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परिहारनीति
६२३
परुः
परिहारनीति (स्त्री०) हीनता, कमी, क्षीण होना। परिहार्य (वि०) [परि+ह+घञ्] निधारित, रोका गया, बचने योग्य। परिहर्ता (वि०) परिवर्जन करने वाला। (जयो० २३/४५) परिहारविशुद्धिः (स्त्री०) प्राणिवध निवृत्ति, अनुपम त्याग
प्रवृत्ति। परिहारेण विशिष्टा शुद्धिर्यस्मिह तत्परिहार विशुद्धि चारित्रम्' (त०वा० ५/१८) परिहार प्रधानः शुद्धि संयतः
परिहार विशुद्धि संयतः। परिहारिक (वि०) परिहार करने वाला, त्याग करने वाला। परिहासः (पुं०) [परि+हस्+घञ्] हंसी, मखौल, उपहास।
(जयो० १६/५२) परिहासवच् (नपुं०) श्लिष्ट शब्दोच्चारण। (जयो० १२/११०) परिहासिहिन् (वि०) हंसी उड़ाने वाला। (जयो० २/१०२) नैव
वर्त्मपरिहासिणे ददात्युद्धताय तु कदात्मने कदा। (जयो०
२/१०२) परिह (सक०) छोड़ना, त्यागना, विसर्जन, करना, निवारण करना।
इटानिष्टविकल्पानां परिहरेच्चकिञ्चनत्वाप्तये। (मुनि० ४) प्राणाधार भवांस्तु मां परिहरेत्सम्वाञ्छया निर्वृत्तेः। (सुद०
११३) परिहृत (भू०क०कृ०) धुत, नष्ट किया, छोड़ा गया, परित्यक्त
(जयो०वृ० १/९५) निराकृत, अपास्त, पकड़ा हुआ। परिहीणः (पुं०) तुच्छ, पपित, गिरा हुआ। ०कमजोर। (समु०
परीक्षित् (पुं०) [परि+क्षि+क्विप्] परीक्षण। परीक्षित (भू०क०कृ०) [परि+ईश्+क्त] जांच किया गया
जांचा गया, परखा गया। सम्बोधित। परीक्षितुं (सं०कृ०) परीक्षा करके, जांच करके। परीत (भू०क०कृ०) [परि। इ+क्त] ०वेष्टित, परिवेष्टित (जयो०
५३१) घिरा हुआ, पर्यावृत आच्छादित। •समाप्त हुआ, बीता हुआ। विगत, व्यतीत। पकड़ा गया, धारण किया गया। 'परि समन्तादितं वेष्टितं'
(जयो०७० २४) परीतसंसारः (पुं०) परिमित संसार। परीतत् (स्त्री०) आंत, अन्न। विपिनस्य परीतदुत्करा इव
वृद्धस्य विनिर्गता, इतः। (जयो० १३/४५) परीतापः (पुं०) परिताप, सन्ताप। परीतिः (स्त्री०) पराजय। जीतिरेव च परीतिरेव वा तस्य ते च
तुलना कुतोऽथवा। (जयो० ७/६८) परीतिकृत् (वि०) प्राणहारक। (जयो० ७/७८) परीत्य (सं०कृ०) प्रदक्षिणकृत्य, प्रदक्षिणा करके। (जयो० १/१) परीप्सा (स्त्री०) [परि+आप+सन्+अ+टाप] प्राप्त करने की
इच्छा, वाञ्छा, चाह।
०शीघ्र। परीरं (नपुं०) [पृ+ईरन्] एक पल। परीरणं (नपुं०) [परि+ई+ल्युट] ०कच्छप, कूर्म, कछुवा।
०छड़ी।
०वेशभूषा। परीरभ्य (वि०) समालिंगन। परी सर्वोत्तमसुन्दरी तस्याः परीरभ्भे
समालिंगने परः संलग्नः (जयो०वृ० २४/५९) परीरम्भपर (वि०) आलिंगन में संलग्न। 'परीरम्भपरे आलिंगन
संलग्ने (जयो १७/७५) परीरम्भे समालिंगने परः संलग्नः। परीषहः (०) पीड़ा, कष्ट, बाधा, उपसर्ग। परीति समन्तात्
स्वहेतुभिरुदीरिता मार्गच्यवननिर्जरार्थं साध्वादिभिः सह्यन्त
इति परीषहाः' (जैन०ल०६८४) परीषहजयः (पुं०) परीषहों को जीतना। 'मार्गाच्यवन निर्जरार्थं
परिसोढव्याः परीषहाः' (त०सू० ९/८) परुः (पुं०) [पृ+उ] जोड़, ग्रन्थि, गांठ, सन्धि, मेल।
०अवयव, अंग। समुद्र, स्वर्ग, पर्वत।
परी (स्त्री०) परी, अत्यन्त सुन्दर स्त्री।
मितामरीभिर्मधुराधरीभिर्या वागयावा सदने परीभिः। (जयो०
२७/१९) सर्वोत्तमसुन्दरी (जयो० २४/५९) परीक्ष (अक०) [परि+ईक्ष] परीक्षा करना, निरीक्षण करने
करना, परीक्षण करना।
न्याय करना। परीक्षक (वि०) [परि+ईश्+ण्वुल] परीक्षा लेने वाल, निरीक्षण
करने वाला। न्याय करने वाला। परीक्षणं (नपुं०) पान करना। (समु० ४/१०) 'परस्परप्रेम
सुधापरीक्षण:' समावभौ दाशरथिः सलक्ष्मणः। (समु० ४/१०)
परीक्षा करना, मान करना। देवदानव-बलायितकस्य
स्यात्परीक्षणमहो किल कस्य। (जयो० ४/८) परीक्षा (स्त्री०) परीक्षा, जांच, परख, मान, सम्मान, वीक्षा।
(वीरो० ५/४) प्रर्वमनो विचार: परीक्षा। परीक्षामुखः (पुं०) माणिक्यनन्दि विरचित सूत्र शैली बद्ध
न्यायशास्त्र।
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