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पतेरः
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पत्रिणीं
पतेरः (पुं०) [पत्+एरक्] ०पक्षी, शलभ, पतंगा।
छिद्र, विवर। पत्तनं (नपुं०) [पतति गच्छति जना यस्मिन्-पत्+तनन्] नगर,
कस्वा, पुर। (वीरो० २/४७) जलमार्ग या स्थलमार्ग युक्त प्रदेश-'नावा पादप्रचारेण च यत्र गमनं.तत्पत्तनं नाम।
(धव०१३/३३५) पत्ति (वि०) [पद्+ति] पैदल, पदाति पैदल चलने वाला।
पादचारी। (जयो० १२/११) 'पत्तिं पदाति रथिनं रथस्थः (जयोवृ० ८/११) पत्ति-पादचारी पदातिमाचक्रामः।
(जयो०वृ०८/११) पत्तिकायः (पुं०) पैदल सेना। पत्तिगणकः (पुं०) सेनाधिकारी, सेना की गणना करने वाला। पत्तिन् (पुं०) [पद्भ्यां तेलति पाद+तिल्+डिन्] पैदल सैनिक,
पदाति। (जयो० २१/११३) पत्तिसंहतिः (स्त्री०) पैदल सैनिकों का दल। पत्नी (स्त्री०) [पत्नी पाणिगृहीता स्यात् पति+ङीप-नुक्]
सहधर्मिणी, (जयो० १/११) भार्या, वल्लभा। __ (जयो०७०३/८८) पाणिग्रहणान्तर वल्लभा। पत्नीधर्मः (पुं०) पत्नी का कर्त्तव्य। पत्नीप्रियः (पुं०) वल्लभ, पति। पत्नी सन्नहनं (नपुं०) पत्नी का कंदौरा, करधनी, कटिसूत्र। पत्रं (नपुं०) [पत्+ष्ट्रन्] पत्ता, वृक्ष के पत्ते, कर्णिका।
(जयो० २४/७) सिद्धान्तशास्त्र (जयो०७० ३/३६) पन्ना। ०वाहन, यान-पत्रं छदनमाख्यातं पत्रो घोटक इत्यपि' (जयो०वृ० १७/४८) ०छदन। (जयो०वृ० १७/४८) चिट्ठी, समाचाराधार, दस्तावेज। (दयो० ६९) त्रायन्ते वा पदान्यस्मिन् परेभ्यो विजिगीषुणा। कुतश्चिदिति पत्रं स्याल्लोके शास्त्रे च रूढितः।। (जैन ल० पृ० ६५८)
विपत्रेऽपि करे राज्ञः पत्रमत्रेति सन्ददत्। (जयो० ३/३५) पत्रकं (नपुं०) [पत्र+कन्] पत्ता, चित्रकारी। (जयो०वृ०
९/६२)
०पत्र वाहक। (जयो० ९/६२) पत्रकसम्पदा (स्त्री०) पत्र/पत्ता।
वृक्षों के पत्रों की सम्पन्नता। (जयो०व० ९/६२) उत्तम पत्र का आधार, श्रेष्ठ समाचार से सम्पन्न। दूत उत्तमपत्रकसम्पदा श्रेष्ठदलसम्पत्त्या उपलक्षितः। (जयो०वृ० ९/६२)
पत्रकाहला (स्त्री०) पत्तों की खड़खड़ाहट। पत्रचारणं (नपुं०) पत्र चारण ऋद्धि, जिसके प्रभाव से मुनि
पत्रगत जीवों की विराधना न करके उनके ऊपर से गमन
करता। पत्रणा (स्त्री०) पत्ता, चित्रकारी, रेखांकन। पत्रणी (स्त्री०) पत्ती, छोटी पत्तियां। पत्रता (स्त्री०) दल परिणति। (जयो० ११/४१) पंख परिपूर्णता। पत्रत्व (वि०) पत्तेपना, पत्ता की प्रधानता। (सुद० १३२) पत्रदारकः (पुं०) आरा, लकड़ी चीरने का आरा। पत्रनाडिका (स्त्री०) पत्ते के रेशे, पत्तों की नशे। पत्रपः (पुं०) वाहन युक्त। पत्रं वाहनं पाति स पत्रप वाहन
युक्तः । (जयो०) पत्रपरशुः (स्त्री०) रेती, बालुका। पत्रपालः (पुं०) लम्बी छुरी, बड़ा चाकू, छुरिका।
बाण का पंख वाला हिस्सा। पत्रपाश्यः (स्त्री०) टीका, स्वर्ण निर्मित शिरोपधान। पत्रपुरं (नपुं०) दोना, पत्तों से निर्मित पात्र। पत्रभंगिः (स्त्री०) चित्रण सामग्री। पत्रयौवनं (नपुं०) कोंपल। पत्ररथः (पुं०) पक्षी। पत्र रहित (वि०) पत्र से हीन। (जयो० ३/३५) पत्रवल्लरी (स्त्री०) पत्रों की पंक्ति, पत्तों वाली लता। पत्रवल्ली (स्त्री०) पत्रतति, पत्रपंक्ति, पत्तों की श्रेणी। पत्रवाक् (नपुं०) पत्रवचन, पत्र का संदेश। (जयो०१० ८/३५) पत्रवाहः (पुं०) पक्षी, शकुनि।
०बाण, ०डाकिया। पत्रवाहकः (पुं०) डाकिया, चिट्टिरसा। पत्रविशेषकः (पुं०) चित्रांकन की रेखाएं। पत्रवेष्टः (पुं०) कर्णाभूषण, कर्णफूल। पत्रशाकः (पुं०) शाकभाजी, पत्तों वाली सब्जी। (सुद० १२९) पत्रश्रेष्ठः (पुं०) बेल पत्र। पत्रशुचिः (स्त्री०) कांटा। पत्रहिमं (नपुं०) पाला पड़ना, हिमपात। पत्रात्तः (पुं०) शुष्कवृक्षा (जयो० २९/२९) पत्रिका (स्त्री०) [पत्री+कन्+टाप्] चिट्ठी, लेख, निमंत्रण ___आदेश, अनुज्ञापत्र, जन्मपत्रिका, वैवाहिक पत्रिका। पत्रिणी (स्त्री०) पक्षी। (जयो० ५/७२)
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