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पर्णचोरकः
६२५
पर्यश्रु
पर्णचोरकः (पुं०) सुगन्धित द्रव्य। पर्णभोजनः (पुं०) बकरी। पर्णमेदिनी (स्त्री०) प्रियंगुलता। पर्णमुच् (पुं०) शिशिर ऋतु, सर्दी का समय। पर्णमृगः (पुं०) जंगली पशु, वृक्ष की शाखाओं पर रहने
वाला पशु। पर्णल (वि०) [पर्ण+लच्] पत्तों वाला, पत्तों से युक्त। पर्णलता (स्त्री०) पान की बेल। पर्णरुह् (पुं०) बसंत ऋतु, पान की बेल। पर्णवीटिका (स्त्री०) पान का बीड़ा, पान की गिलोड़ी। पर्णशाला (स्त्री०) झोंपड़ी, पत्तों से निर्मित झोंपड़ी। पर्णसिः (नपुं०) जल भवन, ग्रीष्म भवन, कमल,
शाक-भाजी। ०सजावट, प्रसाधन, श्रृंगार साधन। पर्णिन् (पुं०) [पर्ण इनि] रुख, वृक्ष, पेड़, पादप। पर्णिल (वि०) [पर्ण+इलच्] पत्तों से युक्त, पत्रावली से
परिपूर्ण। पर्द (सक०) पैर मारना, अपान, करना, वायु छोड़ना। पर्दः (पुं०) [प। अच्] केश समूह, घने बाल।
०पाद, अपान वायु। पर्पः (पृ+प) पंगु गाड़ी, पंगु पीठ। घर, गृह। पर्परीकः (पुं०) [पृ+ईकन] सूर्य,
अग्नि, आग, तेज।
०जलाशय, तालाब। पर्यक् (अव्य०) [परि+अंच्+क्विप्] चारों ओर, सभी दिशाओं में। पर्यंकः (पुं०) [परिगत, अंकम्] ०पलंग, खाट, शय्या, आसन।
(दयो०८९)
योगासन, वीरासन, विशेष। पर्यङ्कासनं (नपुं०) वीरासन, दोनों जंघाओं के नीचे के भाग
को पांवों के ऊपर करके नाभि के पास वाम हथेली के
ऊपर दक्षिण हथेली के रखने पर पर्यंकासन होता है। पर्यंकबन्धः (पुं०) पद्मासन पर बैठना। पर्यकभोगिन् (पुं०) सर्प विशेष। पर्यट (अक०) घूमना, परिभ्रमण करना। पर्यटः (पुं०) विहार, भ्रमण। (वीरो० १५/१) पर्यटनं (नपुं०) [परि+अट्+ल्युट्] ०परिभ्रमण, देशाटन, यात्रा।
भ्रम, भ्रमण। (जयो० ३/११३) हिंडन, इधर-उधर, गमन।
पर्यटनार्थ (वि०) भ्रमणार्थ, देशाटनार्थ। (समु० २/२१, २७) पर्यटन्त (वि०) भ्रमण करने वाला, घूमने वला। (जयो०
११/७४) पर्यटन्तो पर्यटन्ती। (जयो०वृ० १/२०) पर्यनुयोगः (पुं०) [परि+अनु+युज्+घञ्] पर्यालोचन, दूषणार्थ
जिज्ञासा। पर्यंत (वि०) सीमा तक फैला हुआ। अंगीकृता अप्यमुना
शुभेन पर्यन्तसम्पत्तरुणोत्तमेन। (सुद० १/१८)
प्रान्त भाग। (जयो० ३/४७) पर्यन्ततः (अव्य०) चारों ओर। अभितः (जयो० १/५८) पर्यन्तता (अव्य०) समीपवर्ती। (सुद० २/२६) पर्यंतदेशः (पुं०) जुड़ी ही सीमा, सीमा से लगा हुआ देश। पर्यंतभू (स्त्री०) सीमा वाला प्रदेश, सीमापर्ती भू-भाग। पर्यंतिका (स्त्री०) भ्रष्टाचार। पर्ययः (पुं०) पतन, निःश्वास। ०बदला, समय समाप्त होना।
परिवर्तन, अनियमितता। ०अव्यवस्था।
अतिक्रमण, अवहेलना। विरोध। ०पर्याय-भवान्तर, संज्ञान्तर-'परिभेदमेति गच्छतीति पर्यायः'।
उत्पाद और व्यय रूप अवस्था (वीरो० १९/१८) द्रव्यं तदेतद् सामान्य गुणपर्ययाभ्यां यद्वाऽत्र सामान्य
विशेषताऽऽभ्याम्। (वीरो० १९/१८) पर्ययणं (नपुं०) [परि+अय्+ल्युट्] प्रदक्षिणा, परिवर्तन,
परिभ्रमण, चक्कर, एक से दूसरी ओर गमन।
घोड़े की जीन। पर्यवदात (वि०) पूरी तरह शुद्ध, पवित्र। पर्यवरोधः (पुं०) विघ्न, बाधा, कठिनाई। पर्यवसानं (नपुं०) अन्त, समाप्ति।
उपसंहार।
निर्धारण, निश्चय करना। पर्यवसित (भू०क०कृ०) [परि+अव्+सो+क्त] समाप्त किया
गण, नष्ट किया गया। निर्धारित, उपसंहरित, समेटा गया।
नष्ट, क्षय, नाश, समाप्त। पर्यवस्था (स्त्री०) [परि+अव्+स्था+अड्+टाप्] ०विरोध, विघ्न,
बाधा, प्रतिरोध। पर्यश्रु (वि०) अश्रुपरिपूरित, अश्रुयुक्त, आंसुओं से भरा हुआ।
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