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परिग्रहव्यापारः
६११
परिच्छेदद्य
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०अनन्तायाश्च गर्धायाः विरतिः।
०इच्छापरिमाण, वाञ्छा परिमाण। परिग्रहव्यापारः (पुं०) ग्रंथारंभ। (जयो०वृ० १/११०) परिग्रहानन्दी (स्त्री०) रौद्रध्यान का एक भेद। (मुनि २०) परिघः (पुं०) [परि+ह्न+अप्] लोहे की छड़, मूसल, अर्गला,
सांकल।
रोक, अवरोध। परिघट्टनं (नपुं०) [परि+घट्ट ल्युट्] घोटना, पीसना, कलछी
चलाना, विलोना। परिघोषः (पुं०) [परि+घुष्+घञ्] उद्घोषणा, चारों ओर
मिनादी पिटवाना, कोलाहल करना गर्जना। परिचयः (पुं०) [परि+चि+अप्] ०एकत्र करना, संग्रह करना,
जोड़ना, ढेर लगाना।
घनिष्टता, मित्रता, जान-पहचान। (जयो० ९/५५)
०अभ्यास, अध्ययन, आवृत्ति, बार-बार चिन्तन। परिचरः (पुं०) [परि+चर+अच्] अनुचर, सेवक, भृत्य, अनुयायी
वर्ग। रक्षक, प्रतिपालक, संरक्षक।
० श्रद्धाञ्जली, सेवा। परिचरणं (नपुं०) [परि+च+ल्युट्] अनुचर, सेवक, संरक्षक। परिचरणः (पुं०) सहायक। परिचरितुं (तुमुन्) परिचर्या करने के लिए। परिचर्या (स्त्री०) [परि+चर+क्यप्+टाप्] ०सेवा, वैयावृत्य,
(जयो०वृ० १२/१०४) ०पूजा, अर्चना, भक्तिभाव।
सहायता, सहयोग। परिचारयः (पुं०) [परि+चि+ण्यत्] यज्ञाग्नि। परिचारः (पुं०) सेवा, सुश्रूषा, परिभ्रमण स्थल। परिचारकः (पुं०) [परि+च+ण्वुल्] सेवक, भृत्य, नौकर। |
(जयो०१० २०/६, २०/१९) परिचारिका (स्त्री०) सेविका, सहायिका, सुजनी।
(जयो०वृ० १२/११३) परिचारिणी (स्त्री०) सेविका, सहायिका, सुजनी। (सुद०३/२) परिचित (भू०क०कृ०) [परि+चि+क्त] जाना पहचाना, सगा
सम्बंधी, जानकार, जान-पहचान वाला। ०भावागम विशेष,
इकत्रित किया हुआ। परिचितिः (भू०क०कृ०) [परिचि+क्तिन्] जान-पहचान,
परिचय, सम्बन्ध, घनिष्ठता।
परिचिन्तनं (नपुं०) पुनः चिन्तन, यथार्थ चिन्तन। (सुद०१३४) परिचुम्ब (अक०) चुम्बन करना, आलिंगन करना, मुंह चूमना। परिचुम्बकः (पुं०) समास्वादन। (जयो०१२/७८) चुम्बन-सदसीह
वंशजो हरेणुरदवासः परिचुम्बको नु वेणुः। (जयो० १२/७८) परिचुम्बती (वि०) चुम्बन करती हुई। (जयो० १३/४३) परिचुम्बित (वि०) अधरादिष्वास्वादितापि। परिच्युत (वि०) गिरा हुआ, भ्रंश, पतित, परिस्खलित। निर्मोकस्य
परिच्युतावहिपते संजयतां का क्षतिः। (मुनि० १८) परिच्छद् (स्त्री०) [परि+छद्+क्विप्] ०परिजन, कुटुम्बीजन,
अनुचरवर्ग, अनुयायीसमूह।
साज-समान। परिच्छदः (पुं०) [परि+छद्+णि+प]०आवरण, चादर।
परिधान, पोशाक, वेष-भूषा वस्त्र। परिभ्रमण। (मुनि० २५)
छत्र, चामर, छतरी। ०आवश्यक वस्तुएं। परिच्छंदः (पुं०) [परि+छन्द्+कन्] परिजन, कुटुम्बीजन,
०सेवक, अनुचर, भृत्य।
०अनुयायी, अनुगामी। परिच्छन्नं (भू०क०कृ०) [परि+छद्+क्त] ०आवरण/
आच्छादन/वेष्टित किया हुआ। बिछाया हुआ, फैलाया हुआ।
गुप्त, छिपा हुआ। परिच्छित्तिः (स्त्री०) [परि+छिद्+किन्] आच्छादन,
विभाजन, अलग अलग करना।
० यथार्थ परिभाषा, सीमित करना। परिच्छिन्न (भू०क०कृ०) विभक्त, विभाजित किया गया, ०सीमित, सीमाबद्ध, परिसीमित।
परिभाषा युक्त, निर्धारित, निश्चयीकृत। परिच्छियान्वित (वि०) निज परिजन सहित। (जयो० १३/१३) परिच्छेदः (पुं०) [परि+छिद्र+घञ्] विभक्त करना, विभाजित
करना। ०अंश। निर्धारण करना, सीमित करना, निश्चय करना। विवेक, निर्णय, सूक्ष्मदृष्टि।
०सीमा, हद, मर्यादा, स्थिर करना, हदबन्दी। परिच्छेदद्य (वि०) [परि+छिद्+ण्यत्] परिभाषा योग्य, मापने
योग्य। अनुमान लगाने योग्य। प्रतिपादन करने योग्य, कहने योग्य।
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