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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाटविक ६३३ पाणिसप्तलः ०दाक्ष्य, नैपुण्य, तीक्ष्णता। (जयो० १६/८५) ०खेल, दांव, ०व्यवहार। कौशल, दक्षता। ०करार, प्रशंसा, हस्त। ऊर्जा, स्फूर्ति, शक्ति। पाणिः (स्त्री०) [पण इण्] हस्त, हाथ। पाटविक (वि०) [पाटव ठन्] ०तीक्ष्ण, चतुर, कुशल। पाणिग्रहः (पुं०) पाणिग्रहण। (दयो० ७) (जयो० १०/४३) ०धूर्त, ठग, छली, कपटी। पाणिग्रहणः (नपुं०) शादी-ब्याह संस्कार, करोपलब्धि। पाटित (भू०क०कृ०) [पट्+णिच्+क्त] फाड़ा हुआ, (जयो०वृ० १२/५७) विदारित/खण्डित किया गया। पाणिग्रहणपूर्वक्षणः (पुं०) विवाहके पूर्व का समय। (जयो०३० विद्ध, छिद्रित। १०/११६) पाटी (स्त्री०) [पट्+णिच्+इन् ङीष्] अंकगणित। पाणिग्रहणात्मिक (वि०) पाणिग्रहणवाला। (जयो०७० १/६७) पाटीरः (पुं०) [पटीर+अण्] चन्दन। पाणिग्रहणाभिलाषिणी (वि०) पाणिग्रहण की इच्छा करने रांगा, मेघ, चलनी। __वाली। (जयो०वृ० १/६४) पाठः (पुं०) [पठ्+घञ्] पाठ, पठन, आवृत्ति, घोकना, याद पाणिग्राहः (पुं०) दूल्हा, पति। करना, स्मरण करना। पाणिघः (पुं०) ढोलवादक। ०पढ़ना, वाचन, अध्ययन, 'पठनं पाठः, पढ्यते वा तदिति पाणिघातः (पुं०) चूंसा, प्रहार। पाठः, पठ्यते वाऽनेनास्मादस्मिन्निति वा अभिधेयमिति पाणिजः (पुं०) नख, नाखून। पाठः, व्यक्तिक्रियत इति भावार्थः। (जै०ल०पृ० ६९८) पाणिजन्तुवधः (पुं०) आहार ग्रहण करते समय जीव का पाठकः (पुं०) [पठ्+णिच्+ण्वुल] आध्यात्मिक। ____ आकर मर जाना। जीव घात। अध्यापक, गुरु, उपाध्याय। (वीरो० २/७) भो पाठक पाणितलं (नपुं०) हथेली, हाथ का भाग। ज्ञानधरा (सम्य० १९) पाणिनिः (पुं०) एक प्रसिद्ध व्याकरणकार। उपाध्याय परमेष्ठि। अज्झावयगुणजुत्तो धम्मोवदेसयारि पाणिपरीतयष्टिक (वि०) चाबुकधारी। 'पाणिना पाणौ वा चरियट्ठो। परीता स्वीकृता यष्टिर्येन यस्य वा' (जयो०वृ० १३/१६) णिस्सेसागमकुसलो परमेट्ठी पाठओ झाओ।। पाणिनीयः (पुं०) ०आचार्य पाणिनि। ०एक व्याकरणकार। (भाव सं०३७८) पाणिनि-सम्बंधी। (जयो०वृ० ४/१६) ०स्वाध्यायकारिन् (जयो० १९/१५) पाणिपरिग्रहः (पुं०) विवहनयोग्य। (जयो० १२/८१) (समु० पाठकगणः (पुं०) उपाध्याय समूह। ४/२७) ०पढ़ने वाले। (वीरो० २२/३४) पाणिपीडनं (नपुं०) विवाह, पाणिग्रहण संस्कार। ०करपीडन। पाठक-परमेष्ठिन् (पुं०) उपाध्याय परमेष्ठि, पांच परमेष्ठियों (समु० ५/२२) में चतुर्थ परमेष्ठि, उपध्याय परमेष्ठि, जो स्वयं पढ़ते और पाणिप्रणयिनी (स्त्री०) पत्नी, भार्या। दूसरों को पढ़ाते हैं। पाणिबंधः (पुं०) वटवृक्ष; गूलर तरु। पाठनं (नपुं०) [पठ्+णिच्+ ल्युट्] अध्यापन, व्याख्यान देना, पाणिमुक्तं (नपुं०) एक आयुध जो हाथ से फेंका जाता। प्रवचन। पाणिमुक्ता (स्त्री०) विग्रहगति। 'पाणिमुक्तेव पाणिमुक्ता' निरूपण, प्ररूपण, विवेचन। यथा पाणिना तिर्यक् प्रक्षिप्तस्य द्रव्यस्य गतिरेक विग्रहाः पाठित (भू०क०कृ०) [पठ्+णिच्+क्त] अध्यापित, व्याख्यापित, गतिः तथा संसारिणामेक विग्रहागतिः पाणिमुक्ता द्वैसमयिकी। कथित, निरूपित, पढ़ाया हुआ, शिक्षित। (धव० १/२९९, ३००) पाठिन् (वि०) [पठ्+णिनि] अध्ययन किया गया, परिचित। | पाणिधम (वि०) [पाणि+मा+खश्] हाथ से धोंकने वाला, पाठिन् (पुं०) एक मछली का नाम। (दयो० ४२) हाथ से हवा करने वाला। पाठीनः (पुं०) [पठ्+ईनण्] पुराण सम्बंधी कथा। पाणिलेशः (पुं०) हस्ताग्रभाग। (जयो० १४/३७) पाणः (पुं०) [पण्+घञ्] ०व्यापार, व्यवसाय। पाणिसप्तलः (पुं०) बन्धुजन। (सुद० ३/२४) For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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