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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पानविभ्रमः ६३७ पापप्राय पानविभ्रमः (पुं०) उन्मत्त दशा, नशा, मदहोश। पानागारः (पुं०) मद्यशाला, मदिरालय। पानान्तरः (पुं०) पान का आस्वाद, मद्य का अस्वाद। (जयो० १६/३७) पानिकः (पुं०) [पान+ठक्] कलाल, मद्य विक्रेता। पानिलं (नपुं०) [पान+इलच्] प्याला, चषक। पानीयं (नपुं०) [पा+अनीयर] ०जल, वारि। पेय पदार्थ, पातुमिच्छतीति। पानीय (वि०) पिया गया। (दयो० ८४) (जयोवृ० १२/११९) पानीयनकुलः (पुं०) ऊदविलाव।। पानीय-वर्णिका (स्त्री०) रेती, धूली। (वीरो०२/१९) पानीयशाला (स्त्री०) प्याऊ, प्रपा। पानीयस्थानं (नपुं०) पयोभू। (जयोवृ० १७/६०) पानीयापत्तिः (स्त्री०) पानी से होने वाली आपत्ति। (दयो०४२) जल व्याधि। पान्थः (पुं०) [पन्थानं नित्यं गच्छति-पथिन् अण] पथिक, बटोही, यात्री। (वीरो०) (दयो० २०) विग्रह-ग्रहसमुत्थित व्यथः पान्थः उच्चलित किं कदा पथः। (जयो० ७/५५) पान्थजनः (पुं०) पथिक। (दयो० ९) पान्थनृपालन (वि०) पथिकपालनार्थ। (वीरो० १२/२७) पान्थोपरोधः (पुं०) पथिकवारण, प्रेषितजनगमन वारण। (वीरो० ६/२६) पाप (वि०) [पाति रक्षति आत्मानम्, अस्मात्-पा+प] अहितकर, अनिष्टकर, हानिकारक, दुष्ट, निम्न, नीच, हीन। विनाशक, घातक, अभिशप्त। ०अधम, पतित, गिरा हुआ। दुर्भाग्य। पापं (नपुं०) पाप, अशुभ प्रवृत्ति। 'पाति रक्षति आत्मानं शुभादिति पापम्' पापं तु देहात्मतया क्रियेत। (सम्य०४०) ०एन। (जयो० १/२१) (स०सि० ६/२) ० प्रतिद्वन्दि, दुष्कृत। (जयो० १/८२) दुर्व्यसन, नीच प्रवृत्ति। दुष्कर्म। पापं दुष्कर्म पुद्गला। ०कम्लष (जयो०वृ० ४/५१, मुनि० ३०) ०दु:ख। दु:खं जनोऽभ्येति कुतोऽथ पापात्। पापे कुतो धीरविवेकतापात्' (वीरो०५/२८) दुरित, अघ। (जयो० २।८३) पापकर (वि०) पाप करने वाला, अनिष्टकर्ता। पापकर्म (पुं०) अशुभ कर्म, अशुभ प्रकृति। असुहपयडीओ पावं। पापकर्मोपदेशः (पुं०) निष्प्रयोजन अशुभ कर्म का कथन। पापकारक (वि०) पाप उत्पादक। (जयोवृ० २/१०३) अनिष्टकारण, घातक, अहितकर। पापकारिन् (वि०) पापी, अधम, नीच व्यक्ति। पापकृत् (वि०) पापकारी, दुष्कर करने वाला। पापकारक (जयो० २/१०३) पापक्षयः (पुं०) पाप का नाश, अशुभ प्रवृत्ति का अन्त। पापगत (वि०) अशुभ अवस्था को प्राप्त। पापग्रहः (पुं०) अनिष्टस्थान, घातक ग्रह। पापघ्न (वि०) पापकरी क्रियाओं को रोकने वाला, प्रायश्चित्तकारी। पापचर (वि०) अशुभ चर्या। पापचर्यः (पुं०) राक्षस, पापी। पापजुगुप्सा (स्त्री०) पाप से ग्लानि, पाप से उद्विग्न रहना, पापोद्वेग। पापदृष्टि (स्त्री०) अशुभ दृष्टि, नीच व्यवहार। पापधी (स्त्री०) ०अधमबुद्धि। नीच प्रवृत्ति। पापद्धिः (स्त्री०) आखेट, शिकार। पापनाशन (वि०) मलापहरण, प्रायश्चित्तकारी। (जयो०वृ० ३/१०) पापपः (पुं०) पापी। पापपतिः (पुं०) यार, दूसरा व्यक्ति जार, पर पुरुष। पापपथः (पुं०) पाखण्डमार्ग, दुरितस्थान। (जयो० २/११६) पापपवि (नपुं०) पापवज्र वाला। अघवज्र (जयो० २/१५७) पापपाखण्डः (पुं०) पापमार्ग, अधमपथ। (जयो०वृ० २/११६) पापपुरुष (पुं०) नीच पुरुष, अधम व्यक्ति, दुराचारी, अपराधी, अत्याचारी। पापप्रकृति (स्त्री०) अशुभप्रकृति। पापप्रकृतयः कटुकरसा, अशुभा उच्यन्ते' (जैन०ल० ७०३) पापप्रचयः (पुं०) पाप समूह। (वीरो० १४/२४) पापप्रतिवर्जनं (नपुं०) अशुभ से बचना, मलापहरण, अघनाश, (समु० ३/४) पापप्रतीय (वि०) शत्रसंहारक, दुष्परिणाम घातक। (जयो० १/८५) पापप्रलोप (वि०) दुरितावहानी दुरिताधीरण। (जयो० २।८३) पापप्रवृत्तिः (स्त्री०) नीच भाव। (वीरो० १७/२२) पापप्राय (वि०) पापों की बहुलता। (सुद० ५/१) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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