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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिग्रहव्यापारः ६११ परिच्छेदद्य - ०अनन्तायाश्च गर्धायाः विरतिः। ०इच्छापरिमाण, वाञ्छा परिमाण। परिग्रहव्यापारः (पुं०) ग्रंथारंभ। (जयो०वृ० १/११०) परिग्रहानन्दी (स्त्री०) रौद्रध्यान का एक भेद। (मुनि २०) परिघः (पुं०) [परि+ह्न+अप्] लोहे की छड़, मूसल, अर्गला, सांकल। रोक, अवरोध। परिघट्टनं (नपुं०) [परि+घट्ट ल्युट्] घोटना, पीसना, कलछी चलाना, विलोना। परिघोषः (पुं०) [परि+घुष्+घञ्] उद्घोषणा, चारों ओर मिनादी पिटवाना, कोलाहल करना गर्जना। परिचयः (पुं०) [परि+चि+अप्] ०एकत्र करना, संग्रह करना, जोड़ना, ढेर लगाना। घनिष्टता, मित्रता, जान-पहचान। (जयो० ९/५५) ०अभ्यास, अध्ययन, आवृत्ति, बार-बार चिन्तन। परिचरः (पुं०) [परि+चर+अच्] अनुचर, सेवक, भृत्य, अनुयायी वर्ग। रक्षक, प्रतिपालक, संरक्षक। ० श्रद्धाञ्जली, सेवा। परिचरणं (नपुं०) [परि+च+ल्युट्] अनुचर, सेवक, संरक्षक। परिचरणः (पुं०) सहायक। परिचरितुं (तुमुन्) परिचर्या करने के लिए। परिचर्या (स्त्री०) [परि+चर+क्यप्+टाप्] ०सेवा, वैयावृत्य, (जयो०वृ० १२/१०४) ०पूजा, अर्चना, भक्तिभाव। सहायता, सहयोग। परिचारयः (पुं०) [परि+चि+ण्यत्] यज्ञाग्नि। परिचारः (पुं०) सेवा, सुश्रूषा, परिभ्रमण स्थल। परिचारकः (पुं०) [परि+च+ण्वुल्] सेवक, भृत्य, नौकर। | (जयो०१० २०/६, २०/१९) परिचारिका (स्त्री०) सेविका, सहायिका, सुजनी। (जयो०वृ० १२/११३) परिचारिणी (स्त्री०) सेविका, सहायिका, सुजनी। (सुद०३/२) परिचित (भू०क०कृ०) [परि+चि+क्त] जाना पहचाना, सगा सम्बंधी, जानकार, जान-पहचान वाला। ०भावागम विशेष, इकत्रित किया हुआ। परिचितिः (भू०क०कृ०) [परिचि+क्तिन्] जान-पहचान, परिचय, सम्बन्ध, घनिष्ठता। परिचिन्तनं (नपुं०) पुनः चिन्तन, यथार्थ चिन्तन। (सुद०१३४) परिचुम्ब (अक०) चुम्बन करना, आलिंगन करना, मुंह चूमना। परिचुम्बकः (पुं०) समास्वादन। (जयो०१२/७८) चुम्बन-सदसीह वंशजो हरेणुरदवासः परिचुम्बको नु वेणुः। (जयो० १२/७८) परिचुम्बती (वि०) चुम्बन करती हुई। (जयो० १३/४३) परिचुम्बित (वि०) अधरादिष्वास्वादितापि। परिच्युत (वि०) गिरा हुआ, भ्रंश, पतित, परिस्खलित। निर्मोकस्य परिच्युतावहिपते संजयतां का क्षतिः। (मुनि० १८) परिच्छद् (स्त्री०) [परि+छद्+क्विप्] ०परिजन, कुटुम्बीजन, अनुचरवर्ग, अनुयायीसमूह। साज-समान। परिच्छदः (पुं०) [परि+छद्+णि+प]०आवरण, चादर। परिधान, पोशाक, वेष-भूषा वस्त्र। परिभ्रमण। (मुनि० २५) छत्र, चामर, छतरी। ०आवश्यक वस्तुएं। परिच्छंदः (पुं०) [परि+छन्द्+कन्] परिजन, कुटुम्बीजन, ०सेवक, अनुचर, भृत्य। ०अनुयायी, अनुगामी। परिच्छन्नं (भू०क०कृ०) [परि+छद्+क्त] ०आवरण/ आच्छादन/वेष्टित किया हुआ। बिछाया हुआ, फैलाया हुआ। गुप्त, छिपा हुआ। परिच्छित्तिः (स्त्री०) [परि+छिद्+किन्] आच्छादन, विभाजन, अलग अलग करना। ० यथार्थ परिभाषा, सीमित करना। परिच्छिन्न (भू०क०कृ०) विभक्त, विभाजित किया गया, ०सीमित, सीमाबद्ध, परिसीमित। परिभाषा युक्त, निर्धारित, निश्चयीकृत। परिच्छियान्वित (वि०) निज परिजन सहित। (जयो० १३/१३) परिच्छेदः (पुं०) [परि+छिद्र+घञ्] विभक्त करना, विभाजित करना। ०अंश। निर्धारण करना, सीमित करना, निश्चय करना। विवेक, निर्णय, सूक्ष्मदृष्टि। ०सीमा, हद, मर्यादा, स्थिर करना, हदबन्दी। परिच्छेदद्य (वि०) [परि+छिद्+ण्यत्] परिभाषा योग्य, मापने योग्य। अनुमान लगाने योग्य। प्रतिपादन करने योग्य, कहने योग्य। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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