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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिमुग्धमित ६१८ परिवर्जनं भोला-भाला। ०क्षीण, कान्तिहीन, हतप्रभ, तेज रहित। अति आकर्षण। ०मूर्छित, व्यामोहित। परिमुग्धमित (वि०) मीठी-मीठी बात। (सुद० ३/४२) मुर्छाया हुआ, कुम्हलाया हुआ। परिमुञ्च (सक्०) छोड़ना, त्याग करना । कलंकित, म्लान। परिमुच्यता (वि०) छोड़ने वाला। परिच्युतेनेत्यर्थ साधु सङ्गमा- | परिया (अक०) प्राप्त होना। परियातु। (सुद० ३/९) दुपागता किं परिमुच्यतां किं क्षमा। परिरक्षु (सक०) रक्षा करना, बचाना। परिमुषित (वि०) लुटे हुए। (दयो० २०) (दयो० ३८) परिरक्षकः (पुं०) [परि रक्ष्+ण्वुल]०प्रतिरक्षक, अंगरक्षक। परिमूढता (वि०) अतिमुग्धता, अत्यधिक आसक्ति। (जयो० अभिभावक। १५/९५) परिरक्षणं (नपुं०) [परि+रक्ष ल्युट्] ०रक्षा, संरक्षण, विशेष परिमृज् (सक०) साफ करना, मांजना, प्रक्षालन करना। देखभाल। परिमृदित (भू०क०कृ०) [परि+मुद्+क्त] ०पददलित, कुचला ०ध्यान रखना, पालन-पोषण करना, बनाये रखना। हुआ, मर्दित, रोंधा गया। ०संधारण, सम्भालना। आलिंगित। परिरक्षा (स्त्री०) [परिरक्ष्। अङ्कटाप्] ०रक्षा, देख-भाल, ०व्यवहारग्रस्त। सम्हाल। परिमृष्ट (भू०क०कृ०) [परि+मृज्+क्त] प्रक्षालित किया, ०ध्यान केंद्रित करना, पोषण करना। स्वच्छ किया, साफ किया गया। परिरथ्या (स्त्री०) गली, छोटा रास्ता। ०स्पर्शित, आलिंगित। परिरब्धः (वि०) धारण किए हुए। परितः समन्ता द्रव्यः। ०व्याप्त, हुआ, भरा हुआ। परिरंभः (पुं०) [परि+र+घञ्] ०आलिंगन करना, गले परिमेय (वि०) [परि+मा+यत्] थोड़े, सीमित, अल्प। लगाना। समालिगेन। (जयो० १०/६४) मापा जा सके। परिरभणं (नपुं०) आलिंगन करना। परस्परा समालिंग। ०सान्त, समापिका। (जयो० १७/८६) परिमोक्षः (पुं०) [परि+मोक्ष्+घञ्] मुक्त करना, स्वतन्त्र परिरम्भित (वि०) समालिंगित। (जयो० २४/५९) करना। परिराटिन (वि०) [परि+रट्+धिनुण] रट लगाने वाला, चिल्लाने ०छुड़ाना, हटाना, दूर करना। वाला। मोक्ष, मुक्ति, निर्वाण। परिलघु (वि०) ०बहुत छोटा। परिमोक्षणं (नपुं०) [परि+मोक्ष ल्युट्] मुक्ति, मोक्ष, निर्वाण। ०बहुत हल्का । छूटना, छुटकारा मिलना। ०शीघ्र पचनशील। ०परित्याग करना। परिलुप्त (भू०क०कृ०) [परि+लुप्+क्त] नष्ट, विलुप्त, परिमोषः (पुं०) [परि+मुष्+घञ्] चोरी, स्तेय। विछिन्न। लूटना, चुराना, हरण करना, खींच लेना। ०अन्तर्बाधित, सबाध। परिमोषिन् (पुं०) [परि+मुष्+घञ्] ०चोर लुटेरा। परिलेखः (पुं०) [परि+लिख+घञ] ०आलेखन, चित्रण, परिमोहनं (नपुं०) प्रलोभन देना। विवेचन। लुभाना, आसक्त करना, खींचना। ०रूपरेखा, पूर्वचित्रण। ०मन्त्रमुग्ध करना, मोहित करना मुग्ध करना, आकर्षित | परिलोपः (पुं०) [परि+लुप्+घञ्] ०क्षति, हानि, विलुप्ति। करना, प्रेमासक्त करना। उपेक्षा, अभाव, शून्य, रहित। परिमोहिन् (वि०) आलस्यकारी। (जयो०७/१०५) परिवत्सरः (पुं०) वर्ष, एक वर्ष, वर्ष पर्यन्त। परिम्लान (भू०क०कृ०) [परिम्ला+क्त]० श्रान्त, शिथिल, | परिवर्जनं (नपुं०) [परि+वृज्+ल्युट्] ०त्यागना, छोड़ना। थका हुआ। विसर्जन करना, बहाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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