-पोषण कर्ता। पालाश (वि०) ढाक से उत्पन्न। पालाशखण्डः (पुं०) मगध देश। पालित (वि०) रक्षित, सुरक्षित, पाला गया। 'पुनः पुनरूपयोगप्रतिजागरणेन रक्षितम्' (जैन०ल० ७०८) पालिः (स्त्री०) कान का सिरा। परम्परा (जयो० १४/१०) भाषा विशेष, मगध में प्रचलित भाषा। पालिका (स्त्री०) कान का सिरा। पालिभेदः (पुं०) संयम में स्थित होकर संरक्षण करना, उपाश्रय की रक्षा करने वाली साध्वी। पाली (स्त्री०) एक स्थान का नाम, मगध का एक क्षेत्र। जिसका अर्थ रक्षण अर्थ में भी होता है, बुद्धवचन को जिसमें रक्षण प्राप्त हुआ वह भाषा भी पाली है। पालित्यं (नपुं०) [पलित+ष्यञ्] बालों में धवलता, वृद्धापन की द्योतकता। पाल्वल्ल (वि०) [पल्वल+अण] पोखर में उत्पन्न, तलैया से प्राप्त। पावकः (पुं०) [पू+ण्वुल] अग्नि, आग, ज्वाला। चित्रक वृक्षा पावकातिग (वि०) दूरवर्तिनी। (जयो० १२/५३) पावकात्मजः (पुं०) सुदर्शन ऋषि। कार्तिकेय। पावकिः (पुं०) [पावक+इञ्] कार्तिकेय। पावकेकिलः (पुं०) अग्नि, आग। समेत्यमन्त्रोत्थित-पावकेकिल, प्रवेष्टुमन्यः परिनिर्वृतोऽखिलः। (समु० ४/१३) पावन (वि०) [पू+णिच्+ल्युट्] विशुद्ध, पवित्र, निर्मल, परिष्कृत, अच्छा, पूत, पुनीत, श्रेष्ठ। 'पकारस्यावनं परिरक्षणं यस्यैवं शीलोऽमरपोमघवासन्' (जयो०वृ० १७) 'स्मासाद्य तत्पावनमिङ्गितञ्च' (सुद० २/२८) पावनया पवित्रया श्रिया (जयो० १/६४) पावनपल्लवं (नपुं०) स्वच्छ जल, पवित्र जल। 'पदे पदे पावनपल्लवानि सदाम्रजम्बूज्ज्वलम्भलानि' (सुद० १/१९) पावनमनं (नपुं०) पवित्रमन। (वीरो० १६/२७) पावनी (स्त्री०) [पावन ङीप्] ०पूत स्वभाविनी (जयो० ५/९५) गंगा, गाय, तुलसी। पावमानी (स्त्री०) [पचमानं अधिकृत्य प्रवृत्तम् पवमान्+" अण्+ङीप्] विशिष्ट ऋचा। पवित्र करने वाली। पावरः (पुं०) पांसे का विशेष लक्षण। पावा (स्त्री०) पावापुरी, प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र, महावीर स्वामी की निर्वाणस्थली जो विहार में स्थित है। पावानगरं (नपुं०) पावापुर। अपि मृदुभावाधिष्ठशरीरः सिद्धि श्रियमनुसत् वीरः। कार्तिककृष्णाब्धीन्दुनुमायास्तिथे र्निशायां विजनमथाऽयात। (वीरो० २१/२०) पावानगरोपवने मुक्तिश्रियमनुगतो महावीरः। तस्या वानुसरन् गतोऽभवत् सर्वथा धीरः।। (वीरो० २१/२१) पाशः (पुं०) [पश्यते वध्यतेऽनेन. 'पश करणे घञ] डोरी. रज्जू, रस्सी। ०श्रृंखला, बेड़ी। जाल, फंदा। •पांसा, खेलने की गोटी। (जयो० २०/७७) ०बुनी हुई वस्तु की किनारी। तिरस्कार, अपमान, हीनता। निन्दा। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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