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पश्चादपि
६३१
पाखण्डः
पश्चादपि (अव्य०) पुनरपि, फिर भी, पीछे से भी, 'बभूव
पश्चादपि पूर्णचन्द्र' (समु० ४/१०) पश्चार्ध (वि०) पश्चिमी, पश्चिमी भाग। पश्चार्धः (पुं०) उत्तरार्ध। पश्चिम (वि०) पूर्व के विपरीत दिशा। पश्चिमदिवसमुद्रः (पुं०) अन्तिम समुद्र। (जयो० १५/१६) पश्चिमदिशा (स्त्री०) प्रतीचीय। (दयो० १८) 'जत्तो अ
अस्थमेइ उ अवरदिसा उ णायव्वा' पश्चिमा (स्त्री०) पश्चिम दिशा, प्रतीचीय। पश्यत् (वि०) [दृश्+शतृ] देखने वाला, साक्षात् कुर्वतः
(जयो०वृ० १/४६) पा (सक०) पाना, ग्रहण करना। (जयो० ११/९)
आनन्द-सन्दोह-समुल्लसद्वपुस्तया तदास्येन्दुमदो दृशः पपुः। (वीरो० ८४६) ०पीना, आचमन करना, पान करना 'पिबेन्नु मातापि सुतस्य शोणितमहो निशायामपि' (वीरो० ९/४) पिबन्ति। (जयो० १/८७) चिन्तन करना, मनन करना, ध्यान देना, अच्छी तरह सुनना। पिलाना, पान कराना। ०सींचना। पा (वि०) पीने वाला, आचमन करने वाला। रक्षक, (जयो००
५/८६) पांस (वि०) दुष्ट, अत्याचारी, अपराधी, पतित। पांस (वि०) धूल धूसरित, धूल से भरा हुआ। पांशु (स्त्री०) धूल, रज, गर्द, रेणु। पांसुः (स्त्री०) धूल, रज, गर्द, रेणु, धूली।
गोबर, खाद। पांशुकुली (स्त्री०) राजपथ, राजमार्ग। पांसुकुली (स्त्री०) राजमार्ग। पांशुकूल/पासुकूलं (नपुं०) रजसमूह, धूल कर ढेर। पांशुकृत्/पांसुकृत (वि०) धूल से सना हुआ। पांशुक्षर/पांसुक्षारं (नपुं०) लोन, लवण। पांशुजालिक (वि०) धूल समूह। पांशुयुत (वि०) धूली युक्त। पांसुल (वि.) कलंकित, मर्दित, दूषित। परिव्याप्त।
(जयो० ३/१११) पांसुजं (नपुं०) नमक।
पांसुलः (पुं०) दुश्चरित्र, लम्पट। पाकः (पुं०) [पच्+घञ्] पकाना। (सम्य० १२१)
पकाना, सेकना, उबालना। न शाकस्य पाके पलस्येव पूतिन। (वीरो० १६/२५) परिपाक (जयो० ५/८६, वीरो० २/१९) परिपूर्ण, सम्पन्न, परिपक्वता। ०पूर्णविकास, भरा हुआ।
परिणाम। (जयो० ३/१७)
०जरा युक्त। (जयो० ५/१५ पाकजं (नपुं०) काला नमक। पाकपात्रं (नपुं०) पकाने का बर्तन। पाककुटी (स्त्री०) कुम्हार का आबा। पाकलः (पुं०) आग। पाकशाला (स्त्री०) रसोईघर। पाकलि (स्त्री०) विपाक-नवपाके तु पाकली दूतिविश्व-लोचनः।
(वीरो० २८/२०) पाकशासन (पुं०) इन्द्र। पाकिम (वि०) पका हुआ। पाकिस्तानम् (नपुं०) एक देश का नाम, जो मुस्लिम बाहुल
क्षेत्र है। (जयो० १८४८३) पाकुः (पुं०) [पच्+उण] पाचक, रसोईया। पाक्य (वि०) [पच्+ण्यत्] पकाने योग्य, परिपक्व होने योग्य। पाक्ष (वि०) [पक्ष अण] पाक्षिक, पक्ष से सम्बंधित। पाक्षिक (वि०) [पक्ष ठक्] अर्धमासिक, पक्ष से सम्बंधि, पाक्ष।
०तर्क विषयक, पक्ष प्रस्तुत करने योग्य।
०ऐच्छिक, वैकल्पिक, अनुमत। पाक्षिकः (पुं०) चिड़ियामार, बहेलिया। पाक्षिक श्रावक,
एकदेशहिंसादिविरति रूप श्रावक। पाक्षिकश्रावकः (पुं०) एक देशहिंसादि विरति व्रत पालक।
(जयो०१० २/१३) सम्यग्दृष्टिः सातिचारमूलाणुव्रतपालकः। अर्चादिनिरतस्त्वग्रपदं कांक्षीह पाक्षिकः।।
(धर्म सं० धा०५/४) पाक्षिकापाक्षिक (वि०) पक्ष और अपक्ष वाला ऐच्छिकानैच्छिक। पाखण्डः (पुं०) [पातीति-पा+क्विप् पाः वयोधर्मः तं खण्डयति
पा+खण्ड+अच्] विधर्मी, नास्तिक।
चाण्डाल, दुरात्मन्। ०आचरण विहीन मनुष्य। ०पाप जन्य।
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