________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परित्राणं
६१४
परिपक्व
परित्राणं (नपुं०) [परि+त्रै+ल्युट्] संरक्षण, बचाना, प्रतिरक्षा, | परिधिः (स्त्री०) [परि+धा+कि] ०बाड़, घेरा, मेंड, बांध। ___मुक्ति, छुटकारा।
वृत्त, गोलाकार आकृति, समान गोल क्षेत्र। परित्रासः (पुं०) [परि त्रस्+घञ्] त्रास, भय, डर, भीति।
०व्यास, एक प्रमाण विशेष, समान गोल क्षेत्र के विस्तार परिदंशित (वि०) [परि+दंश्+क्त] सुसज्जित, आवृत्त, ढका का वर्ग करके उसे दस से गुणित करने पर जो प्राप्त होता हुआ, आच्छादित, कवच से घिरा।
है। विस्तार को सोलह से गुणा करके उसमें सोलह जोड़ परिदानं (नपुं०) [परि+दा+ल्युट्] विनिमय, आदान-प्रदान, दें, तत्पश्चात् उन्हें तीन, एक और एक (११३) अर्थात् लेन-देन, क्रय-विक्रय वस्तु प्रदान।
एक सौ तेरह से भाजित करके लब्ध में तिगुने विस्तार के परिदायिन् (वि०) विनिमय किया गया।
जोड़ देने पर सूक्ष्म से सूक्ष्म परिधि का प्रमाण प्राप्त होता है। परिदाहः (पुं०) [परि+दह्+घञ्]०जलन, परिवेदन। वेदना, क्षितिज। कष्ट, दु:ख।
०पहिये का घेरा। शोक, आकुलता, ईर्ष्या।
परिधूपित (वि०) [परि+धूप्+क्त] सुगन्धित किया गया, सुवासित। परिदेवः (पुं०) [परि+दिव्+घञ्] विलाप, ०मातम मनाना, परिधूसर (वि०) [परितः सर्वतो भावेन धूसर:] धूल से दुःख प्रकट करना, ०व्यथित होना।
परिपूर्ण, अधिक रज युक्त।। परिदेवनं (नपुं०) संक्लेश परिणाम।
परिधृत (वि०) पकड़े हुए, ग्रहण किए हुए। (समु० ७/६) विलाप, खेद, दुःख, पीड़ा।
परिधेयं (नपुं०) [परि+धा+यत्] अधोवस्त्र, नीचे का वस्त्र, विलखना, रुदन करना।
चड्डी, कच्छ, लंगोट, धोती, परदनी, पजामा, पेंट। ०दयार्द्र होना।
परिध्वंसः (पुं०) [परि+ध्वंस्+घञ्] ०विनाश, क्षय, हानि, परिदेव्यते परिदेवनं संक्लेशपरिणाम-विहितावलम्बनं घात, नष्ट। स्व-परोपकार-कांक्षालिंग अनुकम्पाभूयिष्ठ रोदनमित्यर्थः। संहार, विघाता (जैन०ल० ६८१)
परिध्वंसिन् (वि०) [परि+ध्वंस्+णिनि] पतित, गिरकर नष्ट परिदेविनि (स्त्री०) विलापवती । विलापः परिवेदनं इत्यमरः' होने वाला, विनष्टगत। (जयो० २६/३९)
परिनिर्वाणं (नपुं०) परिमुक्ति, परिमृति, महाप्रयाण, अन्तिम परिद्रष्टु (वि०) [परि+दृश्+तुच्] दर्शक, देखने वाला।
प्रयाण अधिष्ठान। (जयो०वृ० २४/३१) परिधर्षणं (नपुं०) [परि+घृष्+ल्युट्] ०आक्रमण, बलात्कार। परिनिर्वाणत्व (वि०) मुक्तिदशा। (जयो० १२/७३) ०अपमान, निरादर, तिरस्कार।
परिनिर्वाप्य (वि०) समस्त विशेषताओं को प्राप्त। परीति दुर्व्यवहार।
सर्वप्रकारं निर्वापयितः। परिधानं (नपुं०) [परि+धा+ल्युट्] अधोवस्त्र। (जयो० १५/१००) | परिनिर्वृततः (पुं०) विकार रहित, दोष रहित। (समु० ४/१३) पोशाक, वस्त्रधारण करना। (जयो०१० ६/१२६)
'परिनिर्वृत्तः कर्मकृतविकार विरहात् स्वस्थीभूतः' परिधानीयं (नपुं०) [परि+धा+अनीयर] अधोवस्त्र, नीचे का | परिनिर्वृतिः (स्त्री०) बन्धनमुक्त, मुक्ति। भवबन्धनमुक्तस्य पहनावा।
याऽवस्था परमात्मनः परिनिर्वृतिरिष्टा सा परं निर्वाणमिष्यते। परिधायः (पुं०) [परि+धा+घञ्] नितम्ब, चूतड़। (जयो० परिनिर्वाण, परममुक्ति। (महापुराण ३९/२०६) पूर्णमुक्ति, वृ० ११/६)
जन्म-मरण रहित अवस्था। जलस्थान। (जयो०वृ० ११/६)
परिनिष्ठा (स्त्री०) ययार्थ ज्ञान के प्रति विश्वास, पूर्ण श्रद्धा। परिच्छेद। (जयो०वृ० ११/६)
परिनिष्ठत (भू०क०कृ०) [परि+नि स्था+क्त] पूर्ण कुशल, ०अनुचर, भृत्य। 'परिधायो जलस्थाने नितम्बे च परिच्छेद' सुनिश्चित। इति विश्वलोचनः। (जयो० ११/६)
परिनिस्वत् (वि०) श्रमजनित, स्वेदपरिपूर्ण। (जयो० १३/७१) परिधारणीय (वि०) [परि+धृ+अनीयर] धारण करने योग्य। । परिपक्व (भू०क०कृ०) [परि+पच्+क्त] पूर्ण पका हुआ, 'यः क्षत्रियेश्वरवरैः परिधारणीयः' (वीरो० २२/२६)
भली भांति सेंका हुआ।
For Private and Personal Use Only