SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पारकम्म www.kobatirth.org पारकम्म (वि०) दूसरे पार पाने की इच्छा करने वाला। पारक्य (वि०) पराया, दूसरे का । ० विरोधी । पारक्यं (नपुं०) परलोक का साधन, पवित्र आचरण । पारङ्गत ( वि० ) पार को प्राप्त हुआ। (दयो० ९१ ) पारग (वि०) पार जाने वाला, नाव से पार होने वाला । पारगत (वि०) पार पहुंचा हुआ । पारगामिन् (वि०) पार जाने वाला । पारगामी (वि०) उस पार होने वाला। (सुद० ३/३१) पारग्रामिक (वि०) [पारग्राम ठक] ०अनात्मीय पराया, विरोधी, शत्रुतापूर्ण पारचिकः (पुं०) अनुपस्थान, प्रायश्चित्त का कथन। पारज् (पुं०) [पार्+ णिच्+अजि] स्वर्ण, सोना। पारजाविक (वि०) [परजाया गच्छति परजाया ठक्] व्यभिचारी, परस्त्रीगामी । पारटीट: (वि०) प्रस्तर, पत्थर । ०पाषाण । पारण (वि०) पार ले जाने वाला, उद्धार करने वाला । पारण: (पुं०) मेघ, बादल । पारणं (नपुं०) निष्पन्न करना, पूरा करना । • व्रत के भोजन करना, उपवास के बाद दूसरे दिन आहर लेना। ०व्रत खोलना। (सुद० ९४ ) पारणा (स्त्री०) उपवास के बाद की जाने वाली दूसरे दिन की आहार क्रिया । * पारत: (पुं० ) [ पारं तनोति पार तन्ड] पारा, धातु विशेष पारद सारद (वि०) पारदानुकरणकारी, पार के सार वाले (जयो० ९/५० ) पारतन्त्र्य (नपुं०) [परतन्त्र+ष्यम् ] पराधीनता, पराश्रयता, अनुसेवा । पारत्रिक (वि० ) [ परत्र+ठक्] परलोक सम्बन्धी, आगामी लोक सम्बंधी। पात्र्यं (नपुं० ) [ परत्र+ ष्यञ् ] आगमी काल में प्राप्त होने वाला फल, भावी परिणाम । पारदः (पुं०) (पारं ददाति पार+दा+क] पारा, एक धातु विशेष, रस विशेष। (जयो० १६ / १८, १२/७) 'रसोऽगदः नागिव पारदेन' (वीरो० १४/४४) रसः स्वादेऽपि तिक्तादौ शृङ्गारादौ द्रवे विषे । पारदे धातु वीर्याम्बु- रागे गन्धरसे तनौ इति विश्वलोचन । (जयो०वृ० १२/७ ) ६३९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पारंपरोपदेशः पारदर्शक (वि०) निर्मल, आर-पार दिखाई देने वाला। (जयो० १० / ५ ) पारदर्शकप्रस्तर (पुं०) संगमरमर ग्रेनाइट ०पारा पारदारिकः (पुं० ) [ परदारा+ठक्] व्यभिचारी, परस्त्रीगमनी । पारदार्य (नपुं०) (परदार+ष्यम्] व्यभिचार, परस्त्रीगमन। [ पारदेशिक (वि०) [परदेश+ठक्] विदेशी, बाहर के देश का । पारदेशिकः (पुं०) परदेशी, यात्री । पारदेश्य (वि०) (परदेश ष्यञ्] विदेशी, परदेश से सम्बंध रखने वाला। पारभृतं (नपुं०) उपहार भेंट, प्राभृत। पारमहंस्यं (नपुं० ) [ परमहंस् + ष्यञ् ] परमहंस वृत्ति । परमार्थ (पुं०) परम प्रयोजन ( हित० ५) पारमार्थिकः (पुं०) आत्मा की अपेक्षा, मोक्ष सम्बंधी परम अर्थ की दृष्टि (हित० ३) , पारमार्थिक प्रत्यक्षं (नपुं०) इन्द्रियादि कारणों की अपेक्षा नहीं करने वाला प्रत्यक्ष परमार्थे भवं पारमार्थिक मुख्यम्, आत्मसन्निधिमात्रापेक्षम्' अवध्यादि प्रत्क्षमित्यर्थः ' ० सभी प्रकार से स्पष्ट प्रत्यक्ष। 'सर्वतो विशदं पारमार्थिक प्रत्यक्षम् (न्यायदीपिका ३४ ) ० अध्याम से सम्बन्ध रखने वाला। ० यथार्थ ज्ञान रखने वाला। ० सत्यार्थ निरूपण करने वाला प्रत्यक्ष पारमिक (वि० ) [ परम+ठक्] ०सर्वोपरि, सर्वोत्तम । ० मुख्य, प्रधान। परमित (वि०) तट पर गया हुआ, पार प्राप्त। (जयो० ५ / ९३ ) अन्य किनारे पर गया हुआ । पारमेतुं (तुमुन् ) गन्तुम् - जाने के लिए, पार होने के लिए (जयो० १७/५३) पारमेष्ठ्य (नपुं० ) [ परमेष्ठिन् + ष्यञ् ] सर्वोपरिता, उत्तमता, उच्चतम । पारंपरीण (वि०) [ परंपरा व्यञ्] परंपरा प्राप्त, आनुवंशिक, For Private and Personal Use Only क्रमागत । पारंपरीय (वि०) [परम्परा छ] आनुवंशिक, क्रमागत । पारंपर्यं (नपुं०) [परम्परा ष्यञ् ] ० आनुवांशिक, अविच्छन्न, ० परंपरा से प्राप्त शिक्षा । पारंपरोपदेशः (पुं०) [पार+ णिच् + इष्णुच] तृप्तिकारक, संतोषजनक | ० पार जाने में समर्थ ।
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy