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पादपाशः
पानवणिज्
पादपाशः (पुं०) चरणधूली का स्पर्श। (जयो० १/१०४) पादपूरकं (नपुं०) चरणपूर्ति, श्लोक के पादों की पूर्ति। पादपूरण (नपुं०) चरणपूर्ति, श्लोक बद्ध रचना करना। पादप्रक्षालनं (नपुं०) चरण धोना, पादप्रमार्जन। पादप्रतिष्ठान (नपुं०) पैरों की चौकी, पादपीठ। पादप्रहारः (पुं०) ठोकर। (जयो० १/८४) पादबन्धनं (नपुं०) बेड़ी, पैरों की श्रृंखला। पादभू (स्त्री०) चरण प्रान्त, चरणभाग। (जयो० १२/१०४) पादमुदा (स्त्री०) चिह्न, चरण-संकेत। पादमूलं (नपुं०) पपोटा, तलवा, एडी। पादरक्षिकः (पुं०) पादत्राण, उपानह। (जयो० २१/६४) पादरसस् (नपुं०) चरणधूली। पादरज्जुः (स्त्री०) पैरों की रस्सी। पादरथी (स्त्री०) उपानह, जूता। पादरोहः (पुं०) वट वृक्षा पादरोहणः (पुं०) वट वृक्ष। पादलग्न (वि०) पैरों में नत। छाया तु मा यात्विति पादलग्ना
प्रियाऽध्वनीनस्य गतिश्च भग्नाः। (वीरो० १२/१७) पादवन्दनं (नपुं०) चरणस्पर्श, विनम्र अभिवादन। पादविक्षेषः (पुं०) पग रखना, पैर बढ़ाना, पगचाल।
(जयो०८/४२) पादविरजस् (नपुं०) उपानह, जूता। पादशाखा (स्त्री०) पैरों की अंगुलियां। पादशैलः (पुं०) गिरिपाद। पादशोधः (पुं०) पैरों की सूजन। पादशौचं (नपुं०) चरणों की स्वच्छता। पाद-समन्वयः (पुं०) चरण स्पर्श, चरणों में नतभाव, चरण
सम्पर्क। (जयो० २४/४७) पादसम्पर्कः (पुं०) पादसमन्वय, चरणस्पर्श। (जयो०१/१०५,
जयो०७० ५/१००) पादसरोजं (नपुं०) चरण कमल। (सुद० २/३२) 'सम्प्रेरितः
श्रीमुनिराजपाद-सरोजयोः तावसरं जगाद। (सुद० २/३२) पादसेवनं (नपुं०) चरण स्पर्श। पादसेवा (स्त्री०) चरणों की सेवा, कैययावृत्ति भावा०सेवा भाव। पादस्फोटः (पुं०) विमाई, पैर फटना। पादहत (वि०) पैरों से ठुकराना। पादात् (पुं०) [पादाभ्यामतति-पाद+अत+क्विप्] प्यादा, पदाति,
पैदल सिपाही।
पादातः (पुं०) [पदातीनो समूहः-पदाति+अण] पैदल सिपाही। पादानः (पुं०) पैरों का अग्रभाग। पादांकः (पुं०) पदचिह्न। पादांगदः (पुं०) पैर का आभूषण, नूपुर, पायल। पादांगुष्ठः (पुं०) पैर का अंगूठा। पादांतरं (नपुं०) पग अन्तराल। पादाम्बुजं (नपुं०) चरण कमल। पादाब्जराजि (स्त्री०) चरणपृष्टदेश। 'पादावेवाब्जानां राजानौ
तौ विशुद्धौ निर्दोषो (जयो०वृ० ११/१७) पादानलोक्तर (वि०) किरण समूह। (भक्ति० २०) पादारविंदं (नपुं०) चरण कमल। पादार्दित (वि०) चरणाघातपीड़ित। (जयो० १५/७२) पादि (स्त्री०) पदाति, पैदल। (जयो० २१/१२) पादिक (वि०) चौथा भाग, चतुर्थांश। पादिन् (वि०) [पाद्+इनि] सपाद, पैरों वाला। पादुकः (वि०) [पद्-उकञ्] पैदल चलने वाला। पादुका (स्त्री०) खड़ाऊँ, पदत्राण, पादरक्षिक। (जयो० २/१६) पादुकारः (पुं०) मोची, जूता, बनाने वाला। पादू (स्त्री०) [पद्+ऊ] पादत्राण, उपानह। पादूकृत् (स्त्री०) मोची। पादोदकं (नपुं०) चरणोदक। (जयो० १४८६) पादैकदेश: (पुं०) चरणों का आंशिक भाग। (जयो० ११/१३) पाद्य (वि०) [पाद+यत्] पैरों से सम्बन्ध रखने वाला। पानं (नपुं०) [पा+ल्युट्] पीना, चढ़ा जाना।
चुम्बन, आलिंगन। ०पान करना। (सुद० ३/१६)
०बचाना, रक्षा करना। पानः (पुं०) शराब/मद्य खींचने वाला। पानकं (नपुं०) [पान कन्] पानीय, पेय पदार्थ, चूंट लेना।
चषक। पानकपात्रं (नपुं०) मधुमृत चषक। (जयो० १६/२९) पानपात्रं (नपुं०) पानपात्र, प्याला, चषक। (जयो०वृ० १२/२०) पानभाजनं (नपुं०) चषक। पानभू (स्त्री०) मधुशाला। पानभूमि (स्त्री०) सुरालय, मद्यालय। पानमण्डलं (नपुं०) मद्यपान-समूह। पानरत (वि०) मद्यपान में लीन सुरापायी। पानवणिज् (पुं०) मद्य विक्रेता, शराब बेचने वाला।
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