SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 195
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिखोपचारी परिग्रह-परिमाणुव्रतः परिखोपचारी (वि०) परिखा के बहाने। (वीरो०२/२५) परिख्यातिः (स्त्री०) [परि+ख्या+क्तिन] यश, ख्याति। परिगणनं (नपुं०) [परि+गण+ ल्युट] गिनती, गणना। हिसाब, वर्णन। ०श्रेणीभूता। परिगत (भू०क०कृ०) [परि गम्+क्त] ०घेरा हुआ, आवेष्टित। (जयो० ५/२०) ०प्रसृत, चारों ओर फैला हुआ। (जयो०वृ० ३/२) ज्ञात, समझा गया। ०भरा हुआ, परिपूर्ण, सम्पन्न। ०प्राप्त, उपलब्ध। परिगत्वरी (वि०) भागने वाली, धावनशीला। (जयो० २४/१४२) परिगलित (भू०क०कृ०) [परि+गल+क्त] पिघला हुआ, गलता हुआ। लुप्त, क्षय, विगलित, क्षीण। उथला हुआ, पिघला हुआ, बहता हुआ, झरता हुआ। परिगहणं (नपुं०) [परि+गह ल्युट] अत्यधिक निन्दनीय, अपमान जनका परिगूढ (भू०क०कृ०) [परि-गुह्+क्त] अतिगूढ, रहस्यपूर्ण, पूर्णलुप्त। छिपा हुआ, अबोध्य। परिग्रह (सक०) ग्रहण करना, लेना। (वीरो० ८/३४) परिगृहीत (भू०क०कृ०) [परि+ग्रह्+क्त] ०अपनाया, ग्रहण किया, पकड़ा हुआ। घेरा हुआ, आलिंगित। ०स्वीकृत, अंगीकृत, प्राप्त किया हुआ। संरक्षित, अनुग्रह युक्त। आज्ञापित, आदेश युक्त। विरोधित, विरोध किया हुआ। परिगृहीता (स्त्री०) एक पतिव्रता नारी, एक पुरुषभर्तृका स्त्री। 'या एक पुरुषभर्तृका सा परिगृहीता।' (स०सि० ७/२८) एकपुरुषभर्तृका या स्त्री भवति सधवा विधवा वा सा परिगृहीत। संबद्धा। परिगृह्या (स्त्री०) [परि+ग्रह+क्यप्+टाप्] विवाहित स्त्री। परिगृहीता स्त्री. एकपुरुषभर्तृका। परिग्रहः (पुं०) ग्रहण करना, लेना, पकड़ना, थामना, स्वीकार करना। शंका करना। संग (जयो० १/१०७)। ०घेरना, बन्द करना, बाड़ लगाना। पाणिग्रहण। (समु० २/२६), ०पहनना, धारण करना। वैभव, सम्पत्ति, धन-दौलत रूप-पैसा। ०मिथ्यात्व अन्तरंग परिग्रह है। (समु० ८/११) ०अनुचर, सेवक, परिजन। अव्रत। (सुद० १२७), ममकार (समु०८/११) सुधामापरिग्रहोऽन्यो ममकारनामा, * मूर्छा भाव, ममत्व परिणाम। मूर्छा परिग्रहः। (सू० ७/१७) संकल्प, इच्छा, आसक्ति, 'ममेदमिति संकल्पः परिग्रहः' (त०वा० ६/१५) बाह्य परिग्रह-चारित्र मोह से। (समु०८/११) मोहोदयज। ०पापादानोपकरणकांक्षा। संग-लोभकषाय 'परिगृह्यते परिग्रहः। परिग्रहक्रिया (स्त्री०) मूर्छा भाव। पारिग्राहिकी क्रिया। बहू पायार्जन-रक्षण-मूर्छा-लक्षणा परिग्रहक्रिया। (त०भा०६/६) परिग्रहत्यागप्रतिमा (स्त्री०) परिग्रह से रहित, बाह्य-आभ्यन्तर परिग्रह त्याग का धारक। परिग्रह विनिवृत्त नवीं प्रतिमाधारक व्रती, जो क्षेत्र-वस्तु आदि दश प्रकार के बाह्य परिग्रह में ममत्व को छोड़कर निर्मम होता हुआ स्वस्थ होकर संतोष धारण करता है। जो परिवज्जइ गंथं अब्भंतर-बाहिरं च साणंदो। पावं ति मण्णमाणो गिग्गंथो सो हवे णाणी।। (कार्तिकेयानुप्रेक्षा ३८६) परिग्रहत्यागममहाव्रतः (पुं०) समस्त परिग्रह का त्याग, पंचम परिग्रह त्याग महाव्रत, श्रमण/साधु सम्पूर्ण परिग्रह से रहित होता है। सव्वेसिं गंथाणं चागो णिरवेक्ख भावणापुव्व। दश ग्रन्था मता बाह्या अन्तरङ्गाश्चतुर्दश। तान् मुक्त्वा भव नि:संगो भावशुद्ध्या भृशं मुने।। (ज्ञानार्णन पृ० १७६) परिग्रह-परिमाणुव्रतः (पुं०) परिग्रह त्याग का अणुव्रत परिग्रह परिमाणाणुव्रत, परिग्रह और आरंभ का प्रमाण करना। परिच्छिन्न-धन-धान्य-क्षेत्राद्यवधिही। ०परिगाहारंभ-परिमाणं। For Private and Personal Use Only
SR No.020130
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy