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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिवर्तः ६१९ परिवार-सहित तिलाञ्जलि देना। ०वध, हत्या। परिवर्तः (पुं०) [परि+वृत्+घञ्] ०घूमना, परिभ्रमण करना, चक्कर लगाना। ०परावर्तन, आवतन, परिवर्तन। (सम्य० ४७) ०कालचक्र, कालगति। परिवर्तक (वि०) [परि+वृत्+क्त] परिवर्तन करने वाले। (जयो० २/७९) ० घुमाने वाला, चक्कर देने वाला। ०वापिस लेने वाला। परिवर्तनं (नपुं०) पर्यटन, परिभ्रमण, हिंडन, इधर-उधर जाना, घूमना। ०अभ्यसन, गुणन, परिशीलन। ०चक्कर काटना, चकराना। क्रान्तिकाल, चक्र का अन्त। ०अदला-बदली, विनिमय। परिवर्तमान (वि०) ०बदला हुआ। परिभ्रमण करता हुआ। परिवर्तिका (स्त्री०) रूपान्तरित। परिवर्तिता (स्त्री०) रूपान्तरिता। (जयो० २४/११) परिवर्तिन् (वि०) [परि+वृत्+णिनि] प्रत्यावर्ती, परिवर्तन, चक्कर लगाने वाला। ०परिभ्रमण करने वाला। ०अदला-बदली। परिवर्धनं (नपुं०) [परि+वृध्+ल्युट्] ०संवर्धन, बढ़ना। पालन-पोषण करना। ०प्रत्यावर्ती, पलायन। विस्तृत होना। बड़ा होना। परिवर्धिष्णु (वि०) वर्धनशीलता। (जयो० २६/९) परिवर्द्धक (वि०) बढ़ाने वाला। (समु० ३/३) विधुः कलाभिः | परिवर्द्धकः सन्। परिवर्द्धनं (नपुं०) बढ़ाना। (जयो०वृ०१२/५१) परिवर्द्धमान (वि०) जृम्भित, बढ़ते हुए। (जयो०वृ० १४/१८) परिसद् (अक०) निन्दा करना। (जयो० ९/१०) परिवसथः (पुं०) [परितो वसन्ति अत्र परि+वस्+अथ] गांव, परिवादकः (पुं०) [परि+वद्+णिच् ल्युट] ०वादी, प्रतिवादी, प्रतिपक्षी। दोषारोपक। परिवादघाटी (वि.) लोकापवाद को घटित करने वाला। परिवादस्तस्य घाटी घटयित्री। (जयो० १५/२७) परिवादसमा युक्त (वि०) लोकापवाद युक्त। परिवादहर (वि०) निन्दापहरणकर। (जयो० १२/१४५) परिवादिन् (वि०) [परि+वद्+णिनि] निन्दा करने वाला, गाली देने वाला, दोषारोपण करने वाला। चिल्लाने वाला, चीखने वाला। निन्दित, अपमामित, कलंकित। परिवाद्यक (वि०) वाद्यवादन। (जयो० ५/७०) परिवापः (पुं०) [परि+वप्+घञ्] मुंडन, बाल काटना। बोना, बीज डालना। जलाशय, पल्वल, पोखर, जोहड़। ०सामान। ०भृत्यवर्ग, अनुचर समूह। परिवापित (वि०) [परि+वप्+घञ्] मुंडित, बाल कटा हुआ। ०बोया हुआ। परिवारः (पुं०) [परिव्रियते अनेन-परि+व+घञ्] ० भृत्य वर्ग, अनुचर वर्ग। ०अनुयायी, अनुगामी। ०ढक्कन, चादर, आवरण। म्यात, कोष, खजाना। ०सजाति समूह (जयो० ५/३) परिजन, कुटुम्बीजन। (जयो० ६/२७) परिवारणं (नपुं०) [परि+वृ+णिच्+ ल्युट्] ०आवरण, ०चादर। ०अनुचरवर्ग। ०कुटुम्बी जन, परिजन, परिवार के सदस्य। परिवारिणी (वि०) ले जाने वाली। 'परिगतं वारि नयति धारयतीति' (जयो० ३/८) ०दूर करना, अलग करना, पृथक् करना। परिवारपूर्णः (पुं०) परिजनों से परिपूर्ण। (वीरो० ९/३१) परिवारसमायुक्त (वि०) परिवार के त्यागी जनों से युक्त। (सुद० ४/३) परिवार-सहित (वि०) परिवार सहित, परिजन सहित। (जयो० १२/४२) सुकुटुम्ब युक्त। ग्राम। | परिवहः (पुं०) [परिवह्+अच्] बहना, प्रवाहित होना। परिवादः (पुं०) [परि वद्+घञ्] * गाली, निंदा, अपमान, कलंक। विपरीत प्रवर्तना। दोषारोपण करना, दोषी ठहराना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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