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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिच्युत ६१२ परिणामयोगस्थानं परिच्युत (वि०) पतित, गिरा हुआ। (जयो० ३८) परिणयनं (नपुं०) [परि+नी+ल्युट्] पाणिग्रहण, विवाह, शादी। परिजनः (पुं०) कुटुम्बीजन, परिवार के लोग। ०अनुचर, (दयो० १०८) सेवक, भृत्य, दास-दासी। परिणहनं (नपुं०) [परि+न+ ल्युट्] ०कमर कसना, अग्रसर ०अनुयायीवर्ग। होना, कपड़ा बांधना, वस्त्र लपेटना, तैयार होना। परिजल्पित (वि.) [परि+जल्प्+क्त] परिकथित, दोषारोपण, | परिणामः (पुं०) [परि+नम्+घञ्] ०प्रसार, विस्तार। 'लोकलोनिन्दित, दोष प्रकट। पिलवणापरिणामः' (जयो०० ५/२०) परिणामः प्रसारो परिज्ञप्तिः (स्त्री०) [परि+ज्ञप्+क्तिन्] ०वार्तालाप, संवाद यत्र (जयोवृ०५/२६) कथोपकथन, संलाप। * विचार, चिन्तन-'अपवर्ग-परिणाम-पण्डिते'। (जयो० परिज्ञ (स्त्री०) सभी तरह का ज्ञान। 'परिः समन्ताज्ज्ञानं पाप ३/२०) परित्यागेन परिज्ञासामायिकमिति' (जैन०ल.पृ० ६७९) स्वभाव, आत्मभाव। (जयो० २२/६९) परिज्ञातकर्म (पुं०) त्रैकालिक अवस्था का जानने वाला। परिवर्तन, रूपान्तरण। परिज्ञानं (नपुं०) [परि+ज्ञा+ल्युट्] प्रतीति, जानकारी। पूर्ण निष्पत्ति, परिणति, फल। ज्ञान, पूरी जानकारी। (जयो०वृ० २७/६१) पूर्ण विकास, परिपक्वता। परिज्ञानसहित (वि०) यथार्थ ज्ञान युक्त। (सुद० १३३) ०अन्त, समाप्ति, अवसान, ह्रास। परिज्ञायक (वि०) परिज्ञाता, यथार्थ ज्ञाता। (जयो०वृ० १७/५५) द्रव्यात्मलाहेतु। परिडीनं (नपुं०) [परि+डी+क्त] ०पक्षियों की उड़ान, गोलाकार निर्दिष्ट। रूप उड़ने की प्रवृत्ति, पक्षियों की समूहात्मक गमन आगामीकाल। (सुद० १२४) क्रिया। ०अर्थान्तरगमन-परिणामो ह्यर्थान्तरगमनं न तु सर्वथा परिणत (वि०) कल्पित, दूरीभूत, हटना। (जयो० ९/२) व्यवस्थापनम्। (जैन०ल० ६७९) विनत, (जयो०वृ० ११/३०) नम्र, झुका हुआ। गुणों का स्वभाव। पक्का, परिपक्व, पूर्ण। ०स्वतत्त्व भाव। ०वृद्ध, ढलता हुआ। ०द्रव्य का सद्भाव। ०रूपान्तरित, परिवर्तित। ०स्वकार्य पर्यालोचन। ०पचा हुआ, पकाया हुआ। परिणमनं परिणामः। (सुद० ४/२९) परिणत (वि०) [परि+नम्+क्त] नम्रीभूत। ०परि समन्तान्नमनं यथावस्थितवस्तनुसारितया गमनं परिणतिः (स्त्री०) शुभाशुभ परिवर्तन। (जयो० २/४७) परिणामः। (जैन०ल० ६८०) सौभाग्यवती। (जयो० ५/७४) 'सदसमवाप मनोहरगात्री ०द्रव्य परिणति। परिणतिमेति यया खलु धात्री। परिणामक (वि०) परिणमन/परिवर्तन कराने वाला। झुकना, नम्र होना, विनम्र होना, विनत भाव, विनीत परिणामकोमल: (पुं०) सरस स्वभाव, मृदुभाव। (जयो० २२/६९) परिणामदर्शिन् (वि०) बुद्धिमान्। स्वभाव दी। ०परिपक्व, रूपानन्तरण। परिणामदृष्टिः (स्त्री०) स्वभावदर्शी। परिणाम, फल, नतीजा। परिणामधामः (पुं०) विकास स्थल। (जयो० ७/८३) अन्त, उपसंहार, समाप्ति, अवसान। परिणामपथ्य (वि०) स्वास्थ्य प्रद कारण। ०अन्तिम स्थिति। परिणाम-निर्मल (वि०) स्वच्छ भाव वाला। वर्णेन निर्मला परिणद्ध (भूक०कृ०) [परि+नह+क्त] लिपटा हुआ, ०बंधा स्वच्छ। (जयो० १३/५७) हुआ, विस्तृत, विपुल, विशाल, विस्तीर्ण। परिणामभावः (पुं०) स्वभाव, आत्म भाव। (समु०७/२२) परिणमनं (नपुं०) परिवर्तन। (जयो०७ १/८३) परिणामयोगस्थानं (नपुं०) योग का स्वभाव, बना रहना, परिणयः (पुं०) [परि+नी+अप्] विवाह, शादी, परिणीतभाव, पर्याप्त होने के समय से लेकर आगे सर्वत्र परिणामयोग पाणिग्रहणसंस्कार। का होना। गुण। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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