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परिच्युत
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परिणामयोगस्थानं
परिच्युत (वि०) पतित, गिरा हुआ। (जयो० ३८)
परिणयनं (नपुं०) [परि+नी+ल्युट्] पाणिग्रहण, विवाह, शादी। परिजनः (पुं०) कुटुम्बीजन, परिवार के लोग। ०अनुचर, (दयो० १०८) सेवक, भृत्य, दास-दासी।
परिणहनं (नपुं०) [परि+न+ ल्युट्] ०कमर कसना, अग्रसर ०अनुयायीवर्ग।
होना, कपड़ा बांधना, वस्त्र लपेटना, तैयार होना। परिजल्पित (वि.) [परि+जल्प्+क्त] परिकथित, दोषारोपण, | परिणामः (पुं०) [परि+नम्+घञ्] ०प्रसार, विस्तार। 'लोकलोनिन्दित, दोष प्रकट।
पिलवणापरिणामः' (जयो०० ५/२०) परिणामः प्रसारो परिज्ञप्तिः (स्त्री०) [परि+ज्ञप्+क्तिन्] ०वार्तालाप, संवाद यत्र (जयोवृ०५/२६) कथोपकथन, संलाप।
* विचार, चिन्तन-'अपवर्ग-परिणाम-पण्डिते'। (जयो० परिज्ञ (स्त्री०) सभी तरह का ज्ञान। 'परिः समन्ताज्ज्ञानं पाप
३/२०) परित्यागेन परिज्ञासामायिकमिति' (जैन०ल.पृ० ६७९)
स्वभाव, आत्मभाव। (जयो० २२/६९) परिज्ञातकर्म (पुं०) त्रैकालिक अवस्था का जानने वाला।
परिवर्तन, रूपान्तरण। परिज्ञानं (नपुं०) [परि+ज्ञा+ल्युट्] प्रतीति, जानकारी। पूर्ण निष्पत्ति, परिणति, फल। ज्ञान, पूरी जानकारी। (जयो०वृ० २७/६१)
पूर्ण विकास, परिपक्वता। परिज्ञानसहित (वि०) यथार्थ ज्ञान युक्त। (सुद० १३३)
०अन्त, समाप्ति, अवसान, ह्रास। परिज्ञायक (वि०) परिज्ञाता, यथार्थ ज्ञाता। (जयो०वृ० १७/५५) द्रव्यात्मलाहेतु। परिडीनं (नपुं०) [परि+डी+क्त] ०पक्षियों की उड़ान, गोलाकार निर्दिष्ट।
रूप उड़ने की प्रवृत्ति, पक्षियों की समूहात्मक गमन आगामीकाल। (सुद० १२४) क्रिया।
०अर्थान्तरगमन-परिणामो ह्यर्थान्तरगमनं न तु सर्वथा परिणत (वि०) कल्पित, दूरीभूत, हटना। (जयो० ९/२) व्यवस्थापनम्। (जैन०ल० ६७९) विनत, (जयो०वृ० ११/३०) नम्र, झुका हुआ।
गुणों का स्वभाव। पक्का, परिपक्व, पूर्ण।
०स्वतत्त्व भाव। ०वृद्ध, ढलता हुआ।
०द्रव्य का सद्भाव। ०रूपान्तरित, परिवर्तित।
०स्वकार्य पर्यालोचन। ०पचा हुआ, पकाया हुआ।
परिणमनं परिणामः। (सुद० ४/२९) परिणत (वि०) [परि+नम्+क्त] नम्रीभूत।
०परि समन्तान्नमनं यथावस्थितवस्तनुसारितया गमनं परिणतिः (स्त्री०) शुभाशुभ परिवर्तन। (जयो० २/४७)
परिणामः। (जैन०ल० ६८०) सौभाग्यवती। (जयो० ५/७४) 'सदसमवाप मनोहरगात्री ०द्रव्य परिणति। परिणतिमेति यया खलु धात्री।
परिणामक (वि०) परिणमन/परिवर्तन कराने वाला। झुकना, नम्र होना, विनम्र होना, विनत भाव, विनीत परिणामकोमल: (पुं०) सरस स्वभाव, मृदुभाव। (जयो० २२/६९)
परिणामदर्शिन् (वि०) बुद्धिमान्। स्वभाव दी। ०परिपक्व, रूपानन्तरण।
परिणामदृष्टिः (स्त्री०) स्वभावदर्शी। परिणाम, फल, नतीजा।
परिणामधामः (पुं०) विकास स्थल। (जयो० ७/८३) अन्त, उपसंहार, समाप्ति, अवसान।
परिणामपथ्य (वि०) स्वास्थ्य प्रद कारण। ०अन्तिम स्थिति।
परिणाम-निर्मल (वि०) स्वच्छ भाव वाला। वर्णेन निर्मला परिणद्ध (भूक०कृ०) [परि+नह+क्त] लिपटा हुआ, ०बंधा स्वच्छ। (जयो० १३/५७) हुआ, विस्तृत, विपुल, विशाल, विस्तीर्ण।
परिणामभावः (पुं०) स्वभाव, आत्म भाव। (समु०७/२२) परिणमनं (नपुं०) परिवर्तन। (जयो०७ १/८३)
परिणामयोगस्थानं (नपुं०) योग का स्वभाव, बना रहना, परिणयः (पुं०) [परि+नी+अप्] विवाह, शादी, परिणीतभाव, पर्याप्त होने के समय से लेकर आगे सर्वत्र परिणामयोग पाणिग्रहणसंस्कार।
का होना।
गुण।
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